बादल (Clouds) से सम्बंधित परीक्षोपयोगी तथ्य।


बादल (Clouds):-

रुद्धोष्म प्रक्रिया द्वारा वायु के ठंडा होने एवं उसके तापमान के ओसांक से नीचे गिरने के कारण बादलों का निर्माण होता है।

यह जल एवं हिम सीकरों का ही बड़े पैमाने पर समूहन होता है जो कुहरे की अपेक्षा ऊँचाई पर पाया जाता है।

बादलो के प्रकार (Type of Clouds):-

ऊँचाई तथा मेघो की विशेषताओं के आधार पर बादलों को 4 मुख्य प्रकार एवं 10 उपवर्ग हैं :-

{A} उच्च मेघ (High Clouds):-

इनकी ऊँचाई 5000 मीटर से 13000 मीटर के बीच होती है।

[1] पक्षाभ मेघ (Cirrus Clouds):-

* यह मेघ वायुमंडल में सर्वाधिक ऊँचाई पर पाया जाता है।

* इनका निर्माण हिम कणों द्वारा होता है।

* इनका रंग उजला होता है एवं इनकी आकृति पक्षी के पंखों के समान होता है।

* इनसे न तो धरातल पर छाया बनती है एवं न ही वर्षा होती है 

* ये चक्रवात के आगमन की सूचना देते हैं।


[2] पक्षाभ स्तरी मेघ (Cirro - Stratus Clouds):-

* ये मेघ अलग अलग न हो कर महीन एवं सफेद चादर के समान सम्पूर्ण आकाश में छा जाते हैं।

* इन मेघों से दिन में सूर्य एवं रात्रि में चंद्रमा के चारो ओर प्रभा मंडल का निर्माण होता है।

* ये मेघ भी चक्रवात आने की सूचना देते है।


[3] पक्षाभ कपासी (Cirro-Cumulus Clouds):-

* ये मेघ लहर चिन्ह के रूप में होते हैं।

* इनमें कपास के ढेर जैसे बादल भी रहा करते हैं।

* ये प्रायः छायाहीन होते हैं।

* इन्हें Mackerel Sky भी कहा जाता है।




{B} मध्यम ऊँचाई के बादल (Medium Clouds):-

ये मेघ धरातल से 2000 मीटर से 7000 मीटर के बीच पाए जाते हैं।

[1] मध्य स्तरी मेघ (Alto- Stratus Clouds):-

* इन मेघो की परतें मोटी होती है।

* इनका रंग भूरा या नीलाभ होता है।

[2] मध्य कपासी मेघ (Alto - Cumulus Clouds):-

ये मेघ भूरे अथवा श्वेत रंग के होते हैं।

आकाश में ये बड़ा ही मनोहर दृश्य उपस्थित करते हैं।




{C} निचले मेघ (Low Clouds):-

इनकी ऊँचाई धरातल से 2000 मीटर से भी कम होती है।

[1] स्तरी कपासी मेघ (Strato Cumulus Clouds):-

* ये बड़े बड़े गोलाकार चकतों के रूप में पाए जाते हैं।

[2] स्तरी मेघ (Stratus Clouds):-

* ये मेघ धरातल से ऊंचाई पर होते हैं एवं कोहरे की भांति आकाश को ढक लेते हैं।

[3] वर्षा स्तरी मेघ (Nimbo- Stratus Clouds):-

* इसका रंग गहरा भूरा होता है।

* इनकी सघनता के कारण धरातल पर अंधकार छा जाता है।

* इनसे काफी वर्षा होती है।



{D} उर्ध्वाधर विकास वाले मेघ :-

इन मेघो की ऊँचाई आधार से शीर्ष तक 18 km या अधिक होती है।

[1] कपासी मेघ ( Cumulus Clouds):-

* इन मेघो की शीर्ष की तुलना गोभी के फूल से की जाती है।

* ये मेघ धूनी हुई रुई या कपास के ढेर जैसे दिखाई देते हैं।

* इनसे कभी कभी वर्षा होती है।


[2] कपासी वर्षी मेघ (Cumulus Nimbus Clouds):-

* ये मेघ अत्यधिक लम्बवत विकास वाले मेघ होते हैं।

* मूसलाधार वर्षा ओला एवं तड़ित झंझा लाना इन मेघो की विशेषता है।

नोट :-

कपासी मेघ एवं कपासी वर्षा मेघो को निचले मेघ में सम्मिलित किया जाता है।

जिन मेघो के साथ Nimbo शब्द जुड़ा है वे मेघ वर्षा लाने वाले मेघ होते हैं।




वर्षण के सिद्धांत:-

1 हिम कण सिद्धान्त      -   बर्गरान
2 संलयन सिद्धान्त         -  ई जी बोवेन



नीचे दिए गए चित्र के माध्यम से बादलों के प्रकार को समझ सकते हैं।



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अमित कुमार शुक्ल
Blogger/C.S./G.A.S. प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)

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