भारत के लिये हिन्द महासागर का महत्व।
हिन्द महासागर विश्व का तीसरा बड़ा महासागर तथा विश्व का दूसरा छोटा महासागर है ।
इसकी आकृति अंग्रेजी के (M) जैसी है।
यह विश्व का सबसे गर्म महासागर भी है।
इसकी स्थिति विषुवत रेखा के दोनों ओर लगभग उष्ण कटिबंध में है।
भारत के भौगोलिक ,राजनीतिक प्रारूप को प्रभावित करने में हिन्द महासागर का योगदान सर्वाधिक उल्लेखनीय है।
यह दक्षिणी एशिया को एक भौगोलिक इकाई के रूप में परिवर्तित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अगर देखा जाय तो हिमालय और हिन्द महासागर ने भौगोलिक रूप से भारत के अस्तित्व के लिये संजीवनी का कार्य किया है।
हिन्द महासागर का नामकरण भी सम्भवतः हिंदुस्तान के नाम पर ही किया गया।
हिन्द महासागर प्राचीन काल से ही आर्थिक व्यापार के लिये समुद्री मार्ग का केंद्र रहा है।
स्वेज नहर के निर्माण के बाद यह यूरोप और एशिया के बीच अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की जीवन रेखा के रूप में उभरा है।
आर्थिक ,व्यापारिक, और भूराजनीतिक दृष्टि से इसका उत्तरी भाग ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।
हिन्द महासागर का अधिकांश क्षेत्र वर्ष भर परिवहन योग्य रहता है क्योंकि कहीं भी शीत के कारण बर्फाच्छादन नही होता है।
अन्य महासागरों की तरह यह हिन्द महासागर भी खनिज और शक्ति संसाधनों का स्त्रोत है।
वर्तमान व्यापार युग मे हिन्द महासागर का महत्व और बढ़ गया है क्योंकि इसके उत्तर में सघन आबादी वाले देश अवस्थित हैं जो विश्व के बड़े उपभोक्ता बाजारों में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
भारत भी वृहद उपभोक्ता बाजार देश है।
हिन्द महासागर के कारण दक्षिणी और दक्षिणी-पूर्वी एशिया में मानसूनी वर्षा होती है जो यहाँ के जनजीवन और संस्कृति को प्रभावित करती है।
हिन्द महासागर की लहरों से ऊर्जा प्राप्त करने के लिये भारत ने अनुसंधान की व्यापक योजना तैयार की है।
भारत की प्रायद्वीपीय स्थिति हिन्द महासागर में उसके उसके महत्व को स्पष्ट कर देती है।
हिन्द महासागर भारत के लिये कैसे व्यापारिक, आर्थिक,भूराजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है आइए जानते हैं।
व्यापारिक महत्व:-
भारत का अन्य देशों के साथ अधिकांश व्यापार समुद्री मार्ग के द्वारा ही होता है। इस लिये यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिये बहुत ही महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग है।
स्वेज नहर के निर्माण के बाद हिन्द महासागर का महत्व और भी बढ़ गया है जिससे यूरोप और एशिया के व्यापार में तेजी आई है। इस लिए इस मार्ग को यूरेशियाई समुद्री व्यापार का लाइफलाइन कहा जा सकता है।
आर्थिक महत्व:-
हिन्द महासागर के बॉम्बे हाई क्षेत्र और खम्भात की खाड़ी क्षेत्र में मिलने वाले पेट्रोलियम, व प्राकृतिक गैस भारत के लिये आर्थिक रूप से बहुत ही महत्वपूर्ण है।
हिन्द महासागर में समुद्री लहरों से ऊर्जा प्राप्त करने का कार्य भी भारत मे चल रहा है।
एक सर्वे के अनुसार कच्छ की खाड़ी, खम्भात की खाड़ी और सुंदरवन डेल्टा में लहरों से विद्युत उत्पादन की पर्याप्त सम्भावनायें हैं। तथा इस दिशा में कार्य भी चल रहा है।
भारत मे हिन्द महासागर के तटवर्ती क्षेत्रो में तथा द्वीपों के किनारे मछली पकड़ने का कार्य किया जाता है।
भूराजनीतिक महत्व:-
पूरे विश्व के संदर्भ में अगर बात की जाय तो हिन्द महासागर की भौगोलिक स्थिति भूराजनीतिक दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण है।
हिन्द महासागर का उत्तर -पश्चिमी भाग पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस संसाधन का क्षेत्र है जिसके कारण विश्व की सारी महाशक्तियां रुचि ले रहीं हैं।
इस पर सभी शक्तिशाली देशों की निगाह बनी हुई है इस लिये हिन्द महासागर भविष्य में व्यापार प्रतिस्पर्धा का सबसे बड़ा क्षेत्र बन सकता है।
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पं० अमित कुमार शुक्ल "गर्ग"
Amit Kumar Shukla
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