उपग्रहों से संबंधित परीक्षोपयोगी तथ्य एवं प्रश्नोत्तरी


जानिए उपग्रह के बारे में 

जिस प्रकार विभिन्न ग्रह सूर्य के चारों और परिक्रमण करते हैं उसी प्रकार कुछ आकाशीय पिंड इन ग्रहों के चारों ओर भी चक्कर लगाते हैं।

इन पिंडो को उपग्रह कहते हैं जैसे पृथ्वी एक ग्रह है तथा चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह है।

जब कोई उपग्रह जैसे चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर वृत्तीय कक्षा में परिक्रमण करता है तो उस पर एक अभिकेंद्र बल कार्य करता है।

यह बल पृथ्वी द्वारा उपग्रह पर लगाया गया गुरुत्वाकर्षण बल होता है।

उपग्रह की चाल केवल उसकी पृथ्वी तल से ऊंचाई पर निर्भर करती है।

चूंकि उपग्रह की चाल उपग्रह के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करती है।

उपग्रह का परिक्रमण काल भी केवल उसके पृथ्वी तल से ऊंचाई पर निर्भर करता है।

उपग्रह पृथ्वी तल से जितना दूर होगा उसका परिक्रमण काल उतना ही अधिक होगा।

पृथ्वी का पलायन वेग 11.2 किलोमीटर प्रति सेकंड होता है।

 कृत्रिम उपग्रह

किसी पिंड को पृथ्वी तल से कुछ सौ किलोमीटर ऊपर आकाश में भेजकर उसे लगभग 8 किलोमीटर प्रति सेकंड का क्षैतिज वेग दे दें तो वह पिंड पृथ्वी के चारों ओर एक निश्चित कक्षा में वृत्तीय परिक्रमण करने लगता है ऐसे पिंड को कृत्रिम उपग्रह कहते हैं।

कृत्रिम उपग्रह भी पृथ्वी द्वारा आरोपित गुरुत्वाकर्षण बल के अंतर्गत ही पृथ्वी के चारों ओर एक वृत्तीय कक्षा में घूमता है।

उपग्रह पर यह बल सदैव पृथ्वी के केंद्र की ओर दिष्ट रहता है अर्थात यही अभिकेंद्र बल होता है।

कक्षा के आधार पर उपग्रह के प्रकार 

(1)भू तुल्यकालिक उपग्रह 

इस प्रकार के उपग्रह के कक्षा की ऊंचाई सामान्यता निश्चित होती है और यह 35,830 किलोमीटर होती है इनकी कक्षा वृत्ताकार होती है।

इनका परिभ्रमण काल (24 घंटे) ठीक पृथ्वी के बराबर होता है।

इनकी गति पृथ्वी के परिभ्रमण के समान होने के कारण यह उपग्रह स्थिर प्रतीत होते हैं।

इनसैट श्रृंखला के उपग्रह इसी प्रकार के होते हैं इनसेट पृथ्वी की चुंबकीय भूमध्य रेखा या इसके पास स्थित स्थानो में जो महाद्वीपों के पूर्वी भाग पर स्थित होते हैं से प्रक्षेपित किए जाते है।


(2) सूर्य तुल्यकालिक कक्षीय उपग्रह

इस प्रकार की उपग्रह ध्रुवीय कक्षा वाले होते हैं अर्थात यह पृथ्वी के धरातल से 500 से 1000 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की दोनों ध्रुवों (अर्थात उत्तर से दक्षिण) के ऊपर से गुजरते हैं ।

इस प्रकार यह सूर्य सम कालिक होते हैं अर्थात इनका कक्षीय प्लेन सूर्य एवं पृथ्वी को मिलाने वाली रेखा पर सभी मौसमों में एक निश्चित कोण बनाता है।

इसकी दूसरी विशेषता यह है कि यह किसी एक निश्चित अक्षांश को एक निश्चित स्थानीय समय पर काटता है या इसे होकर गुजरता है जिससे उस क्षेत्र के कई चित्र लिये जा सकें और जिनकी आपस में तुलना की जा सके।

भारतीय सुदूर संवेदी उपग्रह आई.आर.एस.इसी श्रेणी उपग्रह हैं।


(¡) निम्न भू कक्षीय उपग्रह

इस श्रेणी के उपग्रह 200 से 600 किलोमीटर की ऊंचाई पर एक अंडाकार कक्षा में परिभ्रमण करते हैं आजकल ज्यादातर उपग्रह इसी वर्ग में छोड़े जाते हैं।

(¡¡) दीर्घ वृत्तीय कक्षा वाले उपग्रह

इस श्रेणी के उपग्रह 184 किलोमीटर से 39,834 किलोमीटर की ऊंचाई की रेंज में परिक्रमण करते हैं।
जैसे मोलनीया फर्स्ट- 731

कृत्रिम उपग्रह के प्रकार

(1) संचार उपग्रह
संचार उपग्रहों द्वारा पृथ्वी पर हजारों किलोमीटर दूर स्थित विभिन्न केंद्रों के मध्य रेडियो टेलीविजन तथा अन्य सिग्नलों को भेजा जाता है।

संचार उपग्रह पृथ्वी के साथ-साथ उसका चक्कर 24 घंटे में लगाते हैं।

इस प्रकार संचार उपग्रह पृथ्वी की भू भाग विशेष को निरंतर परिदृश्य करते रहते हैं एवं उस भाग विशेष के किसी भी स्थान से किसी भी स्थान को टेलीविजन तथा दूरभाष आदि संपर्क कराने के लिए तत्पर रहते हैं ।
जैसे इंसेट उपग्रह


(2) वैज्ञानिक उपग्रह
वैज्ञानिक उपग्रहों द्वारा सूर्य द्वारा प्रदत्त ऊर्जा आयन मंडल में सूर्य के अस्त होने से होने वाले परिवर्तन मंगल,शुक्र,बृहस्पति आदि ग्रहों के चारों ओर के वातावरण आदि के विषयों के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है।

(3) मौसमी उपग्रह
मौसम संबंधी सूचनाओं के लिए वायुमंडल की परिस्थितियों का अध्ययन करने वाले पार्थिव उपग्रहों को मौसम उपग्रह करते हैं।

पृथ्वी से काफी ऊंचाई पर स्थित इन मौसमी उपग्रहों में लगे यंत्र बादलों की आरपार भी मौसम संबंधी जानकारी प्राप्त करने की क्षमता रखते हैं।

मौसम संबंधी सटीक पूर्वानुमान लगाने में यह सहायक होते हैं।


(4) दूर संवेदी उपग्रह
दूर संवेदी उपग्रहों की सहायता से पृथ्वी की सतह पर स्थित किसी भी वस्तु से उत्पन्न होने वाले या प्रतिबिंबित होने वाले विकिरणों को प्रकाश एवं इंफ्रारेड किरणों का उपयोग करने वाले सूक्ष्म कैमरों तथा इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों द्वारा नीली-लाल ,नीले- हरे एवं लगभग इंफ्रारेड कणों के चित्रों के रूप में लिया जा सकता है।


(5) मैरिसेट उपग्रह
मैरीसेट उपग्रह समुद्री जलयानो के नाविकों को संकट की प्रत्येक घड़ी में रेडियो संकेतों द्वारा दिशा ज्ञान और निर्देश देते हैं।

इस प्रकार के उपग्रहों से वे दूसरे जलयानो के नाविकों एवं अपने मुख्यालय से भी संपर्क कर सकते हैं।

(6) भू प्रक्षेपक उपग्रह
यह उपग्रह अपने सूक्ष्म कैमरो एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मदद से पृथ्वी के विभिन्न भागों के चित्र लेते रहते हैं।

इनके द्वारा पृथ्वी के गर्भ में छिपी प्राकृतिक संपदाओं की भी खोज की जाती है।

समुद्री लहरें एवं तूफानों के कारणो  का पता भी भू प्रक्षेपक उपग्रह लगाते हैं।

इन्हें टोहक उपग्रह भी कहा जाता है।

जैसे - भारत का कार्टोसैट 1

(7) भू स्थिर उपग्रह
यह उपग्रह पृथ्वी के किसी स्थान विशेष के सापेक्ष स्थिर रहते हैं।

इन उपग्रहों का उपयोग दूरभाष टेलीविजन सिग्नल आदि के संचार में होता है।

यदि इस प्रकार की 3 उपग्रह भूस्थिर कक्षा में स्थापित किए जाए तो ध्रुवीय  क्षेत्रों के अलावा संपूर्ण पृथ्वी से एक साथ संबंध स्थापित किया जा सकता है।

महत्वपूर्ण परीक्षा उपयोगी प्रश्न उत्तर

(1) उपग्रह की चाल किस पर निर्भर करती हैं? 

उत्तर- केवल उसकी पृथ्वी तल से ऊंचाई पर

(2) पृथ्वी का पलायन वेग कितना है? 

उत्तर - 11.2 किलोमीटर प्रति सेकंड

(3) यदि उपग्रह का क्षैतिज वेग उसके कक्षीय वेग से अधिक है परंतु पलायन वेग से कम है तो उपग्रह की कक्षा कैसी होगी?

 उत्तर - दीर्घ वृत्ताकार

(4) क्या होगा यदि पृथ्वी के समीप चक्कर काटते किसी उपग्रह की कक्षीय चाल किसी कारणवश बढ़कर दोगुनी हो जाए? 

उत्तर - उपग्रह अपनी कक्षा छोड़कर पलायन कर जाएगा

(5) कृत्रिम उपग्रह पृथ्वी द्वारा आरोपित गुरुत्वाकर्षण बल के अंतर्गत ही पृथ्वी के चारों ओर एक वृत्तीय कक्षा में घूमता है फिर यह पृथ्वी पर क्यों नहीं गिर पड़ता है? 

उत्तर - पृथ्वी की वक्रता के कारण

(6) किस प्रकार के उपग्रहों का कक्षीय प्लेन, सूर्य पृथ्वी को मिलाने वाली रेखा पर सभी मौसमों में एक निश्चित कोण बनाता है? 

उत्तर - सौर तुल्यकालिक कक्षीय उपग्रह।

(7) कृत्रिम उपग्रह में अंतरिक्ष यात्री को भारहीनता का अनुभव होता है किंतु चंद्रमा पर व्यक्ति भारहीनता का अनुभव नहीं करता है क्यों? 

उत्तर - चंद्रमा का द्रव्यमान अधिक है इसलिए वह व्यक्ति पर गुरुत्व बल लगाता है।

(8) एक उपग्रह पृथ्वी की घूर्णन की दिशा में पृथ्वी का परिक्रमण कर रहा है इस उपग्रह में से एक प्रेक्षक को पृथ्वी पर भूमध्य रेखा पर स्थित एक बिंदु प्रत्येक 8 घंटे के बाद दिखता है उपग्रह कितने समय में पृथ्वी की एक परिक्रमा पूरी करता है?

उत्तर - 16 घंटे।

(9) उपग्रह का बंधन ऊर्जा क्या है? 

उत्तर- पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमण करते समय उपग्रह को अपनी कक्षा छोड़कर पलायन कर जाने के लिए आवश्यक ऊर्जा।

(10) उपग्रहों को या अंतरिक्ष यान को कहां से प्रक्षेपित करने पर कम ऊर्जा लगानी पड़ती है? 

उत्तर- पृथ्वी की चुंबकीय भूमध्य रेखा या इसके पास स्थित स्थानों से।


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 पं० अमित कुमार शुक्ल "गर्ग"

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