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जानिए भ्रंश घाटी, रैम्प घाटी, ब्लॉक पर्वत और होर्स्ट पर्वत क्या होते हैं?

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भ्रंश घाटी (Rift Valley) इसका विकास तब होता है जब दो भ्रंश रेखाओं के बीच का चट्टानी स्तम्भ नीचे की ओर धंस जाता है। इस प्रकार की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब तनाव बल के कारण दो भूखण्ड विपरीत दिशाओं में खिसकते हैं। भ्रंश घाटियां लम्बी ,संकरी एवं गहरी होती हैं जिसे जर्मन भाषा मे Graben कहा जाता है। जॉर्डन की प्रसिद्ध भ्रंश घाटी समुद्र तल से भी नीची है। मृत सागर नामक झील इसी भ्रंश घाटी में स्थित है। विश्व की सबसे लंबी भ्रंश घाटी जॉर्डन घाटी से प्रारम्भ हो कर लाल सागर की बेसिन होते हुये जाम्बेजी नदी तक लगभग 5000 km की लम्बाई में विस्तृत है जिसमे न्यासा ,रुडोल्फ, टैंगानिका, एल्बर्ट एवं एडवर्ड झीलें स्थित हैं। कैलिफोर्निया की मृत घाटी भी समुद्र तल से नीची भ्रंश घाटी है। स्कॉटलैंड की मध्यवर्ती घाटी, द०ऑस्ट्रेलिया की स्पेन्सर की खाड़ी ,भारत की नर्मदा एवं दामोदर घाटियां आदि भ्रंश घाटियों के कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण हैं। रैम्प घाटी (Ramp Valley) इस घाटी का निर्माण उस स्थिति में होता है जब दो भ्रंश रेखाओं के बीच का स्तम्भ यथास्थिति में रहता है परन्तु समपीड़नात्मक बल के कारण किना

Geography Speed Test {1}

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Geography Speed Test {1}:- (1) रियूक्यू द्वीप समूह किन के बीच स्थित है? A जापान व द०कोरिया B जापान व रूस C जापान व चीन D जापान व ताइवान (2) इजराइल सहकारी छोटे किसानों को कहा जाता है? A किबुत्जियम B फवेल्स C मोशविम D टेलिविम (3) निम्न में से कौन स्थलरुद्ध राज्य नही है? A दक्षिण कोरिया B एण्डोरा C बोलिविया D लाओस (4) ओसांक क्या है? A एक स्थानीय हवा B एक तापमान C वर्षण का प्रकार D ओस (5) गहरे महासागरीय जमाव का मुख्य स्त्रोत है? A हिमनद B उल्का धूल C महासागरीय जीव D नदियां (6) भारत मे कुल कितने प्रमुख जीव भौगोलिक क्षेत्र है? A  7 B  8 C  9 D  10 (7) वायु का तापमान बढ़ने पर निरपेक्ष आर्द्रता -- A वही रहती है। B घटती है। C बढ़ती है। D अस्थिर रहती है। (8) सूर्य के दीप्तिमान सतह को कहते हैं? A प्रकाशमंडल B वर्णमंडल C सूर्य किरीट D सूर्य धब्बा (9) निम्नलिखित ग्रहों में से कौन सा वाह्य ग्रह है? A शुक्र B मंगल C युरेनस D पृथ्वी (10) किन चट्टानों में जीवाश्म पाए जाते हैं? A आग्नेय B अवसादी C कायान्तरित D पातालीय (11) सर्वाधिक विनाशकारी ज्वालामुखी है? A विशुवियस तुल्य B पिलीयन तुल्य C स्ट

जनसंख्या और संसाधन के बारे में क्या आपने पहले कभी यह पढ़ा है?

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जनसंख्या और संसाधन:- किसी प्रदेश में निवास करने वाले मनुष्यों और वहाँ उपलब्ध संसाधनों के पारस्परिक सम्बंधों के अनुसार मनुष्य की सामान्य जीवन दशा का निर्धारण होता है। विश्व मे जनसंख्या और संसाधनों के वितरण में अत्यधिक विषमता पाई जाती है। तीव्र जनसंख्या वृद्धि विकासशील देशों में हो रही है जबकि अधिकांश संसाधन जो जनसंख्या के निर्वाह के लिये आवश्यक है विकसित देशों में स्थित है। संसार के विकसित देशों में विश्व के लगभग 85% संसाधन स्थित है किंतु वहाँ विश्व की 25% जनसंख्या का ही निवास है। इसके विपरीत विकासशील देशों में मात्र 15% होते हुए भी वहाँ विश्व की लगभग 75% जनसंख्या पाई जाती है। संसाधन का अर्थ :- वह तत्व या स्त्रोत जो मानवीय उद्देश्यों तथा आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम है, संसाधन कहलाता है। संसाधन मानव के लिये उपयोगी होता है और मानवीय उपयोगिता ही संसाधन का विशिष्ट गुण है। किसी वस्तु या पदार्थ को संसाधन की श्रेणी में तभी रखा जा सकता है जब वह मनुष्य की किसी न किसी आवश्यकता या उद्देश्य की पूर्ति करता हो या करने में समर्थ हो। निर्माण प्रक्रिया के अनुस

चट्टानों के बारे में ऐसा सरल एवं स्पष्ट तथ्य आपको कहीं नही मिलेगा।

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चट्टानें (Rocks) :- भू पटल का निर्माण चट्टानों से हुआ है। चट्टान का सम्बंध कठोरता एवं कोमलता दोनों से होता है। लोवेक महोदय के अनुसार:-  "अपने पर्यारण का प्रतिफल होता है।" चट्टानों के प्रकार (Types of Rocks):- निर्माण विधि के आधार पर चट्टानें तीन प्रकार की होती हैं। (1) आग्नेय चट्टान (Igneous Rocks) (2) अवसादी/तलछटी/परतदार चट्टान (Sedimentary or Stratified Rocks) (3)रूपान्तरित/कायांतरित चट्टान (Metamorphic Rocks) {1} आग्नेय चट्टानें :- इनका निर्माण मैग्मा के ठंडा हो कर जमने एवं ठोस होने से होता है। चूंकि सर्वप्रथम इसी चट्टान का निर्माण हुआ अतः इसे प्राथमिक चट्टान भी कहा जाता है। ये चट्टानें रवेदार होती हैं। इनमें परत का अभाव होता है परन्तु जोड़ पाए जाते हैं। आग्नेय चट्टानों में जीवावशेषों के अभाव होता है। ये चट्टानें तुलनात्मक रुप से कठोर होती है एवं जल काफ़ी कठिनाई से जोड़ो के सहारे ही अंदर प्रविष्ट हो पाता है। उत्पत्ति स्थान की भिन्नता के आधार पर आग्नेय चट्टानों को दो भागों में विभाजित किया जाता है। 1 बहिर्भेदी आग्नेय चट्टान 2  अंतर्भेदी आग्न

द्वीप के बारे मे सबसे सटीक एवं नवीन जानकारी।

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द्वीप (Island):- चारो ओर से घिरा हुआ स्थलखण्ड द्वीप कहलाता है। द्वीप मुख्यतः 5 प्रकार के होते हैं। (1) विवर्तनिक उत्पत्ति:- भूगर्भिक हलचलों द्वारा भूमि के ऊपर उठने या नीचे धंसने से। जैसे:- ब्रिटिश द्वीप समूह, मेडागास्कर, आइसलैंड। (2) निक्षेपमूलक उत्पत्ति :- नदियों ,सागरों, हिमानियों के निक्षेपण से। जैसे:- माजुली द्वीप (ब्रह्मपुत्र नदी), गंगासागर, न्यू मूरे द्वीप (बंगाल की खाड़ी) (3) अपरदनमूलक अपरदन की क्रिया से बने चट्टानों के चारो ओर जल भर जाने से उत्पत्ति। जैसे:- बैफिन द्वीप (4) प्रवाल द्वीप मृत मूंगा के जमाव से निर्मित द्वीप प्रवाल द्वीप कहलाता है। जैसे:- लक्षद्वीप, मालदीव, हेयर द्वीप, बरमूडा, बहमास द्वीप आदि। (5) ज्वालामुखीय लावा के महासागरीय कटकों में निक्षेप से निर्मित द्वीप। जैसे:- बैरन द्वीप, नारकोंडम द्वीप, सिसली द्वीप, हवाई द्वीप। विश्व के प्रमुख द्वीप 1 ग्रीनलैंड          आर्कटिक महासागर (उत्तरी ध्रुव) 2 न्यू गिनी           प० प्रशांत महासागर 3 बोर्नियो            हिन्द महासागर 4 मेडागास्कर       हिन्द महासागर 5 बैफिन              उत्तरी ध्रुव सागर 6 स

चक्रवात के बारे में यह आपने कभी नही पढ़ा होगा।

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चक्रवात {Cyclone} :- जब वायुदाब में अंतर पड़ने के कारण केंद्र में निम्न वायुदाब का निर्माण हो जाता है एवं उसके चारों ओर उच्च वायुदाब रहता है तो वायु चक्राकार प्रतिरूप बनाते हुए उच्च वायुदाब से निम्न वायुदाब केंद्र की ओर तेजी से चलने लगती है इसे ही चक्रवात कहा जाता है। इस प्रकार चक्रवात सामान्यतः चलते फिरते निम्न दाब के केंद्र होते हैं जो चारो ओर से क्रमशः अधिक वायुदाब वाले समदाब रेखाओं से घिरे होते हैं। चक्रवात में वायु की चलने की दिशा उत्तरी गोलार्द्ध में घड़ी के सुइयों के विपरीत (Anti Clockwise) एवं दक्षिणी गोलार्द्ध में घड़ी की सुइयों के दिशा में (Clock Wise) होती है। चक्रवात में धरातलीय सतह पर हवाओं का अभिसरण होता है। उत्पत्ति क्षेत्र के आधार पर चक्रवात दो प्रकार के होते हैं:- (1) उष्ण कटिबंधीय चक्रवात (2) शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात (1) उष्ण कटिबंधीय चक्रवात जहाँ व्यापारिक और विषुवत रेखीय पछुवा हवाओं का अभिसरण होता है वही बनते हैं। अंतरा उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र (ITCZ) के सहारे दोनों गोलार्धों में 8 से 24 अंश अक्षांशों के बीच उत्पन्न चक्रवातों को उष्ण कटिबंधीय चक्रव

महासागरीय जल के तापमान के बारे में ऐसी जानकारी कहीं नही मिलेगी।

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महासागरीय जल का तापमान:- तापमान ऊष्मा का माप है। यह किसी वस्तु की गर्माहट एवं शीतलता को मापता है। तापमान महासागरीय जल का प्रमुख भौतिक लक्षण होता है। यह समुद्री जल की गतियों एवं उसके संचरण तथा उसकी विशेषताओं को नियंत्रित करता है। तापमान समुद्री जीव जंतुओं तथा वनस्पतियों के प्रकार को नियंत्रित करता है तथा उसके वितरण को प्रभावित करता है। समुद्री जल के तापमान में गहराई के साथ भिन्नता मिलती है। लेकिन सामान्यतः गहराई की ओर जाने पर तापमान में कमी आती है। महासागरों का सर्वाधिक तापमान सतह पर ही प्राप्त होता है। महासागरों का औसत तापमान 5 डिग्री सेंटीग्रेड से 33 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच रहता है। महासागरीय जल के तापमान को प्रभावित करने वाले कारक:- 1 अक्षांश महासागरीय जल सतह पर सर्वाधिक तापमान विषुवत रेखा पर मिलता है लगभग 26 डिग्री सेंटीग्रेड। विषुवत रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर यह घटता है। 2 प्रचलित पवनें/ठंडी एवं गर्म वायु राशियां प्रचलित पवनें सागरीय सतह के तापमान में देशांतरीय भिन्नता लाती हैं। 3 गर्म एवं ठंडी जलधारा धाराएं भी समुद्र के तापमान मे

नोट कर लो महासागरीय लवणता के इस टॉपिक से जरूर प्रश्न बनेगा।

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महासागरीय लवणता/खारापन:- यह समुद्री जल का प्रमुख भौतिक लक्षण है। सागरीय जल में घुले हुए पदार्थों के भार एवं सागरीय जल के भार के बीच का अनुपात सागरीय लवणता कहलाता है। इसे ग्राम , प्रति हजार ग्राम के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। खारापन समुद्री जल की गति तथा उसकी विशेषताओं को निर्धारित करता है। समुद्र की लवणता समुद्री जीव जन्तुओं एवं वनस्पतियों के प्रदेशो तथा उनके वितरण को निर्धारित करता है। समुद्री जल के खारापन से तात्पर्य उसमे घुले नमक की मात्रा से लिया जाता है। अधिक लवण युक्त सागर देर से जमता है। इसी प्रकार सागरीय जल का क्वथनांक सामान्य जल से ऊंचा रहता है। चैलेंजर अभियान 1884 के दौरान डिटमर ने यह पता लगाया कि समुद्री जल में 47 प्रकार के लवण घुले हुए हैं। समुद्र में लवणता का मुख्य स्त्रोत पृथ्वी है जहाँ से हवाओं तथा नदियों द्वारा समुद्र में लाई जाती है। महासागरों में औसत लवणता 35g प्रति हजार है। यानी यह 35/1000 है या 3.5% है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि 1kg समुद्री जल में 35g नमक की मात्रा है। महासागरीय जल में लवणता की प्रवणता को हेलोक्लाइन द्वारा दर्शाया जाता है।

जानिये TGT, PGT के निरस्त विज्ञापन के बाद आगे की रणनीति क्या होगी?

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उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने 18 नवंबर 2020 को टीजीटी व पीजीटी भर्ती का विज्ञापन किया निरस्त कर दिया। 29 अक्टूबर 2020 को यह विज्ञापन जारी किया गया था जिसमे चयन बोर्ड के द्वारा कुछ त्रुटियां हुई थीं। संजय सिंह व अन्य की याचिका पर 26 अगस्त को पारित सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर निरस्त कर दिया गया। एक ही परीक्षा में तदर्थ शिक्षक और फ्रेश अभ्यर्थियों को भिन्न भिन्न अंक देने की त्रुटिपूर्ण व्यवस्था में सुधार करने का हवाला दिया गया। तथा जीव विज्ञान विषय को विज्ञापन शामिल करने की भी बात कही गई है जो 29 अक्टूबर के जारी विज्ञापन में शामिल नही था। जीव विज्ञान के अनेक अभ्यर्थियों ने प्रयागराज में धरना प्रदर्शन किया जिसके बाद चयन बोर्ड द्वारा जीव विज्ञान को भी शामिल की बात कही गई थी जो अब नए संसोधित विज्ञापन में शामिल होगा। इस लिये TGT, PGT की विज्ञापन निरस्त होने से कोई भी अभ्यर्थी परेशान न हों। चयन बोर्ड ने जल्द ही नया विज्ञापन जारी करने की भी कही बात:- चयन बोर्ड ने जल्द ही नया संसोधित विज्ञापन जारी करने को कहा हैं जो नवम्बर लास्ट तक आने की संभावना है।