उपग्रहों से संबंधित परीक्षोपयोगी तथ्य एवं प्रश्नोत्तरी

जानिए उपग्रह के बारे में जिस प्रकार विभिन्न ग्रह सूर्य के चारों और परिक्रमण करते हैं उसी प्रकार कुछ आकाशीय पिंड इन ग्रहों के चारों ओर भी चक्कर लगाते हैं। इन पिंडो को उपग्रह कहते हैं जैसे पृथ्वी एक ग्रह है तथा चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह है। जब कोई उपग्रह जैसे चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर वृत्तीय कक्षा में परिक्रमण करता है तो उस पर एक अभिकेंद्र बल कार्य करता है। यह बल पृथ्वी द्वारा उपग्रह पर लगाया गया गुरुत्वाकर्षण बल होता है। उपग्रह की चाल केवल उसकी पृथ्वी तल से ऊंचाई पर निर्भर करती है। चूंकि उपग्रह की चाल उपग्रह के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करती है। उपग्रह का परिक्रमण काल भी केवल उसके पृथ्वी तल से ऊंचाई पर निर्भर करता है। उपग्रह पृथ्वी तल से जितना दूर होगा उसका परिक्रमण काल उतना ही अधिक होगा। पृथ्वी का पलायन वेग 11.2 किलोमीटर प्रति सेकंड होता है। कृत्रिम उपग्रह किसी पिंड को पृथ्वी तल से कुछ सौ किलोमीटर ऊपर आकाश में भेजकर उसे लगभग 8 किलोमीटर प्रति सेकंड का क्षैतिज वेग दे दें तो वह पिंड पृथ्वी के चारों ओर एक निश्चित कक्षा में वृत्तीय परिक्रमण करने लगता है...