अंटार्कटिका, थ्वाईट्स ग्लेशियर और पेंग्विन के बारे में जानिए ये बड़ी बातें।

अंटार्कटिका:-

आर्कटिक क्षेत्र की तुलना में  अंटार्कटिका महाद्वीप अधिक शीतल है। 

मुख्य कारण –

 1. अपसौर (Apehelion-4 July) की स्थिति में दक्षिणी गोलार्द्ध में शीत ऋतु

 2. अंटार्कटिका महाद्वीप के उच्चावच की अपेक्षाकृत अधिक तुंगता(Altitude)

 3. अंटार्कटिका पर महाद्वीपीयता का प्रभाव,जबकि आर्कटिक के निकट महासागरीय जल का समकारी प्रभाव

 मुख्य बिंदु

1. यहाँ विश्व का सबसे बड़ा हिमनद लैम्बर्ट ग्लेशियर व विश्व का दक्षिणतम सक्रिय ज्वालामुखी माउंट एरेबेस अवस्थित हैं।

2. अत्यधिक हिम भार के कारण बहुत से भाग 1/2  किलोमीटर से भी अधिक गहराई तक अवतलित।

3. पृथ्वी के अंतरतम से प्राप्त ऊर्जा के कारण अत्यधिक न्यून तापमान के उपरान्त भी हिमचादर के नीचे अनेक झीलों की उपस्थिति।

4. अंटार्कटिका की सर्वोच्च चोटी माउन्ट विन्सन है।

5. दक्षिणी भौगोलिक  ध्रुव पर पर पहुंचने वाले प्रथम व्यक्ति नॉर्वे के रोआल्ड एमण्डसन बने।

6. आर्कटिक के ठीक विपरीत यहाँ ध्रुवीय भालुओं का सर्वथा अभाव है, जबकि पेंग्विन का पोषण व  विकास होता है।

7. मनुष्य द्वारा मापन किया गया वर्तमान तक का धरातल का न्यूनतम तापमान इस  महाद्वीप के वोस्टोक शोध स्थल पर मापन किया गया है।

8. दक्षिण गंगोत्री, मैत्री,भारती इस महाद्वीप पर भारत द्वारा स्थापित शोध केंद्र हैं।

9. विश्व का एकमात्र महाद्वीप जो प्रामाणिक समय हेतु किसी टाइम जोन में विभक्त नहीं  है,जबकि यहाँ से शेष विश्व हेतु निर्धारित सभी 24 टाइम जोन गुजरते हैं।

10. वैश्विक चिंता का विषय ओज़ोन छिद्र अंटार्कटिका  महाद्वीप के वायुमंडल में स्थित है।
 

पेंगुइन

पेंगुइन  (पीढ़ी स्फेनिस्कीफोर्मेस, प्रजाति स्फेनिस्कीडाई) जलीय समूह के उड़ने में असमर्थ पक्षी हैं जो केवल दक्षिणी गोलार्द्ध, विशेष रूप से अंटार्कटिक में पाए जाते हैं। 

पानी में जीवन के लिए अत्याधिक अनुकूलित, पेंगुइन विपरीत रंगों, काले और सफ़ेद रंग के बालों वाला पक्षी है और उनके पंख हाथ (फ्लिपर) बन गये हैं। 

पानी के नीचे तैराकी करते हुए अधिकांश पेंगुइन पकड़ी गयी छोटी मछलियों, मछलियों, स्क्विड और अन्य जलीय जंतुओं को भोजन बनाते हैं। 

वे अपना लगभग आधा जीवन धरती पर और आधा जीवन महासागरों में बिताते हैं।

1. पेंगुइन एक पक्षी है लेकिन उड़ता नही है।

2. पेंगुइन पानी मे तैरता जरूर है। यह पानी मे 900 फुट की गहराई तक तैर लेता है। पेंगुइन लगभग 20 मिनट तक अपनी सांस रोक सकता है।

3. पेंगुईन का मुख्य भोजन मछली और झींगा होता है।

4. पेंगुइन Penguin बर्फीले इलाको में पाये जाते है।

5. पेंग्विन की 17 विभिन्न प्रजातिया पाई जाती है जिनमे से 6 प्रजातिया अंटार्कटिका में पायी जाती है। साउथ अमेरिका और साउथ अफ्रीका के तटीय इलाकों में भी पेंगुइन मिलते है।

6. पेंगुइन पर काले और सफेद रंग के बाल होते है। इस पक्षी के पंख ही उसके हाथ बन गए है।

7. पेंगुइन अपना आधे से ज्यादा जीवन पानी मे बिताता है।

8. पेंगुइन की सबसे बड़ी प्रजाति एम्परर पेंगुइन है जिनकी ऊंचाई साढे तीन फुट होती है और इनका वजन 35 किलो के आसपास होता है।

9. पेंगुइन की सबसे छोटी प्रजाति लिटिल ब्लू पेंगुइन है जिनकी ऊंचाई 16 इंच होती है और वजन 1 किलो के आसपास होता है।

10. पेंगुइन Penguin अपने पैरों की सहायता से चलते है और बर्फ पर अपने पेट की सहायता से फिसलते है।

11. पेंगुइन में समुन्द्र का खारा पानी पीने की क्षमता होती है।

12. पेंगुइन अंडे देने वाली प्रजाति है।

13. पेंगुइन केवल दक्षिणी गोलार्द्ध में ही पाये जाते है। उत्तरी गोलार्द्ध में नही पाये जाते है।

14. पेंगुइन का जीवनकाल 15 से 20 साल का होता है।

15. पेंगुइन का समूह रुकरी कहलाता है।


पेंगुइन को इंसानों से कोई विशेष डर नहीं लगता है और वे बिना हिचकिचाहट के खोजकर्ताओं के समूहों के पास आते हैं। 

ऐसा शायद इसलिए है क्योंकि जमीन पर पेंगुइन का अंटार्कटिक या पास के अपतटीय टापुओं पर कोई शिकारी नहीं है। 

इसके बजाय, पेंगुइन को समुद्र में लेपर्ड सील जैसे शिकारियों से खतरा है। 

आमतौर पर, पेंगुइन 3 मीटर (10 फुट) से ज्यादा पास नहीं आते क्योंकि इसके बाद वे परेशान हो जाते हैं। 

अंटार्कटिक के पर्यटकों को भी पेंगुइन से यही दूरी बनाने के लिए कहा जाता है (पर्यटक 3 मीटर से अधिक करीब नहीं जा सकते, किन्तु उनसे उम्मीद की जाती है कि पेंगुइन के करीब आने पर वे पीछे न हटें)



पेंग्विन जलीय जीवन के प्रत्ति अत्यधिक अनुकूलित हैं,तथा अधिक तीव्र गति से तैर सकते हैं। 

इस पक्षी का केवल दक्षिणी गोलार्द्ध (मुख्यतः अंटार्कटिका) में अस्तित्व है। 

पेंग्विन लवणीय जल से जीवनयापन करने में सक्षम है। 

इनके व्यवहार अधिक सामाजिक होते हैं। 

पेंग्विन के शरीर पर श्वेत व श्याम दो परस्पर विलोम रंग होते हैं। 

पेंग्विन,मानव के  प्रति निर्भीक होते हैं। 

सम्भवतः मानवीय अहस्तक्षेप के कारण ऐसा है।

थ्वाइट्स ग्लेशियर

न्यूयार्क यूनिवर्सिटी के शोधकर्त्ताओं ने अंटार्कटिका क्षेत्र में थ्वाइट्स ग्लेशियर (Thwaites Glacier) के नीचे गर्म जल का पता लगाया है जिसके कारण यह ग्लेशियर तेज़ी से पिघल रहा है।

मुख्य बिंदु:
•इस ग्लेशियर का आकार लगभग ब्रिटेन के आकार के बराबर है, इस ग्लेशियर के सबसे विस्तृत स्थान की अधिकतम चौड़ाई 120 किलोमीटर है।

•इसका क्षेत्रफल 1.9 लाख वर्ग किमी. है, अपने विस्तृत आकार के कारण इसमें समुद्री जल स्तर को आधा मीटर से अधिक बढ़ाने की क्षमता है।

•अध्ययन में पाया गया है कि पिछले 30 वर्षों में इसकी बर्फ पिघलने की दर लगभग दोगुनी हो गई है। प्रतिवर्ष बर्फ के पिघलने से समुद्र स्तर के बढ़ने में इसका 4% का योगदान है।

•शोधकर्त्ताओं ने अनुमान लगाया गया है कि यदि इसके पिघलने की दर इसी तरह रही तो यह 200-900 वर्षों में समुद्र में समा जाएगा।

ग्राउंडिंग लाइन और ग्लेशियर के पिघलने का अध्ययन:

शोधकर्त्ताओं ने थ्वाइट्स ग्लेशियर के ‘ग्राउंडिंग ज़ोन’ (Grounding Zone) या ‘ग्राउंडिंग लाइन’ (Grounding Line) पर हिमांक बिंदु से सिर्फ दो डिग्री ऊपर जल होने की सूचना दी।

अंटार्कटिक, आइस शीट की ग्राउंडिंग लाइन वह हिस्सा है जहाँ ग्लेशियर महाद्वीप सतह के साथ स्थायी न रह कर तैरते बर्फ शेल्फ बन जाते हैं ग्राउंडिंग लाइन का स्थान ग्लेशियर के पीछे हटने की दर का एक संकेतक है।

जब ग्लेशियर पिघलते हैं और उनके भार में कमी आती है तो वे उसी स्थान पर तैरते हैं जहाँ वे स्थित थे। 

ऐसी स्थिति में ग्राउंडिंग लाइन अपनी यथास्थिति से पीछे हट जाती है। 

यह समुद्री जल में ग्लेशियर के अधिक नीचे होने की स्थिति को दर्शाता है जिससे संभावना बढ़ जाती है कि यह तेज़ी से पिघल जाएगा।

परिणामस्वरूप पता चलता है कि ग्लेशियर तेज़ी से बढ़ रहा है, बाहर की ओर खिंचाव हो के साथ पतला हो रहा है, अतः ग्राउंडिंग लाइन कभी भी पीछे हट सकती है।

आइसफिन (Icefin):

वैज्ञानिकों ने ग्लेशियर की सतह के नीचे गर्म जल का पता लगाने के लिये आइसफिन नामक एक महासागर-संवेदी उपकरण का प्रयोग किया जिसे 600 मीटर गहरे और 35 सेंटीमीटर चौड़े छेद के माध्यम से बर्फ की सतह के नीचे प्रवेश कराया गया।

थ्वाइट्स ग्लेशियर का महत्त्व

थ्वाइट्स ग्लेशियर अंटार्कटिका क्षेत्र के लिये अधिक महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह समुद्र में स्वतंत्र रूप से बहने वाली बर्फ की गति को धीमा कर देता है।




जो लोग प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे IAS, PCS, NET/JRF, TGT, PGT, UPTET, CTET, SSC, RAILWAY , बैंक, पुलिस,लेखपाल, UPSSSC की अन्य परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं।

उनके लिये भूगोल के तथ्यों को जानने के लिये परेशान नही होना पड़ेगा क्योंकि हमेशा नए तथ्य इस वेबसाइट पर आपको मिलते रहेंगे हमेशा इस वेबसाइट को देखते रहें। 
हमारे टेलीग्राम चैनल से जुड़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें
👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇
और अपने मित्रों  ,सम्बन्धियों को भी इसके बारे में बताएं ताकि सब लोग लाभान्वित हो सकें।
आप सबका बहुत बहुत आभार।

आप सभी अपने लक्ष्य को प्राप्त करें हम यही प्रार्थना करेंगे।

सत्य, सरल, एवं सबसे विश्वसनीय जानकारी के लिये आप हमारी वेबसाइट :- 
www.bhugolvetta.blogspot.com को निरन्तर देखते रहें।

हम प्रतिदिन नए तथ्य अपडेट करते रहते हैं।

अपने सम्बन्धियों को भी इस वेबसाइट के बारे में बताएं जिससे सबका लाभ हो 


हमारा प्रयास कि हम बनायें एक बेहतरीन शिक्षित समाज।


अमित कुमार शुक्ल
Blogger/C.S./G.A.S./Geography
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)







टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

जानिए भ्रंश घाटी, रैम्प घाटी, ब्लॉक पर्वत और होर्स्ट पर्वत क्या होते हैं?

विश्व की गर्म एवं ठंडी हवाएं।

परीक्षाओं में भूगोल की प्रमुख पुस्तकें व उनके लेखकों के सम्बंध में पूछे जाने वाले प्रश्न।