शीत निष्क्रियता एवं ग्रीष्म निष्क्रियता क्या है?
शीत निष्क्रियता और ग्रीष्म निष्क्रियता
शीत निष्क्रियता
शीत काल के समय अत्यधिक ठंडे और शुष्क वातावरण में अक्रिय अवस्था मे जाकर समय बिताने की अवस्था को शीत निष्क्रियता कहते हैं।
अर्थात शीत काल को सुसुप्तावस्था में बिताना शीत निष्क्रियता कहलाता है।
इसमे जीव जंतुओं की शारिरिक क्रियाएँ मंद पड़ जाती हैं।
इसमे जीव जंतु अपने आप को ठंड से बचाने के लिये गुफा, खौह, बिल आदि जगहों पर चले जाते हैं।
शीत निष्क्रियता दर्शाने वाले जीव:-
चमगादड़, कंगारू, रोडेंट भालू आदि
ग्रीष्म निष्क्रियता
ग्रीष्म काल के शुष्क और उष्ण वातावरण में कुछ जीव जंतु अक्रिय/निष्क्रिय अवस्था मे चले जाते हैं।
इसमे गर्मी से बचने के लिये जीव जंतु अन्य जगहों पर चले जाते है और वहीं समय बिताते है जिसे ग्रीष्म निष्क्रियता कहते हैं।
ग्रीष्म निष्क्रियता दर्शाने वाले जीव:-
उत्तरी अमेरिका के मरुस्थलीय कछुए,मगरमच्छ, सैलामैंडर,गिरगिट,हेजहॉग (स्तनधारी) केंचुआ,घोघा, मधुमक्खी,अफ्रीकन लँगफिश,ग्रेटर सिरेन (उभयचर)
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पं० अमित कुमार शुक्ल "गर्ग"
Amit Kumar Shukla
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C.S./G.A.S./Geography P.N.06/19,B.N.B+4 प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)
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