महासागरीय निक्षेप।
महासागरीय निक्षेप
महासागरीय नितल पर निक्षेपित असंगठित पदार्थों को महासागरीय निक्षेप कहा जाता है।
[A] स्थलजात/भूमिज निक्षेप
समुद्र में प्राप्त अधिकांश अवसाद स्थलीय ही होते है जो धरातलीय अपक्षय एवं अपरदन की क्रिया के कारण चट्टानों के विघटन एवं वियोजन के उपरांत सागरो में एकत्र होते रहते हैं इन्हें भूमिज पदार्थ भी कहते हैं।
स्थलजात निक्षेप को निम्नवत वर्गीकृत किया गया है:-
(क)बजरी
बजरी के कण बड़े आकार के होते है जिनका व्यास 2 mm से लेकर 255 mm तक होता है।
बजरी चट्टानी तटों पर लहरों के अपरदन की क्रिया से बनती है।
बजरी के आकार एवं नाम इस प्रकार है:-
कणिका 2-4mm
गुटिका 4-64mm
गोलाश्मिका 67-256mm
गोलाश्म 256mm
(अ) रेत
रेत के कण बजरी की अपेक्षा महीन होते हैं जिनका व्यास 1/6mm से 2mm तक ही रहता है।
(ब) सिल्ट
सिल्ट सूक्ष्मतम स्थलजात पदार्थ है जिसका व्यास 1/32-1/256mm होता है।
(स) मृत्तिका/क्ले
मृत्तिका भी सूक्ष्मतम स्थलजात पदार्थ है जिसका व्यास 1/512-1/8 192mm है।
(द) पंक
पंक का व्यास 1/8 192mm होता है
पंक तीन प्रकार के होते हैं।
नीला पंक
इसका निर्माण लोहे के सल्फाइड तथा जैविक तत्वों से युक्त चट्टानों के विघटन से प्राप्त पदार्थों के द्वारा होता है।
अन्य दो प्रकार के पंक की तुलना में यह अधिक क्षेत्र में पाया जाता है।
इस पंक का रंग नीले एवं काले के बीच होता है।चुने का अंश इसमे 35% रहता है।
अटलांटिक महासागर, भूमध्य सागर, आर्कटिक महासागर,तथा पूर्वी द्वीप समूहों में यह पंक बहुतायत पाया जाता है।
हरा पंक
रसायनिक अपक्षयन के कारण इसका रंग हरा होता है।
इसमे पोटैशियम सिलिकेट एवं आयरन सिलिकेट की प्रधानता होती है जिसे ग्लूकोनाइट भी कहा जाता है।
इस पंक में पोटाश का अंश 7% एवं चुना 50% मिलता है।
उत्तरी अमेरिका के पूर्वी तथा प्रशांत तटों के समीप, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिणी अफ्रीका के केप प्रान्त एवं जापान के तटों के पास हरा पंक मिलता है।
लाल पंक
लोहे के ऑक्साइड के कारण इसका रंग लाल होता है इसमे चुना 30% तथा सिलिका भी कुछ मात्रा में होती है।
इसका जमाव पीला सागर, ब्राजील तट, तथा अटलांटिक महासागर के तटों पर मिलता है।
[B] ज्वालामुखी निक्षेप
यह दो स्रोतों से प्राप्त होता है:-
1 स्थलखण्ड पर होने वाले ज्वालामुखी उदगार से
2 महासागर में होने वाले ज्वालामुखी उदगार से
* इसका रंग गहरा भूरा एवं काला होता है।
[C] समुद्रवर्ती/पैलेजिक निक्षेप
(अ) जैविक निक्षेप
इसके अंर्तगत सागरीय जीवों के चुना प्रधान एवं सिलिका प्रधान अवशेषों को सम्मिलित किया जाता है।
[1] नेरेटिक निक्षेप
यह सामान्यतः महाद्वीपीय मग्न तटों पर पाया जाता है एवं इसके ऊपर भूमिज पदार्थों का आवरण पाया जाता है।
[2] पैलेजिक निक्षेप
इसके अंतर्गत गहन सागर में निक्षेपित वनस्पतियों एवं समुद्री जीवों के अवशेष सम्मिलित किये जाते हैं।
* चुना प्रधान
[1] ग्लोबेजेरिना ऊज
इसका निर्माण मुख्यतः ग्लोबिजेरिना नामक फोरामेनिफेरा जैव के द्वारा होता है।
[2] टेरापॉड ऊज
इसमे चुने की मात्रा 80% होती है। इसका निर्माण टेरापॉड नामक मोलस्का द्वारा होता है।
*सिलिका प्रधान
[1] रेडियोलेरियन ऊज
इसका निर्माण रेडियोलेरियन नामक जीव के अवशेषों द्वारा होता है जो एक प्रोटोजोआ जीव है।
[2] डायटम ऊज
इसका निर्माण अत्यंत सूक्ष्म पौधों द्वारा होता है।
(ब)अजैविक निक्षेप
[1] लाल मृत्तिका
अकार्बनिक गहरे सागरीय जमावों में यह महत्वपूर्ण है जिसमे एल्युमिनियम के सिलिकेट एवं लौह ऑक्साइड की प्रधानता होती है।
[2] उल्का धूलि
अन्तरिक्ष से हटकर उल्का से प्राप्त ये पदार्थ सूक्ष्म धूलि के कणों के रूप में न केवल स्थलीय भागों अपितु जल क्षेत्र पर भी गिरते हैं।
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अमित कुमार शुक्ल
Blogger/C.S./G.A.S .प्रयागराज
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