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क्या अगले साल वास्तव में बदल जायेगा UPPSC का सिलेबस?

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क्या अगले साल बदल जायेगा UPPSC का सिलेबस? आज सारे दिन विभिन्न संचार माध्यमों द्वारा एक खबर आप तक पहुंचती रही होगी कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग अपना प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा का सिलेबस चेंज करने जा रहा है।  खबर की सत्यता जानने का प्रयास किया तो कुछ भरोसेमंद लोगों द्वारा जानकारी मिली है। आइए देखते है विस्तार से:- आयोग ने एक नए सिलेबस का खाका तैयार किया है लेकिन अभी कुछ भी फाइनल नहीं हुआ है क्योंकि यह सरकार के पास जाएगा सरकार से स्वीकृति मिलने के बाद ही इसकी पुष्टि होगी- आयोग ने क्या खाका(ब्लूप्रिंट) तैयार किया है? (1) प्रारंभिक परीक्षा में सीसैट हटाया जा सकता है सामान्य अध्ययन के प्रश्न पत्र में रिजनिंग स्टेटिक्स और सरल अर्थमैटिक के कुछ प्रश्न जोड़े जा सकते हैं।  अर्थात आयोग प्रारंभिक परीक्षा में सिर्फ एक प्रश्न पत्र रखने पर विचार कर रहा है। (2) मुख्य परीक्षा में आयोग द्वारा ऑप्शनल सब्जेक्ट को हटाने का ब्लू प्रिंट तैयार किया है।  उसके स्थान पर फिलहाल उत्तर प्रदेश स्पेशल प्रश्न पत्र को जोड़ने का प्रस्ताव है जो कि सभी के लिए अनिवार्य होगा। (3) इसके अतिरिक्त और कोई परिवर्तन नह

माईनस मार्किंग वाले परीक्षाओं पर सटीक एवं कारगर रणनीति।

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माईनस मार्किंग वाले परीक्षाओं को पास करने हेतु कारगर रणनीति। मित्रो अगर आप माईनस मार्किंग वाले परीक्षाओं जैसे UPSC, UPPSC, UPSSSC,SSC, बैंक ,रेलवे आदि द्वारा आयोजित होने वाली परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं तो आपके मन मे कुछ सवाल होगें। जैसे:- ★माइनस मार्किंग से कैसे निपटा जाए? ★कैसे प्रश्न अटेंड किए जाएं? ★मेरिट क्या जाने की संभावना है? माइनस मार्किंग से कैसे निपटा जाए? जैसा कि आपको पता है परीक्षाओं में 1/3 तथा 1/4 माइनस मार्किंग है यह माइनस मार्किंग कई अच्छे पढ़े लिखे लोगों का खेल खराब कर देती है। इसलिए सबसे ज्यादा चिंता यहीं पर आकर होती है, कम करें तो मेरिट से बाहर होने का डर रहता है ज्यादा करने पर माइनस मार्किंग लगने का डर रहता है।  इसलिए सबसे ज्यादा कन्फ्यूजन यहीं पर है, इससे बचने के लिए पेपर को कुछ इस तरीके से सॉल्व करना होगा:- (1) पेपर के पहले 50 मिनट में उन प्रश्नों को सॉल्व करें जिनमें आप 100% sure हैं, अगर यह संख्या भगवान के आशीर्वाद से सौ के आसपास रह रही है तो आप आगे बिल्कुल प्रश्न ना करें क्योंकि इन प्रश्नों में आप 100% sure हैं और आप का स्कोर अर्थात सही प्रश्नों

अंटार्कटिका, थ्वाईट्स ग्लेशियर और पेंग्विन के बारे में जानिए ये बड़ी बातें।

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अंटार्कटिका:- आर्कटिक क्षेत्र की तुलना में  अंटार्कटिका महाद्वीप अधिक शीतल है।  मुख्य कारण –  1. अपसौर (Apehelion-4 July) की स्थिति में दक्षिणी गोलार्द्ध में शीत ऋतु  2. अंटार्कटिका महाद्वीप के उच्चावच की अपेक्षाकृत अधिक तुंगता(Altitude)  3. अंटार्कटिका पर महाद्वीपीयता का प्रभाव,जबकि आर्कटिक के निकट महासागरीय जल का समकारी प्रभाव   मुख्य बिंदु 1. यहाँ विश्व का सबसे बड़ा हिमनद लैम्बर्ट ग्लेशियर व विश्व का दक्षिणतम सक्रिय ज्वालामुखी माउंट एरेबेस अवस्थित हैं। 2. अत्यधिक हिम भार के कारण बहुत से भाग 1/2  किलोमीटर से भी अधिक गहराई तक अवतलित। 3. पृथ्वी के अंतरतम से प्राप्त ऊर्जा के कारण अत्यधिक न्यून तापमान के उपरान्त भी हिमचादर के नीचे अनेक झीलों की उपस्थिति। 4. अंटार्कटिका की सर्वोच्च चोटी माउन्ट विन्सन है। 5. दक्षिणी भौगोलिक  ध्रुव पर पर पहुंचने वाले प्रथम व्यक्ति नॉर्वे के रोआल्ड एमण्डसन बने। 6. आर्कटिक के ठीक विपरीत यहाँ ध्रुवीय भालुओं का सर्वथा अभाव है, जबकि पेंग्विन का पोषण व  विकास होता है। 7. मनुष्य द्वारा मापन किया गया वर्तमान तक का धरातल का न्यूनतम तापमान इस 

ग्लोबल वार्मिंग से भारतीय समुद्र तटीय क्षेत्रों में खतरा की आशंका वैज्ञानिकों ने जताई चिंता।

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ग्लोबल वार्मिग से बढ़ रहा भारतीय समुद्र तटीय क्षेत्रों का जलस्तर। भारत के तटीय भागों पर ग्लोबल वार्मिंग का खतरा मंडरा रहा है हाल ही में वैज्ञानिकों ने किया आगाह किया है। ग्लोबल वार्मिग और जलवायु परिवर्तन जैसे खतरों ने पूरी दुनिया के बड़े जोखिम पैदा किए हैं।  इनमें एक सबसे बड़ा खतरा समुद्र के जल स्तर में बढ़ोतरी का है। इससे समुद्र तटों के किनारे बसे इलाकों पर अस्तित्व का संकट मंडराने लगा है।  भारत के समुद्र तटीय इलाके और द्वीप समूह भी इस जोखिम से अछूते नहीं है।  हाल में हुए एक अध्ययन में इस खतरे को बहुत करीब से महसूस किया गया है। अध्ययन में कहा गया है कि देश की पश्चिमी तट रेखा के पास में स्थित लक्षद्वीप में समुद्र तल में सालाना 0.4 एमएम प्रति वर्ष से लेकर 0.9 एमएम प्रति वर्ष के दायरे में बढ़ोतरी हो सकती है।  आलम यह है कि समुद्र के जल स्तर में बढ़ोतरी से यह पूरा द्वीप समूह संवेदनशील स्थिति में है।  लक्षद्वीप को लेकर किया गया यह अपनी तरह का पहला अध्ययन है, जिसमें क्लाइमेट माडल अनुमान के आधार पर भविष्य की तस्वीर का खाका खींचने का प्रयास किया गया है। यही नही विश्व के अधिकांश द्व

तौकते के बाद अब आने वाला है एक और चक्रवात यस (Yaas) जानिए इसके बारे में विस्तार से।

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उष्णकटिबंधीय चक्रवात यस (Yaas) चक्रवाती तूफान ताउते (Cyclone Tauktae) गुजरात और महाराष्ट्र में तबाही के मंजर की तस्वीरें छोड़ गया, वहीं भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने एक और चेतावनी जारी की है। IMD के मुताबिक बंगाल की खाड़ी के उत्तर मध्य के ऊपर कम दबाव का क्षेत्र बन रहा है, जिसके चलते 23-24 मई को ये साइक्लोन में तब्दील हो सकता है। आने वाले दिनों में अगर ये चक्रवाती तूफान बनता है तो इसे ‘यस’ (Yaas) चक्रवात के नाम से जाना जाएगा। इस उष्णकटिबंधीय चक्रवात का नाम ओमान ने दिया है। अगले सप्ताह बंगाल की खाड़ी के ऊपर कम दबाव का क्षेत्र बनने की चेतावनी जारी की गई है। आईएमडी के अधिकारियों के मुताबिक ये दबाव का क्षेत्र बढ़कर चक्रवाती तूफान की शक्ल अख्तियार कर सकता है। ओडिशा, अंडमान और पश्चिम बंगाल पर असर इस चक्रवाती तूफान का असर अंडमान निकोबार द्वीप समूह, ओडिशा और पश्चिम बंगाल पर होगा। IMD ने इस बात पर भी जोर दिया कि समुद्र की समतह का तापमान SST बंगाल की खाड़ी से 31 डिग्री ऊपर है, जो कि औसत तापमान से 1-2 डिग्री तक ऊपर है। ये परिस्थितियां ऐसी हैं जो चक्रवाती तूफान के बनने के लिए अ