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मार्च, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

भारत के प्रमुख नेशनल पार्क।

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नेशनल पार्क/राष्ट्रीय उद्यान जब जीवों के प्राकृतिक आवास को संरक्षित किया जाता है तो उसे नेशनल पार्क कहते हैं। यह एक ऐसे वृहद क्षेत्र होते हैं जहाँ पर विभिन्न प्रकार के जीव जंतु एवं वनस्पतियों को संरक्षण प्रदान किया जाता है। यहाँ पर सभी प्रकार के मानवीय क्रिया कलापों पर रोक लगाई गई है। जैसे पशुओं के अवैध शिकार,वनों के कटाव और पशुचारण पर पूरी तरह से निषेध है। भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान या नेशनल पार्क जिम कार्बेट को घोषित किया गया है। 1 जम्मू-कश्मीर व लद्दाख 1. दाचीग्राम राष्ट्रीय पार्क 2. सलीम अली राष्ट्रीय पार्क 3. किस्तवाड़ राष्ट्रीय पार्क 4. हेमिस नेशनल पार्क 5. जैव मण्डल रीजर्व , श्रीनगर 2 हिमाचल प्रदेश 1. पिन वैली पार्क 2. ग्रेट हिमालय राष्ट्रीय पार्क 3. रोहल्ला राष्ट्रीय पार्क 4. खिरगंगा राष्ट्रीय पार्क 5. सीमलबरा राष्ट्रीय पार्क 6. इन्द्रकिला नेशनल पार्क 7. शिकरी देवी अभ्यारण्य 3 उत्तराखण्ड 1. जिम कार्बेट राष्ट्रीय पार्क 2. वैली आफ फ्लावर राष्ट्रीय पार्क 3. नन्दा देवी राष्ट्रीय पार्क 4. राजाजी नेशनल पार्क 5. गोविन्द पासू विहार नेशनल पार्क 6. गंगोत्री राष्

भारत मे अंतरिक्ष केंद्र व यूनिटों से आने वाले परीक्षोपयोगी प्रश्न।

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भारत में अंतरिक्ष केंद्र व यूनिटें    नई दिल्ली अंतरिक्ष विभाग शाखा सचिवालय,  इसरो शाखा कार्यालय, दिल्ली भू केंद्र  देहरादून   भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान, उत्तरी आर आर एस एस सी भोपाल द्वितीय इसरो मुख्य नियंत्रण सुविधा केंद्र लखनऊ इंस्ट्रेक भूकेंद्र  शिलांग   उत्तर-पूर्वी अंतरिक्ष उपयोग केंद्र खड़गपुर पूर्व आर आर एस एस सी हैदराबाद राष्ट्रीय सुदूर संवेदन एजेंसी तिरूपति एन एम आर एफ श्रीहरिकोटा   सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र बेंगलुरु   अंतरिक्ष आयोग, अंतरिक्ष विभाग तथा इसरो मुख्यालय, इनसैट कार्यक्रम कार्यालय , एनएनआरएमएस सचिवालय , एंट्रिक्स कॉरपोरेशन , इसरो उपग्रह केंद्र, इलेक्ट्रो प्रकाशिकी  संवेदक प्रयोगशाला  इंस्ट्रेक, दक्षिणी आर आर एस एस सी, द्रव नोदन प्रणाली केंद्र महेंद्र गिरी द्रव नोदन जांच सुविधाएं तिरुवनंतपुरम विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र , द्रव नोदन प्रणाली केंद्र , इसरो जड़त्व प्रणाली यूनिट अलुवा अमोनियम क्लोराइड प्रायोगिक संयंत्र  मुंबई   इसरो संपर्क कार्यालय नागपुर केंद्रीय आर आर एस एस सी माउंट आबू  अवरक्त वेधशाला   अहमदाबाद अंतरिक्ष उपयोग केंद्र , भौतिक अनुसंधान प्

प्रयागराज में सरस्वती कूप के विषय मे संक्षिप्त जानकारी।

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प्रयागराज के संगम क्षेत्र में स्थित किले के अंदर सरस्वती कूप निर्मित है।  मान्यता है कि सरस्वती की अदृश्य धारा यही से निकलकर गंगा और यमुना के संगम में मिल जाती है। सरस्वती कूप से इलेक्ट्रिक मोटर की सहायता से जल निकाल कर संगमरमर के पत्थरों से प्रवाहित किया जाता है। कांच के सीसे से ढंके कूप में ध्यान से देखने पर सरस्वती का जल साफ दिखाई देता है। यह जल स्वच्छ और निर्मल है। ' सरस्वती कूप' के विषय मे अन्य जानकारी। एक ऐसी ही नदी जिसके उत्पति व प्रवाह के विषय में अनेक धारणाएं हैं अब हम जानते हैं कि सरस्वती नदी को लगभग खोज ही लिया गया है।  सन 2013 में केंद्र सरकार की ओर से विस्तृत शोध शुरू किया गया, जो अब तक जारी है।  इसरो के अनुसार नदीतमा (सरस्वती) आज भी हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के क्षेत्रों में भूमिगत होकर प्रवाहमान है।   हालांकि आज का विषय थोड़ा हटकर है। ये समझ लीजिये कि भूमिगत 'सरस्वती नदी' के बारे में पड़ताल है।  सरस्वती नदी का उदगम उत्तराखंड राज्य के माण्डा नामक गांव के पास से माना जाता है। ' ऐतिहासिक तथ्य जैसे दिखाई देते हैं, दरअसल वैसे होते नह

कैसे करें UPSC (IAS) की तैयारी।

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कैसे करें सिविल सर्विसेज यानी आईएएस की तैयारी। कुछ इस प्रकार हो आपकी तैयारी करने की रणनीति अगर बात सिविल सर्विसेज की परीक्षा में सफलता हासिल करने की करें तो इसके लिए खूब मेहनत के साथ संयम और समय की आवश्यकता होती है। असल मायने में संयम और समय के बिना दुनियां में कुछ हासिल नही किया जा सकता है।  इसलिए विचार कीजिए और कोशिश कीजिए अपने आपको व्यस्त व्यक्ति के दायरे से बाहर निकालकर एक विवेकशील और कार्यशील प्रवृति का मनुष्य स्थापित करने की अगर आप अपने आपको एक सफल व्यक्ति स्थापित करना है तो अपने लिए समय निकालिए और अपने आपसे पूछिए आप जो दिनचर्या जी रहे हैं ये आपकी मंजिल तक पहुंचने की सीढ़ी है या एक महज दिनचर्या बनकर रह गई है। अब यूपीएससी की तैयारी की बात करते हैं उपरोक्त विचार या ज्ञान बेकार है जब तक आप अपने लक्ष्य के लिए अच्छे से मेहनत नही करते हैं। बिना मेहनत और ईमानदारी के कोई भी लक्ष्य हासिल नही किया जा सकता है दूसरे को प्रोत्साहित करना आसान है इसको खुद पर लागू मुश्किल है। मगर नामुमकिन नही एक कहावत में कहा भी गया है करत करत अभ्यास के जड़मत होत सुजान आप फिर भी सुजान हो बस अपनी शक्त

आईएएस व पीसीएस के इंटरव्यू में इन बातों का खास कर ध्यान रखें।

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इंटरव्यू या साक्षात्कार में ध्यान देने योग्य बाते:- 1. बिना पूछे इंटरव्यू या साक्षात्कार रूम में प्रवेश न करें। 2. अपने बायोडाटा या रिज्यूमे को विनम्र तरीके से इंटरव्यूअर को दें। 3. इंटरव्यूअर के सामने अपनी आँख को नीचे न करें (नीचे की तरफ न देखे). आपका अच्छा Eye Contact होना चाहिए। 4. इंटरव्यूअर के सामने घबराए नही. आराम से बैठें। 5. चमचमापन, भड़कीला दिखने वाला और बहुत ज्यादा आकर्षक दिखने वाला कपड़ा न पहने. साधारण और सिंपल कपड़े पहने जिसमे आप आरामदायक महसूस करते हैं। 6. इंटरव्यूअर के सामने आराम से बैठे और आराम से बाते करे. कुर्सी पर बीच में आराम से बैठें। 7. हाथ घड़ी को बार-बार न देखे। 8. इंटरव्यूअर के प्रश्नों के उत्तर कम-से-कम शब्दों में दे और उचित उत्तर दे। 9. प्रश्नों के उत्तर घुमा-फिरा कर न दे। 10. गलत उत्तर न दे। 11. सोच समझकर और तार्किक विचारों को पेश करें। 12. प्रश्न को अच्छी तरह सुने और उसके बाद समझे फिर उत्तर दे. उत्तर देने में जल्दबाजी न करे। 13. इंटरव्यू देने से पहले, अपने कम्युनिकेशन स्किल (Communication Skill) को बेहतर बनाए. शीशे के सामने अपने इंटरव्यू की जरूर तैया

उपग्रहों से संबंधित परीक्षोपयोगी तथ्य एवं प्रश्नोत्तरी

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जानिए उपग्रह के बारे में  जिस प्रकार विभिन्न ग्रह सूर्य के चारों और परिक्रमण करते हैं उसी प्रकार कुछ आकाशीय पिंड इन ग्रहों के चारों ओर भी चक्कर लगाते हैं। इन पिंडो को उपग्रह कहते हैं जैसे पृथ्वी एक ग्रह है तथा चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह है। जब कोई उपग्रह जैसे चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर वृत्तीय कक्षा में परिक्रमण करता है तो उस पर एक अभिकेंद्र बल कार्य करता है। यह बल पृथ्वी द्वारा उपग्रह पर लगाया गया गुरुत्वाकर्षण बल होता है। उपग्रह की चाल केवल उसकी पृथ्वी तल से ऊंचाई पर निर्भर करती है। चूंकि उपग्रह की चाल उपग्रह के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करती है। उपग्रह का परिक्रमण काल भी केवल उसके पृथ्वी तल से ऊंचाई पर निर्भर करता है। उपग्रह पृथ्वी तल से जितना दूर होगा उसका परिक्रमण काल उतना ही अधिक होगा। पृथ्वी का पलायन वेग 11.2 किलोमीटर प्रति सेकंड होता है।   कृत्रिम उपग्रह किसी पिंड को पृथ्वी तल से कुछ सौ किलोमीटर ऊपर आकाश में भेजकर उसे लगभग 8 किलोमीटर प्रति सेकंड का क्षैतिज वेग दे दें तो वह पिंड पृथ्वी के चारों ओर एक निश्चित कक्षा में वृत्तीय परिक्रमण करने लगता है  ऐसे पिंड