बढ़ते विकास से उपजाऊ भूमि को खतरा।



आधुनिक युग के दौर में मानव, विकास के पथ पर तेजी से दौड़ रहा है। और वह इस दौड़ में अपने पैरो तले क्या क्या कुचल रहा है । यह भी उसे नहीं मालूम और यही विकास उसके विनाश का कारण बन रही है |
आजकल प्रायः यह देखा जा रहा है कि आर्थिक रूप से सम्पन्न व्यक्ति कई स्थानों पर मकान बना कर वैसे ही छोड़ देते है उस मकान में रहने वाला कोई नहीं है वैसे यह कार्य मैदानी भागो में अधिक देखने को मिल रहा है |जिससे भारी मात्रा में उपजाऊ भूमि का ह्रास हो रहा है |
आजकल जिस मनुष्य के पास एक से अधिक मकान है। वह अपने आप को ज्यादा गौरवशाली समझता है । और उसे समाज में काफी प्रतिष्ठा मिलती है |
आधुनिक युग में इस बढ़ती जनसख्या से भविष्य में यह चिंता का विषय है कि मनुष्य आने वाले समय में क्या खायेगा कहाँ रहेगा।
विश्व मे आर्थिक विकास और तकनीकी विकास की होड़ लगी हुई है। कोई भी देश इससे अछूता नही है। विश्व मे अधिकांश जनसंख्या मैदानी भागों में रहती है। और उत्पादन भी सर्वाधिक मैदानी भागों से ही होता है।
इस संदर्भ में माल्थस ने बताया है कि जनसंख्या ज्यामितीय क्रम में तथा खाद्यान्न गणितीय क्रम में बढ़ रहा है।
यह भी सोचने का विषय है कि हर जगह कारखाने ही स्थापित हो जाएंगे तो खाद्यान्न का उत्पादन कहाँ होगा? और इन कारखानों को कच्चा माल कहाँ से प्राप्त होगा?



                  अमित कुमार शुक्ल "गर्ग"

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

जानिए भ्रंश घाटी, रैम्प घाटी, ब्लॉक पर्वत और होर्स्ट पर्वत क्या होते हैं?

विश्व की गर्म एवं ठंडी हवाएं।

परीक्षाओं में भूगोल की प्रमुख पुस्तकें व उनके लेखकों के सम्बंध में पूछे जाने वाले प्रश्न।