जानिये भूगोल के लिये कैसी हो आपकी रणनीति।


भूगोल पर कैसी होनी चाहिए हमारी रणनीति अगर इस मुद्दे पर बात करें तो सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि भूगोल कॉन्सेप्ट आधारित विषय है।

यह रटने का विषय नही है बल्कि पढ़कर समझने व तर्क करने वाला विषय है।

सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वाले छात्रों के लिये यह रुचिकर विषय भी है।

हम कहीं न कहीं किसी न किसी रूप में भूगोल विषय से सम्बंधित पहलुओं का अध्ययन करते हैं।

पर यह विषय सिविल सेवा से जुड़े अभ्यर्थियों के लिये कितना अहम है हम इस विषय मे विस्तृत चर्चा करेंगे।

तो आइए जानते है कि हमे भूगोल विषय को तैयार करने के लिए किस प्रकार से रणनीति बना कर कार्य करना चाहिए।

भूगोल की तैयारी कैसे करें?

हाल के वर्षों में सिविल सेवा की परीक्षा हेतु उपलब्ध विभिन्न वैकल्पिक विषयों के पाठ्यक्रमों में अत्यधिक बदलाव हुए हैं एवं इस बदलाव के पश्चात ‘भूगोल’ विषय की लोकप्रियता एक वैकल्पिक विषय के रूप में काफी तेजी से बढ़ी है। 

पिछले कुछ वर्षों के सफल प्रत्याशियों के वैकल्पिक विषयों के सर्वेक्षण से यह स्पष्ट हो जाता है
कि इस विषय की लोकप्रियता का एक सबसे महत्वपूर्ण कारण इसका संकल्पना आधारित होना है। 

एक बार समझ विकसित हो जाने पर इस विषय में रटने की आवश्यकता नहीं पड़ती। 

वस्तुतः भूगोल को आज ‘कला’ में ‘विज्ञान’ भी कह सकते हैं। यही कारण है कि इस विषय में अच्छे अंकों की संभावना कला विषयों में सबसे अधिक है। 

आज के गलाकाट प्रतिस्पर्धात्मक युग में वैकल्पिक विषयों में 300 अंक लाने का समय नहीं रह गया है।

अब तो वही प्रत्याशी आईएएस का ख्वाब देख सकते हैं, जो कम से कम एक विषय में 400 अंक तक ला सकने का लक्ष्य निर्धारित कर सकें।

‘भूगोल’ विषय इस लक्ष्य साधन की पूर्ति करता है।

इस विषय की दूसरी विशेषता है सही रणनीति की मदद से न्यूनतम समय में तैयारी, ताकि अच्छे अंक भी हासिल हों और कोई जोखिम भी न रहे। 

इस विषय के मात्र 60% भाग की तैयारी कर आप पूर्णतः सुरक्षित हो जाते हैं। 

इसके लिए जरूरी है कि आप पाठ्यक्रम के अंकदायी भागों का वैज्ञानिक विश्लेषण करें। 

इनका विश्लेषण पिछले वर्षों के प्रश्न-पत्रों पर गहन व सूक्ष्म दृष्टि रखकर किया जा सकता है। 

इस संदर्भ में 1983 से 2012 तक की मुख्य परीक्षाओं के प्रश्नों का वस्तुनिष्ठ विश्लेषण करने से यह निष्कर्ष निकलता है कि प्रथम प्रश्न-पत्र के खंड ‘क’ से दो दीर्घ व खंड ‘ख’ से एक दीर्घ प्रश्न का उत्तर देना अंक प्राप्ति की दृष्टि से अधिक उपयोगी है, क्योंकि पहला खंड पूर्णतः विश्लेषणात्मक है एवं गहरी समझ की मांग करता है। 

यदि इनका वैज्ञानिक ढंग से अध्ययन किया जाये तो इसमें 70% से भी अधिक अंक हासिल हो सकते हैं।

यहां आप चयनात्मक हो सकते हैं, क्योंकि अब तक आये हुए प्रश्नों के अध्ययन से ज्ञात होता है कि भूगोल के पाठ्यक्रम के प्रश्न पत्र-1 के खंड ‘क’ के प्रथम तीन अध्याय भू-आकृति विज्ञान, जलवायु विज्ञान व समुद्र विज्ञान और खंड ‘ख’ के अध्याय मानव भूगोल में ‘मॉडल, सिद्धांत एवं नियम’ तथा ‘जनसंख्या व बस्ती भूगोल’ अध्याय का अध्ययन भी कर लिया जाना चाहिए। 

इन पांच अध्यायों से आपको दीर्घ प्रश्नों के अलावा लघु प्रश्न भी मिल जाते हैं।

इसी प्रकार द्वितीय प्रश्न प्रश्न-पत्र के खंड ‘क’ के तीन अध्याय भौतिक विन्यास, कृषि व उद्योग को आप गहन अध्ययन व विश्लेषण के लिए चुन सकते हैं।

वहीं दूसरी ओर खंड ‘ख’ के अध्याय ‘समकालीन समस्याएं’ और ‘‘बस्ती’’ अध्याय का अध्ययन कर लेना चाहिए।

प्रश्नों की रणनीति

दीर्घ प्रश्न:-
यद्यपि इसके लिए शब्द-सीमा निर्धारित नहीं है, परंतु आपसे 600-800 शब्दों की सीमा के अंदर एवं अपेक्षित मानचित्र, आरेख, रेखाचित्र आदि से सुसज्जित एवं गहन विश्लेषणपरक उत्तर की अपेक्षा की जाती है। 

अनावश्यक विस्तार विषय पर आपकी कमजोर पकड़ का परिचायक माना जाता है। साथ ही समय के बेहतर प्रबंधन हेतु भी संक्षिप्त प्रभावी उत्तर देने का प्रयास होना चाहिए। 

अतः कुछ चुने हुए प्रश्नों का लिखित अभ्यास कर लिया जाना आपकी सफलता को सुनिश्चित करेगा।

लघु प्रश्न:-

जहां दीर्घ प्रश्नों का 600-800 शब्दों में उत्तर अपेक्षित है, वहीं लघु प्रश्नों के लिए स्पष्ट रूप से 200 शब्दों की सीमा निर्धारित है। 

परीक्षक इस शब्द सीमा के 10% तक के अतिक्रमण को सामान्य मानकर चलते हैं, परंतु इससे अधिक का अतिक्रमण नकारात्मक माना जाता है एवं इसकी वहज से अपेक्षित अंकों में से कुछ अंकों की कटौती की जा सकती है। 

अतः शब्द सीमा के अंतर्गत रहकर ही प्रश्नों के उत्तर दिये जाने चाहिए। इससे आप न सिर्फ अपने उत्तर का सही मूल्यांकन प्राप्त कर सकते हैं, वरन दीर्घ प्रश्नों के लिए समय का बेहतर प्रबंधन भी कर सकते हैं। 

इसके लिए सभी संभावित लघु प्रश्नों का निर्धारित शब्द सीमा में प्रभावी उत्तर लिखने का अभ्यास आवश्यक है। 

वैसे भी विगत दो तीन सालों से जिस तरह इस प्रकार के प्रश्न पूछने की प्रवृत्ति बढ़ी है उसे ध्यान में रखते हुए इधर अधिक ध्यान देना चाहिए।

मानचित्र कार्य:-

वर्तमान में यह केवल एक ही प्रश्न पत्र में पूछा जाने लगा। इस के सभी सही हल दे सकने के लिए विषय का सतर्क व प्रयोगात्मक अध्ययन आवश्यक होता है। 

प्रश्नों की तैयारी के क्रम में अनेक सूक्ष्म तथ्य आते रहते हैं। इनमें से अनेक मानचित्र कार्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण होते हैं। 

अतः अध्ययन के क्रम में भौतिक, आर्थिक व मानवीय सभी पहलुओं के उन सभी तथ्यों को उनसे संबंधित महत्वपूर्ण बिंदुओं का एक ‘सूचना बैंक’ बना लेनी चाहिए एवं उन तथ्यों को मानचित्र के आधार पर निरंतर अभ्यास किया जाना चाहिए। 

उदाहरण के लिए भूगोल प्रश्न-पत्र-1 के भौतिक भूगोल अध्ययन के क्रम के विभिन्न नदियों, पर्वतों, झीलों, अंतःसागरीय आकृतियों, जलसंधियों, खाड़ियों, समुद्री जलधाराओं, घासभूमियों, जलवायु प्रदेशों आदि से संबंधित सूचनाएं आती रहती हैं,

जिनका मानचित्र पर अभ्यास अपेक्षित है एवं उनसे संबंधित महत्वपूर्ण बिन्दुओं को जानना भी आवश्यक है। 

इसी प्रकार द्वितीय प्रश्न-पत्र के आर्थिक पहलू के अध्ययन क्रम में महत्वपूर्ण खनन केंद्र, औद्योगिक केंद्र, बंदरगाह, राष्ट्रीय राजमार्ग, हवाई अड्डे आदि के बारे में कहा जा सकता है। 

मानचित्र कार्य में शुद्धता का काफी महत्व है।

सामान्य अध्ययन, निबंध व साक्षात्कार हेतु भूगोल विषय की भूमिका

वस्तुतः किसी भी देश की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक परिस्थितियां ही नहीं, वरन् उसका ऐतिहासिक विकास भी उसके भौगोलिक परिदृश्य से निर्धारित होता है। 

अतः भूगोल विषय का अध्ययन आपके दृष्टिकोण को व्यापक बनाता है, जिससे आप विभिन्न घटनाक्रमों को प्रेरित करने वाले कारकों को समझ सकने की वैज्ञानिक दृष्टि पाते हैं। 

यह दृष्टि आपको न सिर्फ सामान्य अध्ययन, वरन् निबंध लेखन व साक्षात्कार में भी अच्छे अंक लाने में सहयोग प्रदान करता है। 

आजकल तो निबंध में भी सीधे भूगोल से जुड़े एक टॉपिक के आने की प्रवृत्ति देखने में आ रही है।

भूगोल के अध्ययन से प्रारंभिक परीक्षा में जहां आप स्वयं सामान्य अध्ययन के लगभग 30 प्रश्नों को कर सकने में सहज रूप से सक्षम पाते हैं, वहीं मुख्य परीक्षा में भी आप स्वयं को हर तरह से बेहतर स्थिति में पाते हैं। 

सामान्य अध्ययन के खंड ‘भारत का भूगोल’ के प्रश्नों के अलावा भी भूगोल विषय से संबंधित प्रश्न प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा में आते रहे हैं। 

उदाहरण के लिए ‘समसामयिक राष्ट्रीय प्रश्न और सामाजिक प्रासंगिकता के विषय’ के अनेक प्रश्न भूगोल से सीधे संबंध रखते हैं। ये हैं जनसांख्यिकी एवं मानव संसाधन तथा संबंधित समस्याएं, पर्यावरण संबंधी प्रश्न, पारिस्थितिकी रक्षण, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण। 

सामान्य अध्ययन के पाठ्यक्रम में उल्लिखित भारत का भूगोल एवं उपरोक्त वर्णित शीर्षक के अंतर्गत कुल मिलाकर 75 से 90 अंकों तक के प्रश्न आते हैं।

सामान्य अध्ययन प्रश्न-पत्र-2 के ‘भारतीय अर्थव्यवस्था’ खंड के अंतर्गत भी अब तक पूछे गये अनेक प्रश्न, भूगोल विषय से संबंधित रहे हैं।

मुख्य परीक्षा हेतु भूगोल विषय के प्रश्न-पत्रों का संभावित प्रारूप

किसी भी विषय में केवल संभावित प्रश्नों का चयन कर सिर्फ उसे ही तैयार करना कभी भी खतरे से खाली नहीं माना जाता। 

अतः यहां सुझाव है कि महत्वपूर्ण प्रश्नों का नहीं, वरन उन अध्यायों का चयन किया जाये जो अधिक अंकदायी हों एवं जिन्हें तैयार कर लेने पर किसी भी प्रश्न के छूटने का कोई जोखिम नहीं रहे। 

इसके लिए उपयुक्त अध्यायों का अध्ययन अपेक्षित है, जैसा कि पहले की चर्चा की जा चुकी है। 

इससे आप न सिर्फ अच्छे अंक हासिल कर सकेंगे, वरन बिल्कुल कम समय में पाठ्यक्रम के लगभग 60ः भाग की तैयारी करके पूर्णतः सुरक्षित हो सकेंगे। 

इस प्रकार चुने हुए अध्यायों अध्ययन की सलाह करना चाहिए, न कि चुने हुए प्रश्नों का। 

फिर भी वर्ष 1999 से पिछली परीक्षा के बीच आये प्रश्नों के वस्तुनिष्ठ व वैज्ञानिक विश्लेषण के आधार पर आने वाली मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्नों का प्रारूप तैयार किया जा सकता है।

भूगोल में अच्छे अंक कैसे लाएं

वैसे तो सिविल सेवा परीक्षा के लिए अपने दोष को छिपा पाना एक मुश्किल कार्य है, फिर भी भूगोल विद्यार्थियों को यह इजाजत देता है कि वे अपनी कुछ गलतियों को छिपा सकें। 

भूगोल का स्वरूप विविध एवं बहुआयामी है।
यह विभिन्न खंडों एवं विषयों से बना है, जो अलग-अलग और विविध विषयों से लिए गये हैं। 

अलग-अलग विषयों के अपने लाभ, हानि और विशेषताएं हैं। 

भूआकृति विज्ञान में भाषा संबंधी दक्षता को उजागर किया जा सकता है जहां भाषा, विश्लेषणात्मक क्षमता, आरेख निर्माण इत्यादि गुण नहीं हैं, तो उन्हें छिपाया जा सकता है जैसे आर्थिक भूगोल एवं मॉडल सिद्धांत।

साथ ही साथ कुछ ऐसे खंडों के ऊपर विशेषीकरण किया जा सकता है, जो सामान्य अध्ययन में भी मदद कर सकें। 

प्रथम और द्वितीय दोनों प्रश्नों में ऐसी रणनीति के सहारे सामान्य अध्ययन की तैयारी भी इस हद तक हो सकती है कि विज्ञान प्रौद्योगिकी, समाजिक मुद्दे और अर्थशास्त्र में 100 से भी अधिक अंकों के प्रश्नों का उत्तर दिया जा सकता है।

अंततः भूगोल में एक बात का ध्यान देना अधिक आवश्यक है। इस बात को सामान्य विद्यार्थी नहीं समझ पाते। 

भूगोल और दूसरे किसी भी वैकल्पिक विषय के संदर्भ में हमेशा भूगोल से ही प्रांरभिक परीक्षा की तैयारी करनी चाहिए। 

इसके बहुत से कारण है, जिनमें निम्न मुख्य हैं: 

➡️ सिर्फ भूगोल ही ऐसा विषय है, जो 400 अंक दिला सकता है।

➡️ संकल्पनात्मक होने के कारण प्रारंभिक परीक्षा की तैयारी का लाभ मुख्य परीक्षा में अधिक मिलेगा और ऐसे विद्यार्थियों को 30-40 अंक का लाभ हो सकता है। ऐसा लाभ अन्य विषयों में नहीं मिला।

➡️ भूगोल प्रारंभिक परीक्षा की दृष्टि से इतिहास के बाद दूसरा सबसे सुरक्षित विषय है।

ध्यातव्य है कि सही रणनीति ही बेहतर सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है। इसके लिए जरूरी है समुचित व श्रेष्ठ मार्गदर्शन की।

विषय की तैयारी

पाठ्य सामग्री की उपलब्धता

1. पाठ्य सामग्री, पुस्तक एवं लेख की उपलब्धता आवश्यक है। इसके लिए मार्गदर्शक से पर्याप्त मदद ले सकते हैं। 

2. विभिन्न प्रकार के रिपोर्ट का समावेश उत्तर लिखने के क्रम में करने पर उत्तर की विश्वसनीयता बढ़ती है। 

3. समाचार पत्रों के उद्धरण तथा तथ्यों का यथोचित उपयोग आवश्यक है। 

4. भूगोल विषय पर आने वाली मासिक पत्रिका "भूगोल और आप" से अपडेट रहना जरूरी है।

5. देश और दुनिया की स्थिति जानने के लिये एटलस का अध्ययन लाभदायक सिद्ध होगा।

उच्च कोटि के विश्वसनीय नोट्स (उत्तर) की तैयारी

1. प्रत्येक प्रश्न की एक आदर्श रूपरेखा होती है, जिसे प्रश्न को देखकर तुरंत निश्चित करना होता है।

2. प्रश्न से संबंधित उन मुद्दों का समावेश होना चाहिए जो राष्ट्रीय अथवा अंतर्राष्ट्रीय रूप से समाचार में रहे हो।

3. उत्तर लिखने के दौरान आंकड़ों एवं तथ्यों का डायग्राम एवं मानचित्र के रूप में प्रदर्शन उत्तर को प्रभावी बनाता है।

4. उत्तर भाषात्मक तथा अवधारणात्मक दोषों से मुक्त हो। 

परीक्षा हॉल में प्रश्नोत्तरों की प्रस्तुति

1. परीक्षा के दौरान प्रथम दो प्रश्नों का उत्तर लिखें जिसमें पर्याप्त ग्राफ, डायग्राम, मानचित्र आदि हो तथा जिसके लिखने का पूरा अभ्यास हो। 

2. तीसरे प्रश्न के रूप में एक छोटा उत्तर देना आवश्यक है। इसलिए ऐसे प्रश्न का उत्तर लिखें जो अवधारणात्मक हो तथा जिसमें ग्राफ, मानचित्र आदि हों।

3. चौथे प्रश्न के रूप में मानचित्र तथा पांचवें प्रश्न के रूप में लघुनिबंधात्मक प्रश्नों का उत्तर देना उचित है। 

4. भाषा तथा विचार में स्पष्टता हो।

5. लिखावट का पर्याप्त अभ्यास हो ताकि उत्तर पत्र प्रभावी दिखे। 

अनुशंसित पुस्तकें
🔸भारत का भूगोल : आर सी तिवारी,
                               एस रामकांगस
🔹विश्व भूगोल: वाणी प्रकाशन एस के ओझा,
         वर्ड ज्योग्राफी वर्क बुक एस रामकांगस
🔸भौतिक भूगोल: सविन्द्र सिंह 
🔹पर्यावरण भूगोल: सविन्द्र सिंह, परीक्षा वाणी 
🔸हिंदू का पर्यावरण सर्वेक्षण रिपोर्ट
🔹भौगोलिक विचारधरा: माजिद हुसैन 
🔸मानव भूगोल: बी सी जाट/जगदीश सिंह
🔹जनसंख्या भूगोल: वी.पी. पांडा 
🔸बस्ती भूगोल व नगरीय भूगोल: बंसल 
🔹आर्थिक भूगोल: काशीनाथ एवं जगदीश सिंह 
🔸राजनीतिक भूगोल: दीक्षित
🔹एनसीईआरटी की 6वीं से 12वीं तक की पुस्तकें

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 पं० अमित कुमार शुक्ल "गर्ग"

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