कटिबन्ध


कटिबन्ध
प्रत्येक गोलार्द्ध को ताप के आधार पर कई भागों में बांटा गया है। इन भागों को कटिबन्ध कहते हैं। ये निम्न है :-

शीत कटिबन्ध :-
साढ़े 66 अंश से 90 अंश उत्तर एवं साढ़े 66 अंश से 90 अंश दक्षिण का भाग शीत कटिबन्ध के अंतर्गत आता है।
यहाँ की जलवायु ठंडी होती है।
शीतोष्ण कटिबन्ध :-
साढ़े 23 से साढ़े 66 अंश उत्तर एवं साढ़े 23 से साढ़े 66 अंश दक्षिण का क्षेत्र शीतोष्ण कटिबन्ध कहलाता है। अर्थात
शीत + उष्ण =शीतोष्ण।

उष्ण कटिबन्ध :-
साढ़े 23 अंश उत्तर से साढ़े 23 अंश दक्षिण का भाग को उष्ण कटिबन्ध के अंतर्गत किया गया है।
विश्व की अधिकांश जनसंख्या इसी कटिबन्ध में निवास करती है।
विश्व में पृथ्वी के फेफड़ा कहे जाने वाले त्रिस्तरीय वन भी इसी कटिबन्ध में पाए जाते हैं।
यह कटिबन्ध मानव व जीव जंतुओं के लिए सबसे अनुकूल जलवायु रखता है।
यहाँ वर्ष में दो बार सूर्य शीर्ष पर चमकता है।

विषुवत रेखा
पृथ्वी के बीचोबीच से गुजरने वाली काल्पनिक अक्षांश रेखा है जो उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुव से बराबर दूरी पर होती है।
यह शून्य अंश की अक्षांश रेखा है।

विषुवत रेखा के उत्तरी भाग को उत्तरी गोलार्द्ध तथा दक्षिण भाग को दक्षिणी गोलार्द्ध कहते हैं।

विषुवत रेखा को ही भूमध्य रेखा कहते हैं।
विषुवत रेखा पर सूर्य 21 मार्च व 23 सितम्बर को लम्बवत चमकता है।

तथा सूर्य कर्क रेखा पर 21 जून को लम्बवत चमकता है।
साथ ही सूर्य मकर रेखा पर 22 दिसम्बर को लम्बवत चमकता है।

हमे आशा है आपको यह टॉपिक आसानी से समझ आ गई होगी।
अगर कोई जानकारी समझ मे न आई हो तो मुझे कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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धन्यवाद।

अमित कुमार शुक्ल "गर्ग"

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