कैसे करें UPSC (IAS) की तैयारी।


कैसे करें सिविल सर्विसेज यानी आईएएस की तैयारी।

कुछ इस प्रकार हो आपकी तैयारी करने की रणनीति

अगर बात सिविल सर्विसेज की परीक्षा में सफलता हासिल करने की करें तो इसके लिए खूब मेहनत के साथ संयम और समय की आवश्यकता होती है।

असल मायने में संयम और समय के बिना दुनियां में कुछ हासिल नही किया जा सकता है। 
इसलिए विचार कीजिए और कोशिश कीजिए अपने आपको व्यस्त व्यक्ति के दायरे से बाहर निकालकर एक विवेकशील और कार्यशील प्रवृति का मनुष्य स्थापित करने की अगर आप अपने आपको एक सफल व्यक्ति स्थापित करना है तो अपने लिए समय निकालिए और अपने आपसे पूछिए आप जो दिनचर्या जी रहे हैं ये आपकी मंजिल तक पहुंचने की सीढ़ी है या एक महज दिनचर्या बनकर रह गई है।

अब यूपीएससी की तैयारी की बात करते हैं उपरोक्त विचार या ज्ञान बेकार है जब तक आप अपने लक्ष्य के लिए अच्छे से मेहनत नही करते हैं।
बिना मेहनत और ईमानदारी के कोई भी लक्ष्य हासिल नही किया जा सकता है दूसरे को प्रोत्साहित करना आसान है इसको खुद पर लागू मुश्किल है। मगर नामुमकिन नही एक कहावत में कहा भी गया है करत करत अभ्यास के जड़मत होत सुजान आप फिर भी सुजान हो बस अपनी शक्ति को भूल गए हो अपनी शक्ति को याद करके अपने लक्ष्य को हासिल करने में लग जाईये उम्मीद है मंजिल जल्द हासिल होगी।

साहस सफलता की पहली शर्त है...जब तक आप शुरू करने का साहस नहीं करते कोई मिशन शुरू नहीं होता...अक्सर शुरू करने से पहले आप असमंजस में होते हैं।
अगर आप गाँव या छोटे कसबे में रहते हैं या आप किसी अनाम जगह से अपनी औसत शिक्षा पूरी किये होते हैं तो आपके लिए आईएएस पीसीएस बनने का फैसला करना बहुत बड़ा फैसला होता है।

और यहीं साहस दिखाना होता है...
साहस इसलिए बड़ा कि आपके पास ऐसी कोई डिग्री नहीं होती है। 
जिससे कोई नौकरी मिल जाय या आगे कोई अच्छा पेशा अपना सकें...फिर यह डर बना रहेगा कि अफसरी पाने की पढ़ाई में अगर फेल हुए तो आगे जीवन निर्वाह कैसे होगा...एक लंबा वक़्त गुजर जाने के बाद किसी अन्य रोजगार में लग पाना बहुत मुश्किल होता है।
फेल होकर वापस किसी और काम में लग्न बहुत कठिन होता है...यहाँ जरुरत पड़ती है साहस की...यह फैसला करने का साहस करना पड़ता है।

कि मुझे आईएएस पीसीएस बनना है और जो भी होगा देखा जायेगा।
एक बार जब आप साहस करके तैयारी शुरू कर देते हैं तो बीच बीच में डर लगता रहता है...इस डर को आप साहस से जीत सकते हैं...डर आपका आत्मविश्वास कम कर देता है... फिर आप अपने भविष्य के प्रति शंकालु हो जाते है...जब यह बीमारी ज्यादा बढ़ जाती है तो तैयारी में जोश उत्साह कम होने लगता है और उदासीनता बढ़ने लगती है।

कभी-कभी यही से कुछ लोगों की वापसी हो जाती है और जंग हार जाते हैं...कुछ लोग अपनी शंकाओं के चलते अपनी पढाई का नुकसान करते रहते हैं।

और बहुत अधिक समय नष्ट कर देते है...
बड़ी लड़ाईयाँ जीतने के लिए बड़े साहस की जरुरत होती है... सिविल सेवा की तैयारी में कदम-कदम पर साहस की जरुरत पड़ती है।
जब आपने हिम्मत कर ही लिया है तो डर के एक-एक रत्ती का नाश साहस के साथ करिये...यहाँ जिसने भी हिम्मत के साथ ईमानदारी से लड़ाई लड़ी उन्हें सफलता जरूर मिली... आपको भी सफलता निश्चित ही मिलेगी।



उदाहरण के लिए आईएएस बनने बनने की बात करते हैं आप सब पहले से जानते ही हैं कि इसके लिए अच्छे से और ईमानदारी से पढ़ना पढ़ता है।

अगर बात करें क्या पढ़ें तो इसके लिए छठवीं से लेकर बारहवीं की एनसीईआरटी पढ़नी चाहिए जो औसतन सभी टॉपर्स या तैयारी करने वाले बताते हैं।

कुछ इससे भिन्न भी बताते हैं जो आपके विवेक और ज्ञान पर निर्भर करता है कि आप किस स्तर के ज्ञानी हैं औसतन सभी यही पढ़ते हैं।
अगर आपके अंदर सामर्थ्य है तो आप एनसीईआरटी के नोट्स भी बना सकते हैं एनसीईआरटी के अलावा सलेक्टेड पुस्तक भी पढ़नी पड़ती हैं नोट्स और पुस्तकों को 4 से 5 बार पढ़ने पर थोड़ा थोड़ा समझ आने लगता है और इसके बाद यह प्रक्रिया लगभग बार बार दोहरानी पड़ती है दूसरे शब्दों में जब तक सफलता ना मिले तक तक पढ़ते रहते हैं।

इसके अतिरिक्त आप जानते ही हैं कि सामान्य अध्ययन के पेपर 4 के लिए कोई ऐसी स्पेशल पुस्तक नही है जो इसकी अच्छे से तैयारी अन्य पेपर की भांति करा सके पेपर 4 की तैयारी के लिए अपने आपको एक नैतिक और आदर्श व्यक्ति के रूप में बदलना पड़ता है। 
और अपने व्यक्तित्व को ऐसे ही ढालना पड़ता है मगर फिर भी रेफरेंस के तौर पर आप लेक्सिकन प्रकाशन की पुस्तक पढ़ सकते हैं जो आपको थोडी बहुत सहायता प्रदान कर सकती है

इसके अलावा करेंट अफेयर के लिए बिना मरे स्वर्ग नही मिलता की कहावत चरितार्थ करते हुए खुद से ही तैयारी करनी होगी इस तैयारी में द हिदूं समाचार पत्र सहायक सिद्ध हो सकता है। 
थोड़े बहुत रेफरेंस के लिए राज्यसभा टीवी दृष्टि की वेबसाइट ऑफिशियल फेसबुक पेज और यूट्यूब चैनल देख सकते हैं और दृष्टि की मैगजीन के अलावा योजना, कुरुक्षेत्र, भूगोल और आप जैसी मैगजीन भी पढ़ सकते हैं।

हिंदी माध्यम के लिए सबसे बड़ा खलनायक सीसैट का पेपर है ऐसी अवधारणा व्याप्त है।   
लेकिन मैथ रीजनिंग और परिच्छेद तीनों को हल करके क्वालीफाई किया जा सकता है इसकी तैयारी के लिए पिछले सालों के पेपर को हल करते रहना चाहिए जब जाकर इस सीसैट के इस पेपर को क्वालीफाई कर पाओगे।

भारतीय अर्थव्यवस्था भारतीय समाज और संस्कृति आपदा प्रबंधन अन्तर्राष्ट्रीय संबंध भारतीय आंतरिक सुरक्षा स्वशासन विषय इनके लिए कोई स्पेशल पुस्तक ही नही बनी है जो आपको यूपीएससी का दावे के साथ हकदार बना सके।

आप पूछोगे कि फिर लोग कैसे यूपीएससी का एक्जाम क्वालीफाई करते हैं तो इसका सीधा सा जवाब है कि पढ़ते और एक्जाम देते हुए इतना अनुभव हो जाता है कि ऐसे प्री एक्जाम क्वालीफाई हो जाता है। 
जबकि मैंस के स्तर पर इतने विचार और शब्द प्रशानिक हो जाते हैं कि अनुभव के साथ मैंस लिख डालते हैं। 
इसमें आश्चर्य करने की कोई बात नही है यह कुछ अपवादों अर्थात टॉप 5 को छोड़कर लगभग सारे 25 प्लस उम्र के होते हैं और लगभग 18 साल की उम्र से तैयारी कर रहे होते हैं।

इतना ही नही दोस्तो मेंस के साथ इंग्लिश और एक भाषा क्वालीफाइंग पेपर भी कम सिर दर्द करने वाला नही है।


इंटरव्यू के स्तर पर आपके दिया हुआ बायोडाटा या रिज्यूमे यूपीएससी इंटरव्यूअर के सामने रखा होता है लगभग सारे प्रश्न इसी से ही पूछे जाते हैं।
इससे इतर शायद ही कोई प्रश्न पूछा जाता हो आप इतने सीधे और भोले भाले भी नही हैं जो अपने बारे में अपना बखान ना कर सकें।

इस तरह अंतिम सीढ़ी भी पार हो जाती और आप बन जाते हैं यूपीएससी एक्जाम क्वालीफायर अर्थात जैसे अंक हासिल करते हैं वैसा पद पाने के अधिकारी हो जाते हैं।

यूपीएससी के रिजल्ट में हिंदी माध्यम का रिजल्ट इसलिए कम नही आता है कि इंग्लिश माध्यम वालों की अपेक्षा हिंदी माध्यम वाले कम पढ़ते हैं। 

बल्कि इसके पीछे एक कारण तो यह है कि हिंदी माध्यम वाले अनेक सोर्स पढ़ते हैं और प्रत्येक सोर्स के वाक्यांश शब्द भण्डारण या भाषा अलग होती है।

जिसकी वजह से हिंदी माध्यम वाले यह निर्णय नही कर पाते हैं कि क्या वाक्यांश शब्द भण्डारण या भाषा सही है जिसकी वजह से प्री एग्जाम भी क्वालीफाई करने में दिक्कत होती हैं। 

जबकि इंग्लिश माध्यम में ऐसा नही होता है उसके वाक्यांश शब्द भण्डारण या भाषा सभी सोर्स में लगभग एक जैसी ही होती है और यही वाक्यांश शब्द भण्डारण या भाषा पेपर में लगभग जस के तस आती है।

हिंदी माध्यम में उपलब्ध सोर्स की बात करें तो यह अनुमान आधारित होते हैं ये अनुमान पिछले सालों में आए पेपर से लगाया जाता है। 
और आप जानते ही हैं यूपीएससी कभी भी पेपर रिपीट नही करता है दूसरी बात अध्यापकों की निजी भाषा शैली होती है।
जो कभी पेपर से मेल नही खाती है यह भी हिंदी माध्यम के लिए असफलता का कारण बनता है। जबकि हिंदी माध्यम के सोर्स और भाषा शैली का स्टेट पीसीएस एक्जाम में मेल खा जाता है इसकी वजह से यहां अंग्रेजी माध्यम की अपेक्षा हिंदी माध्यम का प्रदर्शन अच्छा रहता है

एक कारण हिंदी माध्यम के फैल होने का भेड़ चाल भी होता है इसके अन्तर्गत मुझे भी आईएएस बनना है की प्रवृति कार्य करती है। 

अर्थात ऐरा गैरा नत्थू खैरा यूपीएससी सिलेबस तक को बिना जाने यूपीएससी के रण में कूद पड़ता है जब तक मुझसे ना हो पायेगा की समझ विकसित होती है देर हो चुकी होती है।

आईएएस की तैयारी से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न


प्रश्न -- आईएएस में कितनी परीक्षाएं होती हैं ? 

उतर -- इस परीक्षा में तीन चरण होते हैं ! 

प्रारंभिक परीक्षा में दो पेपर होते हैं , 
एक GS और एक CSAT  ! प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात् मुख्य परीक्षा होती है। 

जिसमें 9  पेपर होते हैं ! 
जिसमें 2 पेपर भाषा के , 4 पेपर सामान्य अध्ययन के , 2 पेपर एक वैकल्पिक विषय के और 1  पेपर निबंध का होता है ! 

मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात् इंटरव्यू या साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता है ! 

प्रश्न - तैयारी की शुरुआत कब करें ?

उत्तर - सिविल सेवा की तैयारी आप ग्रेजुएशन के अंतिम वर्ष में शुरू कर सकते हैं । 
अगर किसी कारण से बिलम्ब हो गया है तो कोई बात नहीं !  
आप कभी भी तैयारी शुरू कर सकते हैं अपितु आप दृढ़संकल्पित और अपना सर्वोत्तम देने के लिए तत्पर हों !

प्रश्न - किस माध्यम का चुनाव करें ?

उत्तर - माध्यम वही चुने जिसमे आप अपना सर्वोत्तम दे सके। 
लोगो की तकियानुसी बातों पर न जाएँ । 
हर वर्ष हिंदी माध्यम के भी अभ्यर्थी सफल होते हैं । 

अतः हिंदी में लेखन शैली को लगातार बेहतर बनाने का प्रयास करे !

प्रश्न - क्या आईएएस और आईपीएस के लिए अलग अलग परीक्षाएं होती हैं ?

उत्तर - नहीं ! संघ लोक सेवा आयोग वर्ष में एक बार कॉमन परीक्षा आयोजित करता है।
जिसमें सफलता के बाद प्राप्त रैंकों के आधार पर आपको IAS , IPS  ,IFS और IRS जैसी सेवाओं में भेजा जाता है ! 

प्रश्न - क्या कोचिंग लेना अनिवार्य है ? ।

उत्तर - आपके ऊपर निर्भर करता है। ।।माना कोचिंग आपका काम आसान करती है लेकिन कोई आवश्यक नही है कि बिना कोचिंग के अभ्यर्थी सफल नहीं होते।

प्रश्न - तैयारी के लिए कितना समय पर्याप्त है ?

उत्तर - अगर आप अभी शुरुआत करना चाहते हैं तो आपकी तैयारी के लिए 18 माह पर्याप्त होंगे।

शुरुआत के 3 माह में NCERT को ठीक से तैयार कर लीजिये । 
इसके बाद 12 माह आपकी विषयानुसार तैयारी के लिए।
और अंतिम 3 माह मॉक टेस्ट और रिवीजन के लिए रखिये !

प्रश्न - ऑप्शनल पेपर का चुनाव कैसे करें ?

उत्तर - बहुत से छात्रों कि यह दुविधा होती है कि वैकल्पिक पेपर कौन सा चुने ? 
हमारी उनको विशेष सलाह है कि वैकल्पिक पेपर के चुनाव के समय आप सिर्फ अपनी रूचि का ध्यान रखिये । 
किसी की सलाह का नहीं ! 
अक्सर छात्र सफल अभ्यर्थियों के इंटरव्यू पढ़कर उनके विषय को ही अपना वैकल्पिक बना लेते हैं।

यह घातक हो सकता है क्योंकि जरुरी नहीं कि जिस विषय में वे सुलभ हो उसे आप भी उसी तरह अपना पाएं।
सबकी अपनी अलग अलग रूचि होती है किसी को भूगोल बड़ी आसान लगती है और बहुत से ऐसे भी हैं जिन्हे भूगोल से बड़ा डर लगता है। 
हर ऑप्शनल पेपर से अभ्यर्थी सफल हुए है।
यह आपकी लेखन शैली पर निर्भर करता है कि आप कितनी हद तक निरीक्षक को प्रभावित कर पाते हैं।

खुद को मोटिवेट रखें.. निराश ना होवें... धैर्य रखें.. अपने हाथ में सिर्फ तैयारी है।

मैंने अपना नया यू ट्यूब चैनल बनाया है जो उन लोगों के लिये बहुत ही महत्वपूर्ण है जो लोग प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे IAS, PCS, NET/JRF, TGT, PGT, UPTET, CTET, SSC, RAILWAY , बैंक, पुलिस,लेखपाल, UPSSSC की अन्य परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं उनके लिये भूगोल के तथ्यों को जानने के लिये परेशान नही होना पड़ेगा क्योंकि हमारे इस यू ट्यूब चैनल पर आपको सभी तथ्य उपलब्ध कराए जाएंगे वो भी बिल्कुल फ्री।

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अमित कुमार शुक्ल
Blogger/C.S./G.A.S./Geography
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)





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