जानिए स्वेज तथा पनामा नहरों का व्यापारिक महत्व के बारे में सबसे सटीक और नई जानकारी।

स्वेज नहर व पनामा नहर

अधिकांश प्रतियोगी परीक्षाओं में व्यापारिक नहरों से प्रश्न बनते है।

जिसके बारे में प्रायः विस्तार से किसी एक बुक में नही मिलता है।

मैने स्वेज और पनामा नहरों के विषय मे अनेक बुकों और नई नई पत्रिकाओं अध्ययन किया व अनेको व्याख्यान सुने उसके आधार पर मैं लिख रहा हूँ जिससे यह जानकारी अनेक प्रतियोगी छात्र छात्राओं तक पहुँचे।

और मेरा हरसंभव यह प्रयास भी रहता है कि जैसे कोई नई जानकारी उपलब्ध हो मैं उसे इस प्लेटफार्म के माध्यम से आप तक अवश्य पहुँचाऊं।

मित्रों स्वेज और पनामा नहरों से प्रश्न इस बार की अनेक परीक्षाओं में आने की प्रबल सम्भावना है।

ऐसा इस लिये कि अभी हाल ही में स्वेज में एक विशालकाय जहाज जिसका नाम एवर गिवन था फंस गई थी।

इस लिये यह काफी चर्चा में रहा।
पनामा नहर की बात करें तो यह भी एक व्यापारिक नहर है जो स्वेज की जैसी व्यापारिक स्थिति रखता है।

आइये इन दोंनो नहरों के बारे में विस्तार से जानते हैं।


स्वेज नहर  की अहमियत इस बात से भी समझी जा सकती है कि यह एक ऐसा व्यापारिक शॉर्टकट मार्ग है जो  अरब देशों से लिंक है और एशिया ,यूरोप और अफ़्रीका के व्यापारिक आवागमन के लिए एक प्रमुख जलमार्ग है।

इस रास्ते से  कारगो शिप्स और खासतौर पर अरब देशों से कच्चे तेल का ट्रेड (व्यापार) होता है।

स्वेज नहर को विश्व की सबसे बड़ी व्यापारिक नहर के नाम से भी जाना जाता है।

इस नहर का निर्माण फ्रांसीसी इंजीनियर फर्डिनेंड दी लेसेप्स ने कराया था।

इसका निर्माण कार्य 1859 मे प्रारम्भ हो कर 1869 तक चला।

इसे पहली बार नवंबर 1869 में नौवहन के लिये खोला गया।

1956 में स्वेज नहर का राष्ट्रीयकरण मिस्र की सरकार द्वारा किया गया।

स्वेज नहर के उत्तर में पोर्ट सईद और दक्षिण में पोर्ट स्वेज है जिसके बीच की दूरी लगभग 193 किलोमीटर है।

परीक्षाओं में कई बार स्वेज नहर के उत्तर में स्थित व दक्षिण में स्थित बन्दरगाह के नाम के बारे में पूछा गया है।

साथ ही यह भी पूछा गया है कि यह नहर किस सागर को जोड़ती है तथा किस महाद्वीप को अलग करती है।

तो जानते है और कुछ इसके बारे में
स्वेज  नहर उत्तर से दक्षिण की ओर बहते हुए भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ती है।

अफ्रीका और एशिया महाद्वीप को एक दूसरे से अलग करती है।

इस नहर के मार्ग में 4 खारी झीलें मेजाला,टीम्सा,ग्रेट बिटर तथा लिटिल बिटर पड़ती है।

बिटर झील में जहाज रात्रि के समय लंगर डालकर ठहर सकते हैं।


राष्ट्रीयकरण के बाद इसे दो बार बंद किया गया था।
पहली बार 1956 मे मिस्र पर ब्रिटेन, फ्रांस, और इजराइल आक्रमण के कारण।

जिस पर रूस ने मिस्र के पक्ष में युद्ध मे कूदने की धमकी दी थी जिसके साथ ही अमेरिका और यूनाइटेड नेशन के दखल से युद्ध समाप्त हुआ और स्वेज नहर मिस्र  के अधिकार में आ गयी थी।

तब युद्ध के दौरान मिस्र ने 40 जहाजों के ज़रिए इस नहर को ब्लॉक कर दिया था जिसे स्वेज संकट कहते हैं।

फिर इसे 1957 में दुबारा खोल दिया गया।

फिर 1967 में इसे दुबारा इजरायल से युद्ध के कारण 8 साल के लिये बंद कर दिया गया।


स्वेज नहर का महत्व

1 यह विश्व की सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली शिपिंग लाइन है।

2 मिस्र की अर्थव्यवस्था में आय का प्रमुख स्रोत है।

3 तेल , प्राकृतिक गैस की दृष्टि से मालवाहक जहाजों के लिये महत्वपूर्ण।

4 स्वेज नहर पर्याप्त दूरी तक समतल है इसमे लाक्स की आवश्यकता नही पड़ती और जहाजो को आने जाने में कोई अवरोध नही आता।

5 स्वेज नहर की गहराई अधिक है।

6 स्वेज नहर के मार्ग में कई स्थानों पर बंदरगाह है जिनपर ठहर कर जलयान ईंधन प्राप्त कर सकते हैं।

7 यह नहर यूरोप और एशिया के व्यापार में लगने वाले समय व अधिक खर्च को कम कर देता है।


हाल ही में स्वेज नहर चर्चा में क्यों?

अभी कुछ दिन पहले लाल सागर से होता हुआ एक बड़ा मालवाहक जहाज जो 2 लाख 24 हजार टन का था वो यहाँ आ कर फंस गया था।

इस बड़े विशालकाय जहाज का नाम एवरगिवन था।

जिसे ताइवान की एक कम्पनी एवरग्रीन मरीन कॉर्पोरेशन ने बनाया था।

बहुत से लोग इस कन्फ्यूजन में है कि जहाज का नाम एवरगिवन है या एवरग्रीन ऐसा इस लिये कि जहाज पर बड़े आकार में एवरग्रीन लिखा हुआ है।

तो यह कन्फ्यूजन दूर कर लेना है।

आगामी परीक्षाओं में इससे प्रश्न बनने की प्रबल संभावना है जिसमे दोनों नाम दिया रहेगा।

उदाहरण
प्रश्न :- हाल ही में स्वेज नहर में किस मालवाहक जहाज के फंस जाने से व्यापार प्रभावित रहा?
1 एवरग्रीन
2 एवरट्रेड
3 एवरगिवन
4 शिपग्रीन

सही उत्तर :- एवरगिवन

एवरगिवन जहाज के फंस जाने से व्यापार प्रभावित रहा वैश्विक व्यापार को नुकसान का सामना करना पड़ा।

इससे जहाजों की कतार लग गई थी।

अब बात करे भारत की इस पहलू से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों की तो इस रास्ते  द्वारा उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, और यूरोप से 200 बिलियन USD का आयात/निर्यात होता है।

इसमे पेट्रोलियम , ऑटोमोबाइल, कार्बन रसायन, लौह इस्पात,मशीनरी, कपड़ा ,कालीन हस्तशिल्प तथा फर्नीचर ,चमड़े का सामान आदि शामिल हैं।




स्वेज नहर की भांति एक और व्यापारिक जलमार्ग की योजना इजरायल देश के द्वारा बनाई जा रही है।

जिसे नीचे दिए गए चित्र से समझ सकते है।

इस मार्ग के बनने से स्वेज नहर पर व्यापारिक जहाजों की निर्भरता कम हो जाएगा और उसका भार कम हो जाएगा।

इससे टैक्स की दरों में कमी भी आएगी।

वैश्विक व्यापार को और गति मिलेगी।
पनामा नहर

पनामा नहर भी स्वेज नहर की तरह मानव निर्मित एक जलमार्ग अथवा जलयान नहर है जो पनामा में स्थित है।

यह प्रशांत महासागर के पनामा तथा अटलांटिक महासागर के कोलोन बंदरगाह को जोड़ती है।

इसे बनाने का सुझाव प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता हम्बोल्ट ने दिया था।

यह नहर  82 कि॰मी॰ लम्बी है, तथा इसकी औसत चौड़ाई 16 मीटर , न्यूनतम गहराई 12 मीटर है।

यह वैश्विक व्यापार के प्रमुखतम जलमार्गों में से एक है।

इसको पार करने में 7 से 8 घण्टे का समय लगता है।

पनामा नहर जल पास या जल लॉक पद्धति पर आधारित है।

इससे होकर गुजरने वाले जहाजों को तीन लाक्स-गाट्रन, मीरा फ्लोर्स तथा पेड्रोमुगल पार करने पड़ते हैं।

इस नहर से गुजरने वाले पहले जहाज का नेतृत्व प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता कैप्टन जार्ज नरेश और विविल थॉमसन ने किया।

इस नहर का निर्माण 14 अगस्त 1914 को पूरा हुआ और 15 अगस्त 1914 को यह जलपोतों के आवागमन हेतु खोल दी गई।

यह नहर अपने आप में अभियांत्रिकी की एक बड़ी उपलब्धि और विलक्षण उदाहरण भी मानी जाती है।

यह नहर एक मीठे पानी की गाटुन झील से होकर गुजरती है और चूँकि इस झील का जलस्तर समुद्रतल से 26 मीटर ऊपर है।


पनामा नहर को अमेरिकन सोसायटी ऑफ सिविल इंजीनियर्स ने आधुनिक अभियांत्रिकी के सात आश्चर्यों में स्थान दिया है।

पनामा नहर के निर्माण की सबसे पहली योजना स्पेन के राजा और  रोमन साम्राज्य के सम्राट चार्ल्स पंचम ने 1534 में पास की।

1855 में विलियम कनिश नामक इंजीनियर ने संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार के लिये काम करते हुए इस इलाके का सर्वेक्षण किया और रिपोर्ट प्रस्तुत की।

स्वेज नहर में दो जलयान एक साथ नही निकल सकते इस लिये जहाजों को इंतजार करना पड़ता है।

जबकि पनामा नहर में ऐसा नही है इसमे दो जहाज एक साथ गुज़र सकते हैं।

पनामा नहर जनशून्य जंगली व पहाड़ी भागों से निकलती है।


1877 अरमांड रेक्लस नामक फ़्रांसीसी सैन्य अधिकारी (इंजीनियर) और लूसियान नेपोलियन नामक इंजीनियरों ने मिलकर नहर के निर्माण मार्ग का सर्वेक्षण किया जिसके पीछे फ़्रांसीसियों द्वारा स्वेज़ नहर के निर्माण की उपलब्धियों का उत्साह था।

फ्रांस ने इस नहर को बनाने का कार्य 1881 में शुरू किया पर सफल नहीं हुआ जिसके बाद अमेरिका ने इसे 1914 में पूरा किया।

पनामा नहर मार्ग में जलयानों को अपेक्षाकृत कम टैक्स देने पड़ते हैं।

वर्तमान समय में दुनिया भर में व्यापार के लिए चलने वाले 5% पानी के जहाज पनामा से होकर गुजरते हैं।

पनामा नहर और स्वेज नहर में अंतर

1 स्वेज नहर की पर्याप्त दूरी समतल है। इसमे लाक्स की आवश्यकता नही पड़ती और जहाजों के आने जाने में कोई व्यवधान नही पड़ता। 
जबकि पनामा नहर में तीन लाक्स पड़ते है इससे हो कर गुजरने वाले जलयानों को असुविधा होती है।

2 स्वेज की गहराई  अधिक है जबकि पनामा नहर की अपेक्षाकृत कम गहरी है।

3 स्वेज नहर एक प्रकार से स्वतंत्र नहर है जबकि पनामा नहर को प्रशांत महासागर की नहर कहते है इसपर USA का अधिकार है।

4 स्वेज नहर जलमार्ग में अधिक टैक्स देना होता है जबकि पनामा नहर जलमार्ग में जलयानों को अपेक्षा कृत कम टैक्स देना होता है।

5 स्वेज नहर जलमार्ग में कई स्थानों पर बंदरगाह है जिनपर ठहर कर जलयान ईंधन प्राप्त करते है जबकि पनामा नहर जलमार्ग में इसकी कोई सुविधा नही है।

जो लोग प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे IAS, PCS, NET/JRF, TGT, PGT, UPTET, CTET, SSC, RAILWAY , बैंक, पुलिस,लेखपाल, UPSSSC की अन्य परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं।

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अमित कुमार शुक्ल
Blogger/C.S./G.A.S./Geography
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)

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