प्रत्यक्षवाद क्या है?
प्रत्यक्षवाद/वास्तविकवाद
यह एक दार्शनिक विचारधारा है जिसका प्रतिपादन 1830 के दशक में प्रसिद्ध फ्रांसिसी विद्वान ऑगस्ट काम्टे ने किया था।
ऑगस्ट काम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है इनकी पुस्तक 'पाजिटीव फिलास्पी एक दार्शनिक सोच पर आधारित पुस्तक है।
प्रत्यक्षवाद के अन्य नाम :- वास्तविकवाद,
वस्तुनिष्ठवाद, सकारात्मकवाद, आनुभाविकवाद
प्रत्यक्षवादियों ने 1830 के दशक में एक सम्मेलन का आयोजन किया जिसे वियना सर्किल के नाम से जाना गया।
प्रत्यक्षवाद के यथार्थ की स्थिति में "तथ्य स्वयं साधन बनते है "
प्रत्यक्षवाद के अनुसार- विवेक से,प्रमाणों से प्राप्त ज्ञान ही वास्तविक ज्ञान है।
प्रत्यक्षवाद की विशेषताएं
यह एक दार्शनिक विचारधारा है जो तर्क व अनुभव पर आधारित है।
इसमें तथ्यों को प्रेक्षण द्वारा परखा जाता है
प्रत्यक्षवाद धर्म और परम्पराओं के विरुद्ध खड़ी एक सोच है।
यह विचारधारा आदर्शवाद का विरोधी है।
इस विचार धारा के अनुसार हमारी इन्द्रीयां जो कुछ भी अनुभव करती है वही सत्य है, वही ज्ञान है, वही प्रत्यक्षवाद है।
यह विचारधारा वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित है।
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पं० अमित कुमार शुक्ल "गर्ग"
Amit Kumar Shukla
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C.S./G.A.S./Geography P.N.06/19,B.N.B+4 प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)
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