चक्रवात के बारे में यह आपने कभी नही पढ़ा होगा।
चक्रवात {Cyclone} :-
जब वायुदाब में अंतर पड़ने के कारण केंद्र में निम्न वायुदाब का निर्माण हो जाता है एवं उसके चारों ओर उच्च वायुदाब रहता है तो वायु चक्राकार प्रतिरूप बनाते हुए उच्च वायुदाब से निम्न वायुदाब केंद्र की ओर तेजी से चलने लगती है इसे ही चक्रवात कहा जाता है।
इस प्रकार चक्रवात सामान्यतः चलते फिरते निम्न दाब के केंद्र होते हैं जो चारो ओर से क्रमशः अधिक वायुदाब वाले समदाब रेखाओं से घिरे होते हैं।
चक्रवात में वायु की चलने की दिशा उत्तरी गोलार्द्ध में घड़ी के सुइयों के विपरीत (Anti Clockwise) एवं दक्षिणी गोलार्द्ध में घड़ी की सुइयों के दिशा में (Clock Wise) होती है।
चक्रवात में धरातलीय सतह पर हवाओं का अभिसरण होता है।
उत्पत्ति क्षेत्र के आधार पर चक्रवात दो प्रकार के होते हैं:-
(1) उष्ण कटिबंधीय चक्रवात
(2) शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात
जहाँ व्यापारिक और विषुवत रेखीय पछुवा हवाओं का अभिसरण होता है वही बनते हैं।
अंतरा उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र (ITCZ) के सहारे
दोनों गोलार्धों में 8 से 24 अंश अक्षांशों के बीच उत्पन्न चक्रवातों को उष्ण कटिबंधीय चक्रवात कहा जाता है।
कोरियालिस बल के अभाव के कारण ये चक्रवात विषुवत रेखा के निकट उत्पन्न नही हो पाते हैं।
ये व्यापारिक हवा के प्रभाव से पूर्व से पश्चिम की ओर चला करते हैं।
ये महाद्वीप के पूर्वी तटों पर वर्षा करते हैं।
उष्ण कटिबंधीय चक्रवात की निर्माण की दशायें :-
विस्तृत समुद्री सतह होनी चाहिए जिसका तापमान 27 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक हो यही कारण है कि ये महासागरों के पूर्वी छोर यानी महाद्वीपों के पश्चिमी छोर पर जन्म नही लेते।
क्योकि वहाँ शीत जल का उद्वेलन है और ठंडी धाराएं प्राप्त है।
ये चक्रवात महासागरों के पश्चिमी छोर पर ही जन्म लेते हैं क्योंकि वहाँ गर्म जलधारा प्राप्त है।
जिस कारण सतह का तापमान 27 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक रहता है।
इसकी उत्पत्ति के लिये कोरियालिस बल का होना जरूरी है ताकि हवाओं का चक्राकार गति हो सके।
जहाँ कोरियालिस बल का अभाव है वहाँ ये चक्रवात जन्म नही लेते।
केंद्र में कमजोर न्यून वायुदाब होना चाहिए ताकि धरातल पर हवाओं का अभिषरण हो सके।
उष्ण कटिबंधीय चक्रवात की उत्पत्ति :-
मौसम विज्ञानियों के अनुसार उष्ण कटिबंधीय चक्रवात का निर्माण व्यापारिक पवनों की पेटी में एक मंद गति के प्रवेश करने से होता है।
यानी उष्ण कटिबंधीय चक्रवात ITCZ के सहारे जन्म लेते हैं।
उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों का क्षेत्रानुसार वितरण :-
(1) टाइफून
अन्य नाम:- चीन में टाइफून या फेयान
फिलिपींस में वेगुइस
जापान में टाइफू/ताइफू
प्रभावित क्षेत्र:-
फिलिपींस, उत्तरी वियतनाम, द०पू०चीन,पूर्वी चीन, द०जापान, द०कोरिया, ताइवान
(2) हरिकेन
अन्य नाम:- आइरिल, केटरीना, स्फान, रीटा
प्रभावित क्षेत्र:-
वेस्टइंडीज, क्यूबा, जमैका, मैक्सिको, ग्वाटेमाला, USA का द०पू० व पूर्वी तट
(3) चक्रवात
उत्पत्ति क्षेत्र:-
हिन्द महासागर का तटवर्ती भाग, बंगाल की खाड़ी, अरब सागर, पूर्वी अफ्रीका तट, मेडागास्कर का पूर्वी तट
(4) विलीविलिज़
ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी पूर्वी तथा पूर्वी तट या दक्षिण प्रशांत महासागर में जन्म लेते हैं।
प्रभावित क्षेत्र:- क्वींसलैंड राज्य का पूर्वी तट।
(5) टॉरनेडो
प्रभावित क्षेत्र:- द० एवं पूर्वी अमेरिका।
(2) शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात
अन्य नाम:- वर्हिउष्ण चक्रवात, इतर उष्ण कटिबंधीय चक्रवात।
यह मध्य अक्षांशो में बनते हैं जहाँ गर्म एवं ठंडी वायुराशियां मिलती हैं।
इनकी उत्पत्ति दोनों ही गोलार्द्धों में 30 से 65 अंश अक्षांशों के बीच होती है।
पछुवा हवा के प्रभाव में पश्चिम से पूर्व की ओर चलते हैं तथा महाद्वीप के पश्चिम तट पर वर्षा कराते हैं।
आकृति व आकार:-
इनकी आकृति अंग्रेजी के (V) अक्षर की तरह होती है।
और इनकी ऊँचाई क्षोभ मंडलीय सीमा तक होती है त्रि आयामी ढलुआ सीमा के सहारे।
इन चक्रवातों में परिधि और केंद्र के बीच वायुदाब का अंतर 35 से 20 मिलीबार होता है।
अतः इन चक्रवातों में हवाएं परिधि से केंद्र की ओर ज्यादा शक्तिशाली नही होती।
यानी यह चक्रवात विनाशकारी नही होते हैं।
शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति:-
इन चक्रवातों की उत्पत्ति वाताग्री दशा में होती है।
ये चक्रवात वायुराशियों में तापीय विरोधाभास के कारण जन्म लेते हैं।
इनसे इनको ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
ये चक्रवात शीतकाल में अधिक शसक्त होते है।
शीतोष्ण कटीबन्धीय चक्रवात प्रचलित पछुवा पवनो के द्वारा प०से पू० दिशा की ओर चलते हैं।
ये चक्रवात चन्द्राकार पथ में आगे बढ़ते हुए महाद्वीपों के प०तटों तथा ध्रुवों की ओर पहुँचते हैं।
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अमित कुमार शुक्ल
Blogger/C.S./G.A.S. प्रयागराज उत्तर प्रदेश
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