विश्व एवं भारत में भयंकर जल संकट का खतरा।

आज विश्व में जल का संकट कोने-कोने में व्याप्त है। लगभग हर क्षेत्र में विकास हो रहा है।

दुनिया औद्योगीकरण की राह पर चल रही है, किंतु स्वच्छ और रोग रहित जल मिल पाना कठिन हो रहा है। विश्व भर में साफ़ जल की अनुपलब्धता के चलते ही जल जनित रोग महामारी का रूप ले रहे हैं।

कहीं-कहीं तो यह भी सुनने में आता है कि अगला विश्व युद्ध जल को लेकर होगा।

इंसान जल की महत्ता को लगातार भूलता गया और उसे बर्बाद करता रहा, जिसके फलस्वरूप आज जल संकट सबके सामने है।

विश्व के हर नागरिक को पानी की महत्ता से अवगत कराने के लिए ही संयुक्त राष्ट्र ने "विश्व जल दिवस" मनाने की शुरुआत की थी।

जल को लेकर नित नए चौंकाने वाले रिपोर्ट सामने आ रहें हैं धरती के अंदर यानी भूगर्भ जलस्तर तेजी से गिरता जा रहा है जाहिर है भविष्य के जलसंकट की आहटें साफ सुनाई देने लगी है।

कई इलाकों में स्वच्छ जल की किल्लतों की खबरें मीडिया भी दिखाता रहता है।

ज़ब हम बचपन में थे तब RO वाटर नाम की चीज दूर दूर तक नहीं थी सभी लोग नल का पानी पीते थे। 
आने वाला समय ऐसा होने वाला हैं कि नल का पानी भी नहीं मिलेगा लोग पानी के लिए आपस में संघर्ष करेंगे भूमिगत जल हमेशा नहीं रहेगा।

मानव गंभीर जल त्रासदी झेलेगा जो रिसर्च में पाया गया है। ग्राउंड वाटर खत्म हो जाएगा। हर रोज दैनिक समाचार पत्रों में देखने को मिल रहा हैं कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल जैसे दक्षिण भारत के राज्यों भूमिगत जल की समस्या उत्पन्न हो गई है लोगों को पेयजल नहीं मिल पा रहा है नहाने और कपड़े धोने की तो बात ही छोड़ दीजिए।

हाल ही में पूरे देश में भूमिगत जल समाप्त होने के मामले में चेन्नई पहला शहर बन गया है। यहां पर अब भूमिगत जल के लिए 2000 फीट तक पानी नहीं होने के बाद शासन ने सूचना जारी की है।

भूमिगत जल समाप्त होने के कारण बोरिंग अब पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिए गए हैं।

200 फीट तक भरपूर पानी देने वाले चेन्नई की इस दुर्दशा के पीछे पूरे शहर को सीमेंट की सड़कों और निर्माणों से पाट देना प्रमुख है।

शहर के किसी भी भाग में पानी जमीन में जाने का कोई साधन नहीं बचा है।

अब चेन्नई गर्मी के दिनों में भीषण जल संकट का सामना कर रहा है। शहरों के विकास और सड़कों के अलावा फूटपाथ और खुले मैदान सीमेंट से बनाए जाने के कारण चेन्नई की यह दुर्दशा हो गई है।

इस मामले में स्थानीय नागरिकों का कहना है कि शहर में जल संरक्षण को लेकर कोई अभियान नहीं चलाए गए तो वहीं बेतरतीब निर्माणों के चलते चुनिंदा तालाब भी पानी के लिए तरस गए।

साथ ही भूमिगत जल को लेकर कहीं पर कोई विशेष कार्य नहीं किए गए। इसी का परिणाम है कि अब चेन्नई में भूमिगत जल समाप्त हो चुका है। वहीं दूसरी ओर जिला प्रशासन ने आम लोगों से आग्रह किया है कि वे अपने घरों के नीचे तलभर में बारिश का जल जमा करने के लिए प्रयास करें ताकि कुछ माह तक उसी पानी का उपयोग अन्य कार्यों के लिए हो सके।

चेन्नई महानगर पालिका ने कहा है कि वह केवल पीने के पानी के लिए ही अपनी तैयारी कर रही है।

कुछ अन्य महत्वपूर्ण बिंदु

हालाँकि भारत में विश्व की जनसंख्या का लगभग 17.7% आबादी निवास करती है, लेकिन भारत के पास विश्व के ताज़े जल संसाधनों का केवल 4% ही है।

भारत के तीन-चौथाई ग्रामीण परिवारों की पेयजल तक पहुँच नहीं है और उन्हें असुरक्षित स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ता है।

भारत विश्व का सबसे बड़ा भूजल उपयोगकर्ता देश है।

भारत के लगभग 70% जल स्रोत दूषित हैं और प्रमुख नदियाँ प्रदूषण के कारण सूख रही हैं।

विश्व का केवल 3% जल ही ताज़ा जल है और इसका दो-तिहाई हिस्सा जमे हुए ग्लेशियरों में पाया जाता है जो मानव के उपयोग के लिए नहीं है।
वर्ष 2050 तक 87 देशों में जल संकट की समस्या उत्पन्न होने का अनुमान है।

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