जलवायु और उसका वर्गीकरण(Climate And Classification Of Climates)


जलवायु (Climate)
"दीर्घ कालीन मौसमी दशाओं को जलवायु कहते हैं।" 
अर्थात किसी विस्तृत क्षेत्र की औसत मौसमी दशाओं में होने वाले परिवर्तन, को उस स्थान की जलवायु कहा जाता है।
जलवायु में तापमान,वायुदाब,वर्षा,आर्द्रता,वायु की
गति आदि का योग होता है।
किसी स्थान की जलवायु अवस्थाओं को जानने के लिए एक विशिष्ट समयान्तराल को ध्यान में रखा जाता है। 
यह समयान्तराल सामान्यतः लगभग 31 वर्ष का होता है।

जलवायु को नियंत्रित करने वाले कारक:-
(1) अक्षांश
(2) तट से दूरी
(3) उच्चावच/ऊंचाई
(4) हवाएं
(5) महासागरीय धाराएं
(6) पर्वतीय ढाल

जलवायु को प्रभावित करने वाले उपर्युक्त कारकों के आधार पर विश्व की जलवायु को वर्गीकृत किया गया है।

जर्मनी के प्रसिद्ध जलवायुवेत्ता ब्लादिमीर कोपेन द्वारा दिया गया जलवायु का वर्गीकरण सर्वत्र स्वीकृत है।

जलवायु के प्रकार

उष्णकटिबन्धीय वर्षा वन जलवायु

यह भूमध्यरेखीय जलवायु या सेल्वास भी कहलाती है। 
ऐसी जलवायु 0° से 10° उत्तरी-दक्षिणी अक्षांश पेटियों के बीच पायी जाती है।

यहाँ पर दिन रात लगभग बराबर होते हैं तथा औसत तापमान 24℃ से 27℃ होता है। जिसमे सबसे ठंडे महीने का तापमान 18℃ से अधिक होता है।

दिन-रात के तापमान में अन्तर वार्षिक तापमान में अन्तर से ज्यादा होता है तथा रात लगभग सर्दी भरी होती है।
 
यहाँ लगभग प्रतिदिन दोपहर 2 से 3 बजे के बीच संवहनीय वर्षा होती है। वार्षिक वर्षा लगभग 250 सेमी है।

यहाँ चौड़ी पत्तियों वाले सदाबहार वन मिलते हैं इन वनों को विश्व का फेफड़ा कहते हैं।

इस जलवायु के क्षेत्रों में महोगनी, सिनकोना, गटापार्चा, आबूनस, बांस, रबर, क्वेवेक्रो ( सबसे कठोर लकड़ी वाला वृक्ष ),आयरनवुड आदि वृक्ष मिलते हैं।

इसमें अन्य सभी जलवायु प्रदेशों से ज्यादा वनस्पति और जन्तु मिलते है।

इस जलवायु के अंतर्गत के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र अमेजन बेसिन, कांगो बेसिन एवं इण्डोनेशिया, मलेशिया हैं।


मानसूनी जलवायु

यह जलवायु प्रदेश 10° से 30° उत्तरी और दक्षिणी अक्षांश के बीच दोनों गोलार्द्धों में पाया जाता है।

मानसूनी हवाएँ इस जलवायु की प्रमुख विशेषता है।

मानसूनी जलवायु वाले क्षेत्रों में वर्षा मौसम पर आधारित है। अधिकतर वर्षा गर्मियों में होती है।
इस जलवायु वाले क्षेत्रों में लगभग 200 सेमी वार्षिक वर्षा होती है।

इस जलवायु प्रदेश में पर्णपाती वन पाए जाते हैं जिसकी वनस्पतियां पतझड़ी प्रकृति की होती है।

साल, सागौन, शीशम, आम, महुआ, नीम, जामुन आदि वृक्ष इस जलवायु क्षेत्र में पाए जाते हैं।


उष्णकटिबन्धीय सवाना/सूडान तुल्य जलवायु

यह जलवायु 10° से 20° उत्तरी और दक्षिणी अक्षांशों के बीच महाद्वीपों के आंतरिक भाग में पाई जाती है।

इसमें वार्षिक वर्षा लगभग 150 सेमी होती है।

तापमान सामान्यतः ऊँचा औसतन 25℃ रहता है।

इस जलवायु की विशेषता उष्णकटिबन्धीय और उपोष्ण अक्षाशों में पाये जाने वाले घास के मैदान हैं।

इसमें लम्बी झाड़ियाँ एवं लम्बी जड़ों वाले वृक्ष मिलते हैं।


उष्ण कटिबन्धीय व उपोष्ण मरुस्थलीय जलवायु

इसका विस्तार 15° से 30° उत्तरी और दक्षिणी अक्षांशों के बीच है।

ये व्यापारिक पवन पेटियों में स्थित होते हैं एवं महाद्वीपों के पश्चिमी किनारों पर मिलते हैं।

इस जलवायु के क्षेत्रों में सूर्य के प्रकाश की अधिकता होती है क्योंकि आकाश साफ रहता है।

इसलिए यहाँ औसत वार्षिक तापमान उच्च रहता है।
इसमें दिन रात-रात के तापमान का अन्तर सबसे ज्यादा है।

जीरोफाइट (Xerophytic) प्रकृति की वनस्पति जैसे-नागफनी, खजूर इस जलवायु के क्षेत्रों की प्रमुख विशेषता है।


मध्य अक्षांशीय मरुस्थलीय (स्टेपी) जलवायु

यह जलवायु 35° से 50° उत्तरी-दक्षिणी अक्षांशों के बीच मिलती है।

गर्म रेगिस्तानों के विपरीत इनमें सर्दियाँ बड़ी ठण्डी होती हैं।

यह जलवायु महाद्वीपों के आंतरिक भागों में पाई जाती है।

इसमें शाक वनस्पति (Shrubs) एवं घास की प्रचुरता रहती है। इस कारण ये घास के मैदान के रूप में जाने जाते हैं।

इन्हें अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है। 
जैसे -
प्रेयरी (Prairies) - उत्तरी अमेरिका
पम्पास (Pampa) - दक्षिणी अमेरिका
वेल्ड (Veldt) – दक्षिणी अफ्रीका
स्टेपीज (Steppes) - यूरेशिया
पुस्ताज (Postaz) - हंगरी
केन्टरबरी (Canterbury) - न्यूजीलैंड


भूमध्यसागरीय जलवायु

यह जलवायु 30° से 40° उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों के बीच महाद्वीपों के पश्चिमी तटों पर मिलती है।

इस जलवायु में ग्रीष्मकाल शुष्क व शीतकाल आर्द्र रहता है तथा शुष्क ग्रीष्मकाल को सहन करने वाली वनस्पति पायी जाती है जो 'मोटी छाल व लम्बी जड़युक्त' होती हैं। 

इस जलवायु वाले क्षेत्रों में अंगूर ,नींबू तथा अन्य खट्टेदार फलों की खेती की जाती है।
इस क्षेत्र में छोटी, शुष्क झाड़ियाँ भी मिलती है, जिन्हें अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है।
जैसे:-
 USA में चैपरल, यूरोप में माक्वी, चिली में मोंटाना आदि।
इस जलवायु के प्रमुख वृक्ष ओक, मेपुल, साइप्रस, चेस्टनट, वालनट आदि हैं।


चीन तुल्य जलवायु

यह जलवायु महाद्वीपों के पूर्वी किनारों पर 25° से 40°उत्तरी तथा दक्षिणी अक्षांशो के बीच मिलती है।

चीन तुल्य जलवायु वाले क्षेत्रों में वर्ष भर वर्षा होती है किंतु शीत काल की अपेक्षा ग्रीष्म काल मे अधिक होती है।

यहाँ औसत वार्षिक तापमान उच्च रहता है तथा
वार्षिक वर्षा लगभग 120 सेमी. होती है।

इस जलवायु वाले क्षेत्रों में मिश्रित वन पाए जाते हैं विशेष कर कोणधारी चौड़ी पत्ती वाले वन।


पश्चिमी यूरोप तुल्य जलवायु

यह जलवायु 40° से 65° उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांशों के मध्य महाद्वीपों के पश्चिम भाग में मिलती है।

इस जलवायु के क्षेत्रों में ग्रीष्मकाल का तापमान लगभग 15℃ से 18℃ तथा शीतकाल का तापमान लगभग 2℃ से 10℃  होता है।

इस जलवायु वाले क्षेत्रों में शीतकाल के समय अधिक वर्षा होती है।

इस जलवायु वाले क्षेत्रों में चौड़ी पत्ती शीतोष्ण वन पाए जाते हैं।

प्रमुख वृक्ष:- हेमलॉक, स्प्रूस, फर आदि।

टैगा जलवायु

यह जलवायु 50° से 70° उत्तरी अक्षांश में पाई जाती है।

इस जलवायु वाले क्षेत्रों में ग्रीष्म काल छोटी व ठण्डी होती है तथा शीतकाल में तापमान हिमांक से नीचे रहता है।

इस जलवायु के क्षेत्रों में औसत वार्षिक वर्षा लगभग 50 सेमी होती है।

कोणधारी वन इस जलवायु में पाए जाते हैं।

टुंड्रा जलवायु

यह जलवायु ध्रुवीय प्रदेशों में दोनों गोलार्द्धों में पाई जाती हैं जहाँ वर्ष भर तापमान न्यूनतम रहता है तथा वर्षा 30 सेमी. से कम होती है।

इस जलवायु के क्षेत्रों में प्रचंड ध्रुवीय हवाएं (ब्लिजार्ड)  चलती हैं।

यहाँ लाइकेन (Lichens) एवं मॉस (Mosses) सामान्य रूप से मिलते हैं।

उच्चभूमि/पर्वतीय जलवायु

यह जलवायु पर्वतीय भागों में पायी जाती है तथा इसके निर्धारण में ऊँचाई, ऊँर्ध्वाधर प्रवणता, आकार आदि मुख्य कारक होते हैं।


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 पं० अमित कुमार शुक्ल "गर्ग"

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