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विश्व ओजोन दिवस परीक्षोपयोगी तथ्य।

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विश्व ओजोन संरक्षण दिवस 16 सितंबर के दिन लोगों को ओजोन परत के संरक्षण हेतु जागरूक करने के उद्देश्य से विश्व ओजोन संरक्षण दिवस मनाया जाता है। इसे पहली बार  “ वातावरण की रक्षा ”  नामक थीम के साथ मनाया गया था। विश्व ओजोन संरक्षण दिवस का इतिहास वैज्ञानिकों ने साल 1970 के अंत में ओजोन परत में छेद होने का दावा किया था। इसके बाद 80 के दशक में दुनियाभर की कई सरकारों ने इस समस्या को लेकर चिंतन करना शुरू कर दिया। साल 1985 में ओजोन लेयर की रक्षा के लिए वियना कन्वेंशन को अपनाया। इसके बाद 19 दिसंबर 1994 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 16 सितंबर की तारीख को अंतरराष्ट्रीय ओजोन डे मनाने का फैसला किया। साल 1995 में पहला वर्ल्ड ओजोन डे मनाया गया पृथ्वी की ओजोन परत के क्षय का सबसे पहले पता लगाने वाले अमरीकी वैज्ञानिक प्रो. शेरवुड रोलेंड का  10-मार्च 2012 को निधन हो गया। उन्होंने ही सबसे पहले बताया था कि मानव निर्मित रसायनों के कारण ओजोन की परत को भीषण नुकसान हो रहा है। प्रो. शेरवुड रोलेंड को इस बात का श्रेय भी जाता है कि उनकी खोज के कारण ही क्लोरोफ्लोरोकार्बन जैसी हानिकारक रसायन पर प्रतिब

परीक्षा में कहवा (Coffee) से पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्न।

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● कहवा (Coffee) कहवा या कॉफी एक उष्णकटिबंधीय रोपण फसल है। यह एक हरी झाड़ी का बीज है। इसके बीजों को भूनकर पीसा जाता है तथा एक पेय के रूप में प्रयोग किया जाता है। कहवा का उत्पत्ति स्थल इथियोपिया के केल्फा प्रदेश (अबीसीनिया का पठार) को माना जाता है।  इसकी कृषि अधिक आर्द्रता, ढलानदार भूमि तथा 15 से 28°C तापमान वाले क्षेत्रों में अधिक होती है। कहवा की तीन मुख्य किस्में हैं— (1) कॉफिया अरेबिका (2) कॉफिया रोबेस्टा (3) कॉफिया लाइबेरिका  इसमें सबसे उच्चकोटि का कहवा अरेबिका होता है। ब्राजील में रियो- डि-जेनेरियो का पृष्ठ प्रदेश, कोलम्बिया तथा इंडोनेशिया के जावा द्वीप में इसे उगाने की आदर्श भौगोलिक दशाएँ पायी जाती है। जमैका का ब्लू माउंटेन विश्व में सर्वोच्च कोटि का कहवा उत्पादक क्षेत्र है। भारत द्वारा अधिकांशतः उत्तम किस्म की अरेबिका कॉफी का उत्पादन किया जाता है, जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में अत्यधिक मांग है।  परन्तु भारत में विश्व की केवल 4.3 प्रतिशत कॉफी का उत्पादन होता है। कॉफ़ी उत्पादन में ब्राजील, वियतनाम, कोलंबिया, इंडोनेशिया, इथियोपिया और होंडुरास के पश्चात भार

विश्व के प्रमुख जनजातियों से सम्बंधित परीक्षोपयोगी तथ्य।

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विश्व की प्रमुख जनजातियां व उनसे सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य।   मरूस्थलीय क्षेत्र की कठिन परिस्थितियों के बावजूद, वहाँ विभिन्न अधिवासित समूह निवास करते हैं। वे जल, भोजन और  आजीविका के अन्य साधनों की कमी के कारण पर्यावरण के विरुद्ध संघर्ष करते हैं।  मिस्रवासियों जैसे कुछ निवासियों ने उच्च स्तर  की सभ्यता का विकास किया, जबकि बद्दू (बेदुइन) अरब जैसे अन्य निवासियों ने भेड़, बकरियों, ऊंटों और घोड़ों के अपने पशु समूह के साथ घुमंतू जीवन यापन किया। कालाहारी के बुशमैन और ऑस्ट्रेलिया के बिन्दीबू जनजातीय समुदाय इतने आदिम ढंग से जीवन यापन करते हैं कि कठिनाई से  ही उनका अस्तित्व बचा हुआ है। बुशमैन और बिन्दीवू दोनों जनजातियां घुमन्तू पशुचारक और खाद्य संग्राहक हैं जो कृषि कार्य और पशुपालन नहीं करते हैं। बुशमैन अपने धनुष और जहरीले तीरों, भालों, जाल और फन्दों के साथ  शिकार  करते हैं। कालाहारी मरूस्थल में घुमन्तू रूप से जीवन यापन  करते हैं।  वे न केवल कुशल और मजबूत होते हैं, बल्कि अत्यधिक सहनशील भी होते हैं। अपने शिकार को पकड़ने के लिए उन्हें  बहुत धैर्य रखना होत

हिमालय पर्वत की नदियां व प्रायद्वीपीय पठार की नदियों में अंतर।

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हिमालय पर्वत की नदियाँ ■ हिमालय पर्वत की नदियों की लंबाई अधिक है।  ■  इन नदियों का जलग्रहण क्षेत्र बड़ा है। ■ इन नदियों को जल वर्षा के साथ-साथ हिम से भी मिलता है, अतः ये बारहमासी नदियाँ हैं। ■ ये नदियाँ गहरी घाटियों एवं गार्ज का निर्माण करती हैं। ■ हिमालयी नदियाँ विसर्प बनाती है और मार्ग भी बदलती रहती हैं। ■ हिमालयी नदियाँ अभी अपने विकास की युवावस्था में हैं। ■ हिमालय की नदियाँ पूर्ववर्ती हैं। ■ हिमालय की नदियाँ बड़े-बड़े डेल्टा बनाती हैं। गंगा-ब्रह्मपुत्र विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा है। ■  ये नदियाँ नौवहन और सिंचाई के अनुकूल हैं। ■  हिमालय पर्वत से निकलने वाली कुछ प्रमुख नदियां निम्न हैं- गंगा,यमुना,गंडक,काली,कोसी ,तीस्ता,सिंधु,ब्रह्मपुत्र,चेनाब,झेलम,रावी,व्यास,सतलज प्रायद्वीपीय पठार की नदियाँ ■ प्रायद्वीपीय पठार की नदियाँ अपेक्षाकृत कम लंबी हैं। अपेक्षाकृत छोटे जलग्रहण क्षेत्र हैं। ■ ये नदियाँ प्रायः मौसमी होती हैं।  ■  इन नदियों का स्रोत वर्षा है, अतः गर्मी के मौसम में ये सूख जाती हैं। ■ प्रायद्वीपीय नदियों की घाटियाँ कम गहरी एवं उथली हो

Speed Test Geography {भूगोल}

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Q1:- एक ऐसे क्षेत्र में जहाँ वार्षिक वर्षा 200 सेमी. से अधिक होती है और ढलाव पहाड़ी स्थल है, किसकी खेती अभीष्ट होगी? (a) सन (c) मक्का (b) कपास (d) चाय उत्तर : (d) व्याख्या : - चाय एक प्रकार की बागानी या रोपड़ फसल का उदाहरण हैं। इसकी कृषि पहाड़ी ढालों पर की जाती है। इसके लिए 24°C - 30°C तापमान व 150-250 सेमी. वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है। Q2:- भारत में बागानी कृषि के अन्तर्गत उगाई जाने वाली मुख्य फसलें हैं ? (a) चाय, रबर, नारियल, कहवा (b) चाय, रबर, सूरजमुखी, सोयाबीन (c) चाय, केला, अंगूर, नारियल (d) चाय, रबर, नारियल, सोयाबीन उत्तर : (a) व्याख्या :- भारत में बागानी कृषि के अन्तर्गत उगाई जाने वाली मुख्य फसलें चाय, रबर, नारियल, कहवा है। भारत में कृषि मंत्रालय के अनुसार नारियल, ताड़, सुपाड़ी, कोको, काजू तथा वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार चाय, कॉफी एवं रबर बागानी फसलों के अन्तर्गत आते हैं। Q3:-  कथन (A) : उत्तर भारत के मैदान में वर्षा की मात्रा पूर्व से पश्चिम की ओर घटती जाती है। कारण (R) : उत्तर प्रदेश गेहूँ का वृहत्तम उत्पादक है। उत्तर विकल्प निर्धारित कीजिए और सही उ

Speed Test Geography {भूगोल}

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Q1:- निम्न में से कौन-सा महासागर प्रतिवर्ष छोटा होता जा रहा है? (a) अटलांटिक महासागर (c) हिंद महासागर (b) प्रशांत महासागर (d) आर्कटिक महासागर उत्तर - (b) प्रशांत महासागर प्रतिवर्ष छोटा होता जा रहा है। प्लेट टेक्टोनिक सिद्धांत से यह सिद्ध हो चुका है कि अटलांटिक महासागर का विस्तार हो रहा है,जबकि प्रशांत महासागर संकुचित हो रहा है। Q2:- दक्षिण गंगोत्री क्या है ? (a) प्रायद्वीपीय भारत की एक नदी (b) युद्धक जलपोत (c) हिमालय स्थित कोई झील (d) अंटार्कटिका में स्थापित भारतीय वैज्ञानिक अनुसंधानों का स्थायी केंद्र उत्तर - (d) दक्षिण गंगोत्री अंटार्कटिका में स्थापित भारतीय वैज्ञानिक अनुसंधानों का स्थायी केंद्र है। अन्य महत्वपूर्ण तथ्य अंटार्कटिका विश्व का पांचवां बड़ा महाद्वीप है। इसे 'श्वेत महाद्वीप ' भी कहते हैं। वर्ष 1984 में यहां पर दक्षिण गंगोत्री शोध केंद्र की स्थापना की गई। वर्ष 1988 में भारतीय शोध केंद्र 'मैत्री' की स्थापना अंटार्कटिका में की गई। वर्ष 2012 में अंटार्कटिका में भारत ने अपना तीसरा अनुसंधान केंद्र 'भारती' स्थापित किया। Q3:- नेशनल

Speed Test Environmental Geography {पर्यावरणीय भूगोल}

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आजकल प्रतियोगी परीक्षाओं में पर्यावरण से पूछे जाने वाले प्रश्नों का Trend बढ़ता जा रहा है।हाल ही में सम्पन्न हुई UPPSC 2022 की परीक्षा में अच्छे खासे प्रश्न पूछे गए। विगत कुछ परीक्षाओं की बात करें तो ऐसे प्रश्न पूछे गए है जो बिल्कुल आसान थे लेकिन चारो Option देखने मे Confusion की स्थिति बन जाती है और आप सही उत्तर नही कर पाते हैं यही कारण है कि 2 या 4 अंकों की कमी के वजह से आपका Selection नही हो पाता। जबकि ऐसा नही है कि आपने कभी पढा नही था। पढ़े जरूर लेकिन उस पर मंथन नही किया उसे समझा नही जिस कारण ऐसा हुआ। कुछ लोग क्या करते है कि Question को एक बार पढ़ते ही उसका तुरन्त उसका Answer कर देते हैं ऐसे में उनका प्रश्न गलत हो जाता है। कई बार हम Questions को पढ़ कर Answer देते समय "सही है" या "सही नही है" में गलती कर बैठते हैं और एक पढ़ा हुआ आसान सा Quastion गलत हो जाता है। बहुत से छात्र Quastion में पूछे गए आरोही क्रम (Ascending Order) और अवरोही क्रम (Descending Order) में गलती कर बैठते हैं। इस लिये हमें इन सभी खास मुद्दों को ध्यान में रखना चाहिए। जो लोग 2 या 4 अंको