जनसंख्या और संसाधन के बारे में क्या आपने पहले कभी यह पढ़ा है?


जनसंख्या और संसाधन:-

किसी प्रदेश में निवास करने वाले मनुष्यों और वहाँ उपलब्ध संसाधनों के पारस्परिक सम्बंधों के अनुसार मनुष्य की सामान्य जीवन दशा का निर्धारण होता है।

विश्व मे जनसंख्या और संसाधनों के वितरण में अत्यधिक विषमता पाई जाती है।

तीव्र जनसंख्या वृद्धि विकासशील देशों में हो रही है जबकि अधिकांश संसाधन जो जनसंख्या के निर्वाह के लिये आवश्यक है विकसित देशों में स्थित है।

संसार के विकसित देशों में विश्व के लगभग 85% संसाधन स्थित है किंतु वहाँ विश्व की 25% जनसंख्या का ही निवास है।
इसके विपरीत विकासशील देशों में मात्र 15% होते हुए भी वहाँ विश्व की लगभग 75% जनसंख्या पाई जाती है।


संसाधन का अर्थ :-

वह तत्व या स्त्रोत जो मानवीय उद्देश्यों तथा आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम है, संसाधन कहलाता है।

संसाधन मानव के लिये उपयोगी होता है और मानवीय उपयोगिता ही संसाधन का विशिष्ट गुण है।

किसी वस्तु या पदार्थ को संसाधन की श्रेणी में तभी रखा जा सकता है जब वह मनुष्य की किसी न किसी आवश्यकता या उद्देश्य की पूर्ति करता हो या करने में समर्थ हो।

निर्माण प्रक्रिया के अनुसार संसाधन के मुख्यतः दो वर्ग होते हैं।

1 प्राकृतिक संसाधन

2 मानवीय या सांस्कृतिक संसाधन


संसाधनों का वर्गीकरण:-

(A) प्राकृतिक संसाधन

प्रकृति द्वारा उत्पन्न वे समस्त तत्व या तत्व समूह जो मनुष्य के लिये उपयोगी होते है प्राकृतिक संसाधन कहलाते हैं।

भूमि, जल , मिट्टी, खनिज, शैलें, प्राकृतिक वनस्पति, पशु, तथा ऑक्सीजन आदि गैसें प्राकृतिक संसाधन के उदाहरण हैं।

प्राकृतिक संसाधन किसी देशकाल में मानव संस्कृति की प्रगति की आधारशिला होते हैं।

उपलब्धि तथा वितरण के अनुसार जिम्मरमैन ने प्राकृतिक संसाधनों को 4 वर्गों में विभाजित किया है।



(1) सर्वसुलभ संसाधन

वे संसाधन जो सर्वत्र समान रूप से प्राप्त होते हैं जैसे वायु में ऑक्सीजन व नाइट्रोजन।

(2) सामान्य सुलभ संसाधन

जो संसाधन अधिकांश प्रदेशों में उपलब्ध होते हैं जैसे जल, कृषि योग्य भूमि, एवं मिट्टी।

(3) विरल संसाधन

जो संसाधन विश्व के कुछ ही सीमित क्षेत्रों में पाए जाते है जैसे सोना, चांदी, टिन, हीरा , कोयला, लोहा, पेट्रोलियम, यूरेनियम आदि।

(4) अद्वितीय संसाधन

ऐसे संसाधन जो विश्व मे किसी किसी स्थान पर ही मिलते हैं जैसे व्यापारिक क्रियोलाइट केवल ग्रीनलैंड में मिलता है।

जिम्मरमैन ने पदार्थ की उपयोगिता एवं सम्भाव्यता के अनुसार संसाधन को अन्य 4 वर्गो में विभाजित किया।

(1) अप्रयुक्त संसाधन
उस तत्व गुण या स्थिति को अप्रयुक्त संसाधन कहते है जो मनुष्य के लिये उपयोगी है किंतु उसका उपयोग अभी तक नही किया गया है।

(2) अप्रयोजनीय संसाधन

वह तत्व जिसे वर्तमान ज्ञान तथा तकनीक के आधार पर निकट भविष्य में उपयोग में नही लाया जा सकता उसे अप्रयोजनीय संसाधन कहते हैं।

(3) सम्भाव्य संसाधन

जिस तत्व या पदार्थ का उपयोग निकट भविष्य में किया जा सकता है उसे सम्भाव्य संसाधन कहते हैं।

(4) गुप्त संसाधन

ऐसे संसाधन जो वस्तुओं में गुप्त रूप में विद्यमान है अथवा जिनकी स्थिति के विषय मे सही ज्ञान नही है उसे गुप्त संसाधन कहते हैं जैसे वायुमंडल में स्थित गैसें सौर शक्ति आदि।

(B) मानव संसाधन

मनुष्य जो समस्त संसाधनों का उत्पादक तथा उपभोक्ता है स्वयं भी एक प्रमुख संसाधन है।

मनुष्य के लिये उपयोगीता ही संसाधन का प्रमुख गुण है और यह उपयोगीता किसी देश काल मे मानव ज्ञान और क्षमता पर निर्भर होती है।

वास्तव में मनुष्य का ज्ञान ही सबसे बड़ा संसाधन है जो किसी तत्व को मनुष्य के लिये उपयोगी बनाता है।

वे संसाधन जो मनुष्य के प्रयत्नों तथा कार्यो के परिणाम होते हैं उन्हें मानवीय संसाधन कहा जाता है।

मानव निर्मित भूदृश्य जैसे घर, गांव ,नगर ,सड़कें, रेलमार्ग, वाहन, पुल, कल कारखाने, बांध आदि। प्रमुख मानवीय संसाधन है।

मनुष्य प्राकृतिक तत्वों में परिवर्तन करके अथवा उनके उपयोग से नवीन पदार्थों का निर्माण करके विविध प्रकार के तत्वों एवं भूदृश्यों का  निर्माण करता है।



कल फिर मिलेंगे नए महत्वपूर्ण टॉपिक के साथ।

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अमित कुमार शुक्ल
Blogger/C.S./G.A.S./Geography
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)

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