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टेस्ट प्रश्नोत्तरी एवं उनकी व्याख्या संग्रह।

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इस वेबसाइट पर अबतक के महत्वपूर्ण टेस्ट सीरीज के टेस्ट लिंक नीचे दिए जा रहे हैं जिसमें उनके उत्तर एवं विस्तृत व्याख्याएं दी गई हैं। टेस्ट लिंक पर क्लिक करने पर सम्बन्धित टेस्ट के प्रश्नोत्तर और उसकी व्याख्याएं दिखेंगी। जैसे- Speed Test 1 पर क्लिक करने पर टेस्ट 1 open हो जाएगा। इसी प्रकार आगे क्रमवार टेस्ट देखा जा सकेगा। पिछले टेस्ट क्रमशः इस प्रकार हैं- Speed Test (01) Speed Test (02) Speed Test (03) Speed Test (04) Speed Test (05) Speed Test (06) Speed Test (07) Speed Test (08) Speed Test (09) Speed Test (10) Speed Test (11) Speed Test (12) Speed Test (13) ध्यान देने योग्य बात- किसी टेस्ट में 5 प्रश्न के बजाय 20 प्रश्न दिये गए हैं। Speed Test (14) Speed Test (15) Speed Test (16) Speed Test (17) Speed Test (18) Speed Test (19) Speed Test (20) Speed Test (21) Speed Test (22) Speed Test (23) Speed Test (24) Speed Test (25) Speed Test (26) Speed Test (27) Speed Test (28) Speed Test (29) Speed Test (30) Speed Test (3 1) BEO प्रीवियस ईयर पेपर 2020 Speed Test Geography (33) Speed

नमकीन और चिप्स के पैकेट के अंदर कौन सी गैस भरी जाती है और क्यों?

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आपने नमकीन,चिप्स या कुरकुरे खाते समय एक बात नोटिस की होगी जब आपने पैकेट खोला होगा तो उसमें नमकीन या चिप्स की मात्रा से ज्यादा उसके पैकेट का साइज बड़ा और फुला हुआ दिखाई दे रहा होगा दरअसल उसमें गैस भरी होती है। आमतौर पर लोग यही जानते हैं कि चिप्स या नमकीन के पैकेट के अंदर कोई सामान्य गैस भरी जाती है जबकि ऐसा नही है। हम जो चिप्स,नमकीन या कुरकुरे खाते हैं उसके पैकेट के अंदर कोई सामान्य गैस नही जबकि नाइट्रोजन भरा जाता है। नाइट्रोजन गैस ऑक्सीजन के मुकाबले कम रिएक्टिव होती है चिप्स और नमकीन नर्म और नाजुक होते हैं जिसको टूटने से बचाने और लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए नाइट्रोजन गैस सहायक होती है। अगर पैकेट के अंदर ऑक्सीजन भर दी जाये तो क्या होगा? चिप्स और नमकीन के पैकेट के अंदर अगर ऑक्सीजन गैस भर दिया जाए तो नमकीन और चिप्स नमी/आर्द्रता व बैक्टीरिया के कारण खराब हो जाएगा। चिप्स और नमकीन के पैकेटों के अंदर गैस भरे जाने का एक कारण यह भी है कि ग्राहक को ऐसा लगे कि उसके पैसों के मुकाबले वस्तु की मात्रा अधिक है। इसे श्रृंखफ्लेशन से भी जोड़ कर देखा जा सकता है। जानिए श्रृंखफ्लेशन क्या होता

21 जून का भौगोलिक महत्व, परीक्षोपयोगी तथ्य।

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21 जून अर्थात उत्तरी गोलार्द्ध में ग्रीष्म अयनांत का दिन। अयनांत का अर्थ होता है - "ठहरा हुआ सूर्य।" उत्तरी गोलार्द्ध में यह दिन वर्ष में एक बार आता है जब 21 जून को सूर्य की किरणें कर्क रेखा (23.5°N)  पर लंबवत होती है। 21 जून को उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे बड़ा दिन व सबसे छोटी रात होती है। 21 जून को कर्क रेखा से जैसे-जैसे उत्तर बढ़ेंगे दिन की अवधि बढ़ती जाएगी ध्रुवों पर यह अवधि 24 घण्टे की होगी। ठीक ऐसी स्थिति दक्षिणी गोलार्द्ध में 22 दिसम्बर को होती है जब सूर्य मकर रेखा पर लंबवत चमकता है। कर्क रेखा भारत के 8 राज्यों गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड,पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और मिजोरम से होकर गुजरती है। इस लिये 21 जून को सूर्य की लंबवत स्थिति के कारण इन राज्यों में तेज धूप देखने को मिलता है। 21 जून को  प्रयागराज में दिन की अवधि 13 घण्टे 44 मिनट और रात की अवधि 10 घण्टे 15 मिनट की होगी। गोरखपुर में दिन की अवधि 13 घण्टे 52 मिनट तथा रात की अवधि 10 घण्टे 7 मिनट की होगी। पडरौना में दिन की अवधि 13 घण्टे 54 मिनट तथा रात की अवधि 10 घण्टे 5 मिनट

पक्के मकानों में आग लगने के भौगोलिक कारण और उससे बचाव।

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बढ़ती गर्मी में आग लगने की घटनाएं हमेशा देखी जाती है पहले ये घटनाएं अधिकतर झुग्गियों और झोपड़ियों में देखने को मिलती थी लेकिन अब इसके साथ-साथ बहुमंजिला मकानों,फ्लैट आदि में भी देखने को मिल रही है। आप सोच रहे होंगे कि कॉन्क्रीट और सीमेंट से बने मकानों में आग कैसे लग जाती है? तो आइए जानते हैं- आजकल बहुमंजिली मकानों के निर्माण में ऐसी वस्तुओं का इस्तेमाल खूब होने लगा है जो ज्वलन के तौर पर संवेदनशील होती हैं। जैसे- वर्तमान समय में दीवारों पर प्लास्टिक पेंटिग कराने क्रेज बढ़ने लगा है लोग तरह-तरह की डिजाइनें दीवारों पर बनवाते हैं जिसमे प्लास्टिक पेंट का प्रयोग किया जाता है।  दीवारों को बार-बार पेंटिंग करने से बचने के लिए लोग एक बार प्लास्टिक पेंटिंग करा देते है ऐसा वे इसलिये करते है कि नमी से दीवारों के पेंट को नुकसान न पहुँचे जब गर्मी बढ़ती है और पारा बेतहाशा चढ़ने लगता है तो ऐसा माना जाता है कि यही प्लास्टिक पेंट ज्वलनशील केमिकल की भांति कार्य करने लगता है और शार्ट सर्किट होने पर मकानों में आग लग जाती है। मकानों में आग लगने का एक कारण यह भी है कि प्रायः गर्मी के मौसम में लोग विधुत

महत्वपूर्ण पर्यावरण सम्मेलन परीक्षोपयोगी तथ्य।

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महत्वपूर्ण पर्यावरण सम्मेलन UNCCD (मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन):- वर्ष 1994 उद्देश्य: राष्ट्रीय कार्रवाई कार्यक्रमों के माध्यम से मरुस्थलीकरण का मुकाबला करना और सूखे के प्रभावों को कम करना (गिराना या घटाना)। भारत ने पहली बार (UNCCD) के पार्टियों के सम्मेलन (COP-14) के 14वें सत्र की मेजबानी की सम्मेलन का विषय था "भूमि को पुनर्स्थापित करें,भविष्य को बनाए रखें"। बॉन कन्वेंशन:- सदस्य 129 उद्देश्य: प्रवासी प्रजातियों को उनकी प्रवासी प्रजातियों के भीतर संरक्षित करना। रामसर कन्वेंशन:- वर्ष 1975 उद्देश्य: आर्द्रभूमि का संरक्षण और सतत उपयोग महत्वपूर्ण बिंदु यह किसी विशेष पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के लिए पहली और एकमात्र वैश्विक संधि है। वियना कन्वेंशन:- ओजोन परत के संरक्षण के लिए  वर्ष 1985 उद्देश्य: क्लोरोफ्लोरोकार्बन के उत्पादन में अंतर्राष्ट्रीय कटौती के लिए रूपरेखा प्रदान करना। मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल:- वर्ष 1987 उद्देश्य: ओजोन क्षरण के लिए जिम्मेदार कई पदार्थों के उत्पादन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करके ओजोन परत की रक्ष

स्टैच्यू ऑफ़ बिलीफ़,स्टैच्यू ऑफ़ इक्वैलिटी,स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी,स्टैच्यू ऑफ़ लिबर्टी,स्टैच्यू ऑफ़ डिग्निटी,स्टैच्यू ऑफ़ पीस के बारे में परीक्षोपयोगी जानकारी।

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स्टैच्यू ऑफ बिलीफ़ 29 अक्टूबर, 2022 को राजस्थान में 'विश्व में भगवान शिव की सबसे ऊंची प्रतिमा' (World's Tallest Shiva Statue) का लोकार्पण किया गया। इस प्रतिमा को 'स्टैच्यू ऑफ बिलीफ' या ‘विश्वास स्वरूपम्'  नाम दिया गया है। इस प्रतिमा में भगवान शिव को ध्यान की मुद्रा में बैठा हुआ दिखाया गया है। यह प्रतिमा राजस्थान के राजसमंद जिले के नाथद्वारा नगर में स्थापित की गई है। प्रतिमा की ऊंचाई - 369 फीट (112.47 मीटर) इस प्रतिमा के निर्माण में 3000 टन इस्पात (Steel) तथा लोहे तथा 2.5 लाख घन टन कंक्रीट एवं बाल (Sand) का उपयोग किया गया है। स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी इसे हिंदी में 'समता मूर्ति' नाम दिया गया है। 5 फरवरी, 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया। स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी महान दार्शनिक, चिंतक एवं भक्ति संत श्री रामानुजाचार्य की प्रतिमा है। यह प्रतिमा शमशाबाद (हैदराबाद, तेलंगाना) स्थित त्रिदण्डी चिन्ना जीयर स्वामी आश्रम में स्थापित है। प्रतिमा की ऊंचाई - 216 फीट यह प्रतिमा पंचलोह (पांच धातुओं का संयोजन) सोना, चांदी, ता

गर्मी के मौसम में कैसे करें पढ़ाई ?

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यह बात सही है कि बढ़ती गर्मी और उमस से कार्यक्षमता प्रभावित होती है मनुष्य के लिये सर्वाधिक कार्यसक्षम तापमान 25℃ तथा आर्द्रता 60% अनुकूल मानी गई है। कहीं न कहीं इससे ज्यादा तापमान और आर्द्रता हम मानसूनी जलवायु में रहने वाले मनुष्यों के दैनिक क्रियाकलापों को प्रभावित करती है। येसे में छात्रों/अभ्यर्थियों का पढाई में मन नही लगना आम बात है तो कौन सी ऐसी खास बात है जो गर्मी के समय पढ़ाई में मन न लगने की समस्या को कुछ हद तक दूर कर सकती है। आइए जानते हैं- हम नीचे दिए गए कुछ महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखकर अपनी पढ़ाई को अच्छे से जारी रख सकते हैं। क्या करें? (1) सबसे पहले तो पानी अधिक मात्रा में पियें क्योंकि पानी हमारे शरीर के तापमान और आर्द्रता दोनों को मेंटेन रखने में सहायक है। (2) ज्यादा से ज्यादा लिक्विड/पेय पदार्थों जैसे जूस आदि का ही सेवन करें। (3) खाने में विटामिन सी जरूर लें यह दिमाग़ को संतुलित रखने और स्मरण शक्ति बढ़ाने में कारगर है। (4) नाश्ता और खाना खाने के बीच 5 घण्टे का गैप रखें। (5) वही चीजें खाने में लें जो आसानी से पचने में सहायक है। (6) सुबह उठने के बाद टहलने जरू