पक्के मकानों में आग लगने के भौगोलिक कारण और उससे बचाव।


बढ़ती गर्मी में आग लगने की घटनाएं हमेशा देखी जाती है पहले ये घटनाएं अधिकतर झुग्गियों और झोपड़ियों में देखने को मिलती थी लेकिन अब इसके साथ-साथ बहुमंजिला मकानों,फ्लैट आदि में भी देखने को मिल रही है।
आप सोच रहे होंगे कि कॉन्क्रीट और सीमेंट से बने मकानों में आग कैसे लग जाती है?

तो आइए जानते हैं-

आजकल बहुमंजिली मकानों के निर्माण में ऐसी वस्तुओं का इस्तेमाल खूब होने लगा है जो ज्वलन के तौर पर संवेदनशील होती हैं।
जैसे-
वर्तमान समय में दीवारों पर प्लास्टिक पेंटिग कराने क्रेज बढ़ने लगा है लोग तरह-तरह की डिजाइनें दीवारों पर बनवाते हैं जिसमे प्लास्टिक पेंट का प्रयोग किया जाता है। 

दीवारों को बार-बार पेंटिंग करने से बचने के लिए लोग एक बार प्लास्टिक पेंटिंग करा देते है ऐसा वे इसलिये करते है कि नमी से दीवारों के पेंट को नुकसान न पहुँचे जब गर्मी बढ़ती है और पारा बेतहाशा चढ़ने लगता है तो ऐसा माना जाता है कि यही प्लास्टिक पेंट ज्वलनशील केमिकल की भांति कार्य करने लगता है और शार्ट सर्किट होने पर मकानों में आग लग जाती है।

मकानों में आग लगने का एक कारण यह भी है कि प्रायः गर्मी के मौसम में लोग विधुत उपकरणों जैसे- पंखे, कूलर, एयर कंडीशनर (AC) आदि का उपयोग अधिक करने लग जाते हैं। लगातार एक निश्चित समय से ज्यादा उपयोग होने पर कोई भी विधुत उपकरण गर्म हो जाता है और उसमें शार्ट सर्किट या विस्फोट की स्थिति बन जाती है जो आग लगने की संभावना को बढ़ाती है।

कई बार ऐसा होता है कि एक बार वायरिंग कराने के बाद लोग भूल जाते हैं और विधुत उपकरणों की संख्या बढ़ाते जाते है जिससे केबल पर लोड पड़ता है और केबल (तार) जलने लगता है जिससे आग लग जाती है।

बचाव के तरीके-

(1) बहुमंजिला मकानों में अग्निशमन यंत्र होने चाहिए।
(2) पंखा, कूलर, AC चलाने के बाद इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बीच- बीच में कुछ समय बंद करके उसे ठंडा होने दिया जाय।
(3) गर्मियों में खिड़कियां खुली रखें जिससे हवा पास कर सके।
(4) एक साथ कई विधुत उपकरण का प्रयोग न करें।
(5) समय-समय पर वायर की जांच कराते रहें।
(6) ज्वलनशील पदार्थों जैसे- पेट्रोल,डीजल,घरेलू गैस आदि को विद्युत उपकरणों से निश्चित दूरी पर रखें।
(7) खाना पकाने के बाद घरेलू गैस सिलेंडर के रेगुलेटर ठीक से बंद करें।
(8) आग लगने पर 101 या 108 नम्बर पर कॉल करके इसकी सूचना दें।
(9) खुद जागरूक बनें और दूसरों को जागरूक बनाएं।

आग से सम्बंधित परीक्षोपयोगी तथ्य

(1) वन में लगने वाली आग को दावानल कहते हैं
(2) समुद्र में लगने वाली आग को बड़वानल कहा जाता है।

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 पं० अमित कुमार शुक्ल "गर्ग"

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