भू आकृति विज्ञान से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य


भू आकृति विज्ञान

विचारधाराएं एवं विद्वान:-

• फ्रांसीसी विद्वान कास्ते द बफन (1749) ने पृथ्वी की उत्पत्ति से संबंधित तर्कपूर्ण परिकल्पना का प्रतिपादन किया।

• जर्मन दार्शनिक कान्ट (1755) ने वायव्य राशि परिकल्पना प्रतिपादित की जो न्यूटन के गुरुत्व के नियम पर आधारित थी।

• फ्रांसीसी विद्वान लाप्लास ने अपनी निहारिका परिकल्पना 1796 में "Exposition of the world system" नामक पुस्तक में प्रस्तुत की।

• चैम्बरलिन ने सन् 1905 में पृथ्वी की उत्पत्ति के सम्बन्ध में अपनी ग्रहाणु परिकल्पना प्रस्तुत की।

• जेम्स जीन्स (1919) ने जार्ज डार्विन की ज्वारीय शक्ति की खोज से प्रेरणा पाकर ज्यारीय परिकल्पना प्रस्तुत की।

• जेफ्रिज नामक विद्वान ने ज्वारीय परिकल्पना में 1929 ई. में कुछ संसोधन किया जिससे इस परिकल्पना का महत्व और अधिक बढ़ गया।

• सूर्य तथा ग्रहों के बीच की वर्तमान दूरी एवं ग्रहों के वर्तमान कोणीय आवेग की अधिकता, इन दो समस्याओं के समाधान हेतु रसेल ने द्वैतारक परिकल्पना का प्रतिपादन किया।

• रॉसगन की विखण्डन परिकल्पना के अनुसार एक सिकुड़ते हुए तारे की घूर्णन गति बढ़ जाती है। यदि घूर्णन बहुत तीव्र गति से होता है तो तारा अस्थिर होकर टूट भी सकता है। इस प्रकार युग्म तारे उत्पन्न होते हैं।

• कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के दो गणितज्ञों- फ्रेड होयल तथा लिटिलटन ने सौर परिवार की रचना से सम्बन्धित अपने नये सिद्धान्त का प्रतिपादन 1939 में किया।

इनका सिद्धान्त "Nuclear Physics" से सम्बन्धित है तथा इसकी व्याख्या उन्होंने अपने निबंध "Nature of the Universe" में की है।

• भारतीय विद्वान प्रो० बनर्जी (1942) ने सिफीड (Cepheid) परिकल्पना प्रस्तुत की।

• आफवेन (1942) ने चुम्बकीय सिद्धांत में गुरुत्वाकर्षण तथा ज्वारीय शक्ति का उपयोग किया।

• ओटो श्मिड जो की रुसी वैज्ञानिक थे इन्होने 1943 में सौर मंडल की उत्पत्ति की नवीन परिकल्पना का प्रतिपादन किया जिसे अंतरतारक धूलि परिकल्पना के नाम से जाना जाता है।

• स्थलरूपों का प्रारम्भिक अध्ययन ग्रीस, यूनान तथा मिस्र (इजिप्ट) में 500 ईसा पूर्व से प्रारम्भ हुआ।

• पहली से चौदहवी सदी तक समस्त भू आकृति विज्ञान में अंधकार छाया रहा इसलिए इस काल को अंध युग भी कहा जाता है।

भू आकृतिक उच्चावच:-

प्रथम श्रेणी के उच्चावच:-
इसके अंतर्गत महाद्वीप और महासागर आते हैं।

द्वितीय श्रेणी के उच्चावच:-
पृथ्वी के अंतर्जात बल द्वारा उत्पन्न स्थलाकृतियाँ जैसे - पर्वत, पठार, मैदान, झील, भ्रंश आदि द्वितीय श्रेणी के उच्चावच कहलाते हैं।

तृतीय श्रेणी के उच्चावच:-
इसके अंतर्गत बहिर्जात प्रक्रमों (नदी जल , सागरीय जल, भूमिगत जल, पवन, हिमानी, हिमनद) द्वारा अपक्षय, अपरदन, निक्षेपण से जनित स्थलरूपों को शामिल किया जाता है।

भू आकृतिक टाइम स्केल:-

• पृथ्वी की आयु लगभग 4.54 अरब (बिलियन) वर्ष है।

• आद्य महाकल्प में तीन भूसंचलन लारेन्शियन, अलगोनियन तथा चारनियन हुए। 

• पुराजीवी महाकल्प के आरम्भ में भूमि का अवतलन एवं महाद्वीपों पर सागरों का अतिक्रमण महत्वपूर्ण घटनाएँ हैं। 

• पुराजीवी महाकल्प में प्रथम बार रीढ़विहीन जीव एवं घास रूपी वनस्पति प्रकट हुई।

महाकल्प के अन्त में फर्न तथा बीजयुक्त पौधे उत्पन्न हुए।

• पुराजीवी महाकल्प को छः युगों में विभक्त किया जाता है:-
(क) कैम्ब्रियन युग, 
(ख) ऑर्डोविसियन युग, 
(ग) सिलूरियन युग, 
(घ) डिवोनियन युग, 
(ङ) कार्बोनिफेरस युग,  
(च) पर्मियन युग।

• मध्यजीवी महाकल्प के दौरान स्थल व जल में विशालकाय जीव-जन्तुओं की उत्पत्ति हुई तथा फूल वाले वृक्ष एवं पक्षी भी उत्पन्न हुए।

• मध्यजीवी महाकल्प को तीन युगों में विभक्त किया जाता है:-
(क) ट्रियासिक युग, 
(ख) जुरैसिक युग एवं 
(ग) क्रिटेशियस युग। 

• नवजीवी महाकल्प का आरम्भ लगभग 4 करोड़ वर्ष पूर्व हुआ जिसमें आदिमानव का जन्म हुआ।

• नवजीवी महाकल्प के मध्य में अल्पाइन भूसंचलन के कारण यूरेशिया में जिब्राल्टर से लेकर हिमाचल तक वलित पर्वतों का निर्माण हुआ।

• नवजीवी महाकल्प को चार युगों में बाँटा जाता है:-
(क) इयोसीन युग, 
(ख) ओलिगोसीन युग, 
(ग) मायोसीन युग  
(घ) प्लायोसीन युग।

• चतुर्थ महाकल्प पृथ्वी के जीवन इतिहास का नवीनतम महाकल्प है। इसमें वर्तमान मनुष्य एवं वनस्पति का जन्म हुआ। 

• पक्षियों का पूर्ण रूप से विकास एवं मनुष्य में बुद्धि का प्रसार भी चतुर्थ महाकल्प में हुआ।

इस महाकल्प को दो युगों में विभाजित किया जाता है:-
(क) प्लोस्टोसीन युग  
(ख) होलोसीन युग।
हिम युग:-

• उत्तरी अमेरिका में चार बार हिम प्रसार (हिमयुग) एवं हिम निवर्त्तन (हिमान्तर युग) हुआ।

• हिमयुग- नेब्रास्कन, कन्सान, इलीनोइन, विस्कान्सिन कहलाते हैं।

हिमान्तरकाल क्रमशः अफ्टीनियम, यारमाउथ एवं संगमन कहलाते हैं।

• पेन्क एवं ब्रुकनर के अनुसार यूरोप में गूँज, मिण्डल, रिस, वुर्म नामक चार हिमयुग हुए।

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य:-

✅ आदि पृथ्वी का वायुमंडल अपचायक था।

✅ भूगर्भिक इतिहास में सबसे लम्बी अवधि वाला प्रभाग इयोंन था।

✅ डिवोनियन शक को मत्स्य युग कहा जाता है।

✅ अरावली पर्वत और धारवाड़ चट्टानों का निर्माण प्री कैम्ब्रीयन शक में हुआ था।

✅ कार्बोनिफेरस शक को कोयला युग भी कहा जाता है।

✅ मानव की उत्पत्ति प्लायोसिन शक में हुआ।

✅ प्लीस्टोसीन शक में होमो सेपियंस मानव का आगमन हुआ।

✅ काली मिट्टी का निर्माण क्रिटेसियस शक में हुआ।
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