नोट कर लो महासागरीय लवणता के इस टॉपिक से जरूर प्रश्न बनेगा।
महासागरीय लवणता/खारापन:-
यह समुद्री जल का प्रमुख भौतिक लक्षण है।
सागरीय जल में घुले हुए पदार्थों के भार एवं सागरीय जल के भार के बीच का अनुपात सागरीय लवणता कहलाता है।
इसे ग्राम , प्रति हजार ग्राम के रूप में प्रदर्शित किया जाता है।
खारापन समुद्री जल की गति तथा उसकी विशेषताओं को निर्धारित करता है।
समुद्र की लवणता समुद्री जीव जन्तुओं एवं वनस्पतियों के प्रदेशो तथा उनके वितरण को निर्धारित करता है।
समुद्री जल के खारापन से तात्पर्य उसमे घुले नमक की मात्रा से लिया जाता है।
अधिक लवण युक्त सागर देर से जमता है। इसी प्रकार सागरीय जल का क्वथनांक सामान्य जल से ऊंचा रहता है।
चैलेंजर अभियान 1884 के दौरान डिटमर ने यह पता लगाया कि समुद्री जल में 47 प्रकार के लवण घुले हुए हैं।
समुद्र में लवणता का मुख्य स्त्रोत पृथ्वी है जहाँ से हवाओं तथा नदियों द्वारा समुद्र में लाई जाती है।
महासागरों में औसत लवणता 35g प्रति हजार है।
यानी यह 35/1000 है या 3.5% है।
इसका तात्पर्य यह हुआ कि 1kg समुद्री जल में 35g नमक की मात्रा है।
महासागरीय जल में लवणता की प्रवणता को हेलोक्लाइन द्वारा दर्शाया जाता है।
लवणता का क्षैतिज वितरण :-
लवणता का प्रादेशिक वितरण :-
आर्कटिक महासागर की लवणता 15-31 प्रति हजार है
जिसका कारण उच्च अक्षांश व ध्रुवो के चारो ओर फैला है।
अटलांटिक महासागर की औसत लवणता 36-37 प्रति हजार है जो प्रशांत महासागर से अधिक है।
कारण आकार में अंतर।
प्रशांत महासागर की लवणता 35.5 प्रति हजार है जो अटलांटिक महासागर से कम है। आकार बड़ा होने के कारण।
हिन्द महासागर की औसत लवणता 34.5 प्रति हजार है जिसका कारण मानसूनी दशा है।
विश्व के बंद सागर /खाड़ी/झील की लवणता :-
अस्साल झील जिबूती 400 प्रति हजार
वान झील टर्की 330 प्रति हजार
मृत सागर जॉर्डन 238 प्रति हजार
ग्रेट सॉल्ट लेक USA 220 प्रति हजार
सांभर झील राज० भारत 205 प्रति हजार
कैस्पियन सागर उ० भाग 15-23 प्रति हजार
द० भाग 165 - 195 प्रति ह०
इन सभी मे उच्च लवणता का कारण उत्तरी गोलार्द्ध में उपोष्ण कटिबन्ध में शुष्क दशा के क्षेत्रों में स्थिति है।
जहाँ वाष्पीकरण की दर उच्च है।
अगला टॉपिक कल अपडेट होगा
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अमित कुमार शुक्ल
Blogger/C.S./G.A.S. प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)
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