हथौड़ा कहाँ मारना है।

एक साहब की मोटर कार खराब हो गई । जैसे तैसे धकेल कर एक मैकेनिक के पास पहुँचे । मैकेनिक ने जांच कर बताया कि 520 रुपये खर्चा आएगा। साहब ने कहा ठीक है करो। मैकेनिक ने कार का इंजन खोल कर उस पर कहीं एक हथौड़ा मारा और कार ठीक हो गई।
अब साहब बड़े हैरान हुए और दुःखी भी कि कार में कोई खास समस्या नही थी और ये मैकेनिक एक हथौड़ा मारने के 520 रुपये ले रहा है। अतः वे बोले - भाई! हथौड़ा मारने के 520 रुपये मांग रहे हो, ये तो ज्यादा है । यह काम तो ज्यादा से ज्यादा 20 रुपये का है। आखिर तुमने किया ही क्या है, एक हथौड़ा ही तो मारा है। इसपर मैकेनिक हंसा और बोला - साहब! ये तो ठीक है कि मैंने एक हथौड़ा मारा है और सच मे हथौड़ा मारने के तो मै 20 रुपये ही ले रहा हूं। 500 रुपये तो इस बात के हैं कि हथौड़ा कहाँ मारना है।

आप इस कहानी से क्या समझे?

ये है काबिलियत की कीमत।

              अमित कुमार शुक्ल "गर्ग"

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