भारत में बढ़ती बेरोजगारी की समस्या।
जब किसी देश में कामकाजी उम्र के लोगों की संख्या बच्चों और बुजुर्गों की आबादी को पीछे छोड़ आगे निकल जाती है तो उसे जनसांख्यिकीय लाभांश क्षेत्र कहा जाता है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के द्वारा हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में यह बताया गया है कि भारत मौजूदा समय में इसी दौर से गुजर रहा है और अगले दशक तक इसी क्षेत्र में बना रहेगा। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में युवाओं की आबादी जो 2021 में 27 फीसदी दर्ज की गई, वो 2036 तक घटकर 23 फीसदी रह जाएगी। 2018-2019 के आर्थिक सर्वेक्षण में भी इस बारे में कहा गया है कि यह लाभांश 2041 के आसपास अपने चरम पर होगा, जब कामकाजी उम्र के लोगों का आंकड़ा देश की कुल आबादी का 59 फीसदी हो जाएगा। गौरतलब है कि भारत में युवा बेरोजगारी दर बहुत अधिक है। आईएलओ के मुताबिक देश की कुल बेरोजगार आबादी में करीब 83 फीसदी युवा हैं। चूंकि भारत में हर साल 70 से 80 लाख युवा रोजगार के लिए तैयार हो जाते हैं, ऐसे में यदि भारत को जनसांख्यिकीय लाभांश का फायदा उठाना है तो इन युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर पैदा करने होंगें। आश्चर्यजनक बा