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फिजिक्स वाला के संस्थापक अलख पांडेय कैसे बने 8000 करोड़ रुपये के मालिक।

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फिजिक्स वाला के संस्थापक अलख पांडेय कैसे बने 8000 करोड़ रुपये के मालिक। कहा जाता है कि कुछ करने का जज्बा हो तो परिस्थितियां कैसी भी आएं लेकिन सफलता अवश्य मिलती है। ऐसी ही एक कहानी है प्रयागराज के अलख पांडेय जी की। जिन्होंने ने खड़ी कर दी 8000 करोड़ रुपये की 101 वीं यूनिकॉर्न कंपनी। अलख पांडेय का जीवन परिचय अलख पांडेय का जन्म 2 अक्टूबर 1991 को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के एक कस्बे साउथ मलाका में हुआ था इनके पिता का नाम सतीश पांडेय तथा माता का नाम रजत पांडेय है परिवार में अलख और इनके माता पिता के साथ साथ इनसे उम्र में बड़ी एक बहन भी है जिनका नाम अदिति पांडेय है। अलख पांडेय व उनके परिवार का संघर्ष/परिश्रम कहा जाता है कि जब अलख तीसरी कक्षा में थे तब उनका आधा घर बिक गया उस उम्र में उन्हें आभास हुआ कि परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है पिताजी सरकारी ठेकेदार थे इसलिए काम कभी आता,कभी नहीं आता, काम ठप्प हो जाने के बाद पिता ने सेल्समैन का काम शुरू किया  वे अपनी बेटी की लेडीबर्ड साइकिल लेकर बिस्किट, तेल और कॉस्मेटिक्स बेचने प्रयागराज के पीपलगांव जाया करते थे। एक-एक कर लगातार असफलताएं हाथ लग

Speed Test Geography (25)

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(01). दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र से दी गई उपयोगी वस्तुओं के निर्यात का (अवरोही क्रम में) सही अनुक्रम हैं- (A) ताड़ तेल - चीनी - रबर - नारियल (गरी) (B) रबर- नारियल (गरी) - ताड़ तेल - चीनी (C)   रबर - ताड़ तेल - चीनी - नारियल (गरी) (D) ताड़ तेल - रबर - नारियल (गरी) - चीनी उत्तर:- (B)  व्याख्या:- दक्षिण पूर्व एशिया के क्षेत्र से निर्यात की जाने वाली दी गयी वस्तुओं में पहला स्थान रबर का है ताड़ के तेल की अपेक्षा दक्षिण पूर्व एशिया के क्षेत्र में नारियल अधिक उगाया किया जाता है नारियल का निर्यात और उपभोग दोनों रूपों में ताड़ के तेल की अपेक्षा अधिक है। चीनी का उत्पादन के साथ-साथ अत्यधिक उपभोग होने के कारण निर्यात के मामले में यह चौथे स्थान पर है। अतः विकल्प B सही उत्तर है। (02). निम्नांकित में कौन-से कथन भारत की लेटेराइट मृदा के बारे में सही हैं? 1. लेटेराइट मृदाएँ प्राय: रंग में लाल होती हैं। 2. लेटेराइट मृदाओं में नाइट्रोजन तथा पोटाश भरपूर होता है। 3. ये राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश में पूर्णतया विकसित हैं। 4. इस मृदा में टैपियोका तथा काजू भली प्रकार पैदा होते हैं। नीचे दिए हुए कूट

हिंबा जनजाति परीक्षोपयोगी तथ्य।

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हिंबा जनजाति हिंबा जनजाति अफ्रीका महाद्वीप के दक्षिण पश्चिम में स्थित देश नामीबिया के उत्तरी भाग एवं उसके उत्तरी पड़ोसी देश अंगोला के दक्षिणी भाग पाई जाती है।  यह जनजाति एक आखेटक और संग्राहक जनजाति है। इसमे पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं अधिक श्रम करती हैं। यह जनजाति एकेश्वरवाद में विश्वास करती है तथा मुकुरू नाम के देवता की पूजा करती है। इनकी कुल अनुमानित आबादी 50,000 है। इस जनजाति की महिलाएँ हृष्टपुष्ट होती हैं। वे सुबह उठकर एक लाल रंग के स्थानीय पत्थर को घिसकर और उसमें चर्बी एवं मक्खन मिलाकर उसका लेप अपने पूरे शरीर पर सौंदर्य प्रसाधन के रूप में लगाती हैं। हिंबा जनजाति की महिलाएं अपने जीवनकाल में सिर्फ एक बार स्नान करती है वो भी अपने शादी के दिन। शुष्क जलवायु होने के कारण यहाँ पानी का कम उपयोग होता है। इस जनजाति का पुरूष एक से अधिक महिलाओं से शादी कर सकता है। इनके भोजन में बकरी एवं मुर्गे के मांस की प्रधानता है। पानी की कमी के कारण ये चमड़े का वस्त्र पहनते हैं ताकि उसे धोना न पड़े।  पीने के पानी के लिए बूढी महिलाएँ सुबह दूर-दूर तक जाती हैं। नई महिलाएँ 25-30 के परिवार क

भारत के निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र ,परीक्षोपयोगी तथ्य।

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भारत के निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र:- Export processing zone {EPZ} विनिर्मित वस्तुओं के निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए   भारत में 8 निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र की स्थापना की गई है।  जिनमें से 7 सार्वजनिक क्षेत्र में एवं एक निजी क्षेत्र में है। ये निम्नलिखित हैं- 1. काण्डला (गुजरात) 2. सान्ताक्रुज (मुम्बई) 3. फाल्टा (बंगाल). 4. नोएडा (उत्तर प्रदेश) 5. कोच्चि (केरल) 6. चेन्नई (तमिलनाडु). 7. विशाखापत्तनम (आन्ध्र प्रदेश) 8. सूरत (निजी क्षेत्र में) स्त्रोत- भारत वार्षिकी - प्रकाशन विभाग नियमित भर्तियों के विज्ञापन तथा भूगोल के New Updates की जानकारी प्राप्त करने के लिये नीचे दिए गए लिंक से जुड़ें। फ़ेसबुक के लिये लिंक 👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇 https://www.facebook.com/groups/285249377017310/?ref=share_group_link वाट्सएप के लिए लिंक 👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇 https://chat.whatsapp.com/LBEa6YIu5zM5rvWB0J5hsj टेलीग्राम के लिये लिंक 👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇 https://t.me/bhugolvetta   पिछले सभी टेस्ट सीरीज़ के प्रश्नोत्तर एवं उनकी व्याख्या सहित उत्तर के लिये नीचे दिए गए लिंक पर क्लि

बदल गया विश्व का सबसे लंबा रेलवे प्लेटफॉर्म।

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बदल गया विश्व का सबसे लंबा रेलवे प्लेटफॉर्म अ ब कर्नाटक का हुबली रेलवे प्लेटफॉर्म विश्व का सबसे लंबा प्लेटफॉर्म बन गया है इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने मान्यता दे दी है। गोरखपुर रेलवे प्लेटफॉर्म अब विश्व का दूसरा सबसे लंबा प्लेटफॉर्म होगा। परीक्षा की दृष्टि से उपयोगी तथ्य हु बली दक्षिण पश्चिमी रेलवे (SWR) का मुख्यालय है। हु बली रेलवे स्टेशन का प्लेटफॉर्म नम्बर 1 को विश्व का सबसे लंबा प्लेटफार्म बनाया गया है जिसकी लंबाई 1,505 मी. है। इसके पहले विश्व के सबसे लंबे प्लेटफॉर्म (वर्तमान में दूसरा सबसे लम्बा रेलवे प्लेटफॉर्म) गोरखपुर रेलवे स्टेशन का प्लेटफॉर्म नम्बर 1 था जिसकी लंबाई 1,366 मीटर है।  हु बली रेलवे स्टेशन कर्नाटक राज्य में है इस रेलवे स्टेशन का पूरा नाम श्री सिद्धारूढ़ स्वामी जी - हुबली जंक्शन है। हु बली रेलवे स्टेशन में 5 प्लेटफॉर्म हैं। अन्य महत्वपूर्ण जानकारी रेलवे सुरक्षा के लिये बनी समितियां शाहनवाज समिति - 1954 कुंजरू समिति - 1962 वांचू समिति - 1968 सीकरी समिति - 1978 खन्ना समिति - 1998 रेलवे पुनर्गठन सम्बन्धी समितियां प्रकाश टण्डन समिति - 1994 सैम पित्रोद

बड़ा बदलाव : UPPCS Mains से हटाए गए ऑप्शनल के विषय अब शामिल होंगे ये विषय।

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पीसीएस मेंस से ऑप्शनल सब्जेक्ट्स की अनिवार्यता समाप्त। स रकार ने सम्मिलित राज्य/प्रवर अधीनस्थ सेवा (पीसीएस) की मुख्य परीक्षा से वैकल्पिक विषय की अनिवार्यता समाप्त करने संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।  वै कल्पिक विषय की जगह अब उत्तर प्रदेश पर आधारित सामान्य अध्ययन के दो पेपर जुड़ेंगे। सा मान्य अध्ययन के 6 पेपर, अनिवार्य हिंदी और निबंध मिलाकर कुल 8 पेपर के आधार पर साक्षात्कार हेतु मेरिट लिस्ट तैयार की जाएगी। यह नियम प्रस्तावित परीक्षा योजना 2023 से लागू हो जाएगा। मा ना जा रहा है कि इससे स्केलिंग संबंधित विवाद समाप्त हो जाएगा।  गौरतलब है कि मुख्य परीक्षा में वैकल्पिक विषय की अनिवार्यता थी। इससे विज्ञान विषय के अभ्यर्थियों को मानविकी विषय के अभ्यर्थियों से ज्यादा अंक मिल जाते थे। फिर स्केलिंग के नाम पर अंक घटाए बढ़ाए जाने से किसी को फायदा तो किसी को नुकसान उठाना पड़ता था।  संभावित UPPCS मेंस परीक्षा 2023 का प्रारूप:- अगर आप चाहते है कि आपको आयोग व चयनबोर्ड की भर्तियों के विज्ञापन तथा भूगोल के New Updates मिलते रहें तो आप नीचे दिए गए लिंक का प्रयोग करके सीधे जुड़

गंगा नदी में बढ़ते प्रदूषण से पर्यावरण को खतरा।

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भा रत की पवित्र नदी गंगा में A श्रेणी के 29 शहर, B श्रेणी के 23 शहर तथा 48 उपनगर अपना सीवर विसर्जित करते हैं। यदि केवल A श्रेणी के शहरों के सीवर को गंगा में गिराने से रोक दिया जाय तो 80% प्रदूषण को रोका जा सकता है।  आ ज गंगा में 100 करोड़ लीटर अपशिष्ट जल प्रवाहित किया जाता है।  केन्द्रीय प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड के अनुसार गंगा नदी कानपुर में अत्यधिक प्रदूषित है क्योंकि यहाँ इसमें BOD की मात्रा 12.44 से 18.60 PPM , तक पाई जाती है। भा रत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अनुसार गंगा 23% प्रदूषित हो चुकी है। वैज्ञानिकों की एक रिपोर्ट के अनुसार गंगा के किनारे बसे प्रथम श्रेणी के 27 महानगरों की गन्दगी को गंगा में विसर्जित करने से भीषण जल प्रदूषण संकट उत्पन्न हुआ है।  का नपुर में गंगा मल-जल प्रवाह का माध्यम बन गई है। यहाँ सीवर व कूड़ा कचरा 13 नालों के द्वारा गंगा में पहुँचाया जाता है। फूलपुर (प्रयागराज) में इफ्को उर्वरक कारखाना प्रदूषित जल 5500 घन मीटर प्रति मिनट की दर से गंगा में विसर्जित करता है। गं गा नदी के जल के तापमान, क्षारीयता, कठोरता, क्लोर