आर्द्र भूमि संरक्षण से परीक्षाओं में अधिकांश प्रश्न पूछे जाते हैं।



आर्द्र भूमि संरक्षण :-

1971 ई० में यूनाइटेड नेशंस के तत्वाधान में ईरान के रामसर नामक स्थान पर एक सम्मेलन किया गया।

इस सम्मेलन में आर्द्र भूमियों के संरक्षण हेतु प्रतिबद्धता जताई गई।

भारत इसका संस्थापक राष्ट्र है।

इसका सचिवालय स्विट्जरलैंड के ग्लाण्ड नामक नगर में है।

प्रत्येक तीन वर्ष में सदस्य राष्ट्रो द्वारा भिन्न भिन्न देशों में सम्मेलन किया जाता है।

प्रत्येक साल 2 फरवरी को विश्व वेटलैंड दिवस के रूप में मनाया जाता है।



हाल ही में आर्द्र भूमि क्षेत्रों में लोनार झील महाराष्ट्र, सुर सरोवर उत्तर प्रदेश तथा त्सो कार लद्दाख़ को अंतरराष्ट्रीय महत्व के रामसर स्थल की सूची में शामिल किया गया है।

सुर सरोवर उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में स्थित है 

जिसे किथम झील के नाम से भी जाना जाता है।

भारत मे अब रामसर आर्द्र भूमि स्थलों की संख्या 42 हो गई है।

जो दक्षिण एशिया में सर्वाधिक है।



इसके अंतर्गत आर्द्र भूमियों के निर्धारण के लिये निम्नलिखित मानदंड सुनिश्चित किया गया।

(1)  जल आवरण क्षेत्र का विस्तार कम से कम 3 हेक्टेयर होना चाहिये।

(2) वर्ष के 6 महीनों में कम से कम 6 cm जलतल प्राप्त होना चाहिए।

(3) सम्बंधित जल क्षेत्र स्थिर, गतिशील, स्वच्छ, लवणीय हो सकता हो या दुर्लभ विशिष्ट प्रकार की स्थानीय या प्रवासी पक्षियों के प्रजनन का केंद्र हो।

(4) सागर के संदर्भ में जल की गहराई निम्न ज्वार के समय अधिक से अधिक 6 मीटर होनी चाहिये।

(5) वह जल क्षेत्र जो किसी विशिष्ट या दुर्लभ पादप या जंतु समुदाय का संरक्षण करता हो।

(6) वह जल क्षेत्र जो प्रवासी पक्षियों के मार्ग में पड़ता हो या विश्व के कुल पक्षी प्रजातियों में से 1% प्रजाति को आश्रय प्रदान करता हो।

(7) वह जल क्षेत्र जो कि भूमिगत जलतल तथा वायुमंडलीय आर्द्रता बनाये रखने में मदद करता हो।

(8) मत्स्य विकास की प्रचुर संभावना से युक्त हो।

(9) मृदा संरक्षण तथा बाढ़ की विभीषिका को कम करने में मदद करता हो इन्हें आर्द्र भूमियों के रूप में चिन्हित किया जा सकता है।



नोट:- भारत मे आर्द्र भूमि के संरक्षण के मामलों के लिये केंद्रीय पर्यावरण , वन जलवायु प्रवर्तन मंत्रालय नोडल मंत्रालय घोषित है।



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अमित कुमार शुक्ल
Blogger/C.S./G.A.S./Geography
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)

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