जानिए क्या होता है ऊष्मा द्वीप (Heat Island)
ऊष्मा द्वीप (Heat Island)
औद्योगिक नगरों व महानगरों का तापमान आसपास के क्षेत्रों की तुलना में अधिक होता है। यहाँ पक्के मकान, सड़कें आदि जैसे कंक्रीट संरचनाओं की अधिकता व वनस्पति की कमी के कारण पार्थिव विकिरण ज्यादा होता है जो नगरीय वायुमंडल की ग्रीनहाउस गैसों द्वारा अवशोषित कर ली जाती है।
इनसे नगर का तापमान बढ़ जाता है तथा इन अपेक्षाकृत उच्च ताप वाले नगरों को ही ऊष्मा द्वीप कहा जाता है।
अथवा
नगरो के केन्द्रीय व्यावसायिक क्षेत्रों (Central Business Districts C.B.D) या चौक क्षेत्रों में वर्ष भर सामान्य रूप से मिलने वाला उच्च तापमान का क्षेत्र ऊष्मा द्वीप के नाम से जाना जाता है।
इसके कारण नगर विशेष तथा उसके चारों ओर स्थित ग्रामीण क्षेत्रों में तापीय विसंगति की स्थिति पायी जाती है।
तापमान के सम्बन्ध में यह उल्लेखनीय है कि सर्वाधिक ताप विषुवत रेखीय क्षेत्रों में न होकर कर्क तथा मकर रेखा के पास होता है, क्योंकि विषुवतरेखीय क्षेत्रों में आकाश बादलों से आच्छादित होने के कारण अधिक सूर्यातप प्राप्त नहीं कर पाता है, जबकि कर्क एवं मकर रेखा के पास आकाश साफ होने के कारण अधिक सूर्यातप प्राप्त करता है।
नगरीय जलवायु की समस्या के समाधान के लिए 'द इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर अरबन क्लाइमेट' का सातवां सम्मेलन 2009 में याकोहामा (जापान) में सम्पन्न हुआ जिसका मुख्य उद्देश्य नगरीय समस्याओं को दूर कर आने वाले दिनों में शहरी जीवन को और अधिक धारणीय एवं मानवानुकूल बनाना है।
ऊष्मा द्वीप के प्रभाव को कुशल शीतलन प्रणाली विकसित करके, इमारतों के साथ पौधा रोपण करके, परावर्तक रंगों के प्रयोग से फुटपाथ की सतह को ठंडा करके कम किया जा सकता है।
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पं० अमित कुमार शुक्ल "गर्ग"
Amit Kumar Shukla
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C.S./G.A.S./Geography P.N.06/19,B.N.B+4 प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)
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