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ग्लोबल वार्मिंग से पर्यावरण को खतरा

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ग्लोबल वार्मिंग ग्लोबल वार्मिंग अर्थात भूमंडलीय ऊष्मीकरण। अगर आसान शब्दो मे कहें तो इसका अर्थ है पृथ्वी का गर्म होना। ग्लोबल वार्मिंग को वैश्विक तापन, भूमंडलीय ऊष्मीकरण आदि नामों से जाना है। ग्लोबल वार्मिंग की समस्या वायुमंडल में मानव द्वारा छोड़ी जाने वाली हानिकारक गैसों जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, cfc, आदि गैसों से उत्पन्न होती है। इन गैसों की मात्रा लगातार बढ़ने से पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है ग्लेशियर पिघल रहे हैं। ग्लोबल वार्मिंग का  प्रभावी होना चिंताजनक विषय है।  ग्लोबल वार्मिंग की वजह से धरती का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है ।  ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव की वजह से वनस्पति, पेड़-पौधे ,जीव -जंतु के जीवन चक्र में भी काफी प्रभाव होता हुआ दिखाई दे रहा है। ग्लोबिंग वार्मिंग की वजह से जहां ग्लेशियरों का लगातार  पिघलना  जारी है वहीं लगातार समुद्र जल स्तर में वृद्धि भी होती हुई दिखाई दे रही है। यह भविष्य के लिए संपूर्ण मानव जाति के लिए  अच्छे संकेत नहीं है।  आमतौर पर ग्लोबिंग वार्मिंग का बढ़ना जहरीली गैसों का उत्सर्जन माना जा रहा है ।  ग्लोबल वार्मिंग होने की वजह

सेमाँग जनजाति के बारे में सटीक एवं नवीन जानकारी।

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सेमाँग जनजाति ' सेमाँग जनजाति' के लोग मलेशिया के उष्ण कटिबंधीय वनों में निवास करते हैं।             मध्य मलाया प्रायद्वीप के भूमध्यरेखीय जंगलों में रहने वाली इस आदिवासी समाज के लोग सेमाँग के नाम से जाने जाते हैं।  सेमाँग जनजाति निग्रिटो प्रजाति से सम्बंधित हैं।  थाईलैंड में इन्हें अँगो ango  के नाम से जाना जाता है।  गर्म आर्द्र जलवायु, सघन सदाबहार वन के कारण भौगोलिक परिस्थितियां प्रकृति से संघर्ष करने के अनुकूल नहीं हैं। फिर भी इस जनजाति के लोग प्रकृति के अनुरूप जीवन यापन को अभ्यस्त हो गए हैं या जीवन यापन करने की कला सीख गए है। नीचे दिये गये मानचित्र में सेमाँग जनजाति के निवास क्षेत्र को दर्शाया गया है। सेमाँग जनजाति की प्रमुख विशेषतायें सेमाँग अत्यंत पिछड़े लोग हैं।  इनकी समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति जंगलों से होती है।  यह जनजाति पूर्ण रूप से प्रकृति पर आश्रित होती है। यह सामान्यतः शाकाहारी होते हैं, लेकिन विशेष अवसरों पर भोजन में मांस भी सम्मिलित होता है।  स्त्रियां वृक्षों की छाल को वस्त्रों के रूप में पहनती हैं।  यह एक घुम्मकड़ी जनजाति है। घु

Geography Speed Test {07}

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Geography Speed Test {07}:- आज 7 वाँ स्पीड टेस्ट है जैसा कि पहले आपको बताया गया था कि प्रत्येक रविवार को 25 प्रश्नों का एक स्पीड टेस्ट होगा। इस टेस्ट में आपको हमेशा नए प्रश्न मिलेंगे। स्पीड टेस्ट के बाद आपको उसके नीचे उत्तर कुंजी मिलेगा जिससे आप मिलान कर सकते हैं। स्पीड टेस्ट को साल्व करने का तरीका:- (1) पहले अपने पास एक रफ की कॉपी एक दो अलग अलग रंगों की कलम रख लें। (2) उसके बाद क्रम से 1 से लेकर 25 तक प्रश्नों की संख्या लिख लें। (3) उसके बाद नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर को दूसरे रंग की कलम से प्रश्न के आगे सही ऑप्शन लिखते जाएं। उदाहरण:- प्रश्न संख्या 1 के आगे सही ऑप्शन B (4) उसके बाद फिर इसी वेबसाइट पर नीचे उत्तर कुंजी दिया गया है उससे सही उत्तर का मिलान कर लें। (5) उत्तर का मिलान करने के बाद आपके जो उत्तर गलत हो गए हैं उनको काट कर उनके सामने सही उत्तर वाला ऑप्शन लिखते जाएं। (6) और अंतिम में सही उत्तर की गिनती करें तथा अपना स्कोर कमेंट बॉक्स में बताएं। चलिये शुरू करते हैं:- 1 निम्न में से कौन सी नदी ज्वारनदमुख डेल्टा का निर्माण नहीं करती? A विशचुला  B सेन C अमेजन  D द.मीक

अंडमान की जरावा जनजाति के बारे में विस्तृत एवं नवीन जानकारी।

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अंडमान की जरावा जनजाति  यह जनजाति अभी भी इतनी पुरानी दुनिया में रह रही है कि यदि आजकल के आधुनिक लोग इनसे मिलें तो अचंभित हुए बिना नहीं रह पाएंगे। ये लोग पूरी तरह से प्रकृति की गोद में रह रहे हैं।  इन्हें नहीं पता कि टीवी, मोबाइल, हवाई जहाज क्या होता है और इसका क्या उपयोग हो सकता है। सरकार ने इस जनजाति को बाकी दुनिया से सिर्फ इसलिए अलग कर रखा है कि इनकी संस्कृति ना बिगड़े, अर्थात ये आदिम काल में ही जियें। भारत के अंडमान निकोबार द्वीप समूह में ऐसी जनजाति है जो पुरापाषाण युग मे जी रही है।  ये न तो आग से परिचित हैं न ही इनको खेती करना आता है।  भारत के अंडमान निकोबार द्वीपसमूह को केंद्र सरकार ने 1956 में इसे संरक्षित कर दिया।  यहां की सभ्यता "जरावा" शिकार कर अपना पेट पालती है , आम लोगों के लिए यह जनजाति एक अजूबा है।  अंडमान निकोबार द्वीपसमूह में इस समय मूल जनजाति से 6 से 7 समूह में पाए जाते है।  1 जरावा जनजाति 2 ओंगे जनजाति 3 ग्रेट अंडमनीज़ जनजाति 4 सेंटलिज जनजाति 5 सोमपेश जनजाति 6 बो जनजाति आज इनमें से केवल 4 जनजाति ही बची हुई है। सेनेटिल द्विप स

इसे पढ़ने के बाद परीक्षाओं में आर्थिक विकास से आये प्रश्न कभी ग़लत नही होंगे।

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आर्थिक विकास {Economic Development} प्रायः आर्थिक विकास , आर्थिक प्रगति, आर्थिक वृद्धि, व आर्थिक कल्याण का पर्यायवाची शब्दों के रूप में व्यवहार होता है। यह अनिवार्य रूप से परिवर्तन की प्रक्रिया है। यह मानवीय आवश्यकताओं एवं इच्छाओं की पूर्ति का एकमात्र साधन है। अल्पविकसित देशों में विद्यमान गरीबी, बेरोजगारी,  आर्थिक विषमता तथा बाजार सम्बन्धी अपूर्णतायें समाप्त करने का एकमात्र उपाय आर्थिक विकास ही है। मायर, बाल्डविन, साइमन कुजनेत्स, तथा यंग्सन ने आर्थिक विकास का अर्थ "वास्तविक आय में दीर्घकालिन वृद्धि" माना है। आर्थिक विकास से सम्बंधित कुछ विद्वानों की परिभाषायें निम्नलिखित है। "आर्थिक विकास का अर्थ प्रतिव्यक्ति उत्पादन में वृद्धि से लगाया जाता है।"                      -- आर्थर लुइस "आर्थिक प्रगति से आशय किसी समाज से सम्बंधित आर्थिक उद्देश्यो को प्राप्त करने की शक्ति में वृद्धि करना है।"                -- यंगसन "आर्थिक विकास से अभिप्राय , एक देश के समाज मे होने वाले उस परिवर्तन से लगाया जाता है जो अल्प विकसित स्तर से उच्च आर्थिक उपलब्धियो