भारत की जलवायु।


            
            भारत की जलवायु

भारत को इसके भौगोलिक विस्तार के कारण उप महाद्वीप कहा जाता है।

जिसमे जलवायुविक विभिन्नता मिलती है, अर्थात ताप आद्रता, वायु की गति एवं दिशा तथा वर्षा की मात्रा में ऋतु के अनुसार उतार चढ़ाव झलकता है।

तापमान एवं जलवायुविक वर्षा के वितरण में स्थानिक सामयिक अंतर पाया जाता है।

देश के उत्तरी भाग में स्पष्ट उष्ण कटिबन्ध न हो कर आंशिक शीतोष्ण के लक्षण भी मिलते हैं।

जबकि दक्षिणी भारत (कर्क रेखा के दक्षिण) में उष्ण कटिबंधीय जलवायु की दशाएं मिलती हैं।

इस आधार पर अनेक विद्वान भारत की जलवायु को उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु कहते हैं।

कर्क रेखा देश को लगभग दो भागों में विभाजित करती है। इस प्रकार विभिन्न विद्वानों ने समय समय पर जलवायुविक प्रदेशो में विभाजित किया है।

भारत को जलवायु प्रदेशों में बांटने का सराहनीय प्रयास 19 वीं सदी के अंत मे शुरू हुआ।


स्टाम्प एवं केण्ड्रयू का वर्गीकरण

स्टाम्प एवं केण्ड्रयू ने भारत को तापमान एवं वर्षा के आधार पर जलवायु प्रदेशो में विभाजित किया।
वर्षा के साथ जनवरी की 18 डिग्री सेंटीग्रेड समताप रेखा को आधार मानकर देश को दो भागों में विभाजित किया है।

यह समताप रेखा लगभग कर्क रेखा के सहारे चलती है।
इस आधार पर कर्क रेखा के उत्तरी भाग को शीतोष्ण कटिबन्ध तथा दक्षिणी भाग को उष्ण कटिबंध के रूप में मानकर विभक्त किया गया है।

तथा इन दोनों भागों को वर्षा के आधार पर पुनः उप विभागों में बांटा गया।

A  शीतोष्ण कटिबंधीय भारत

1 हिमालय प्रदेश       अत्यधिक वर्षा का प्रदेश
2 उत्तर पश्चिम पठार     साधारण वर्षा का प्रदेश
3 उत्तर पश्चिम शुष्क मैदान       शुष्क मरुस्थल प्रदेश
4 मध्यम वर्षा वाला प्रदेश       
5 संक्रमण प्रदेश          अधिक व मध्यम वर्षा के बीच का क्षेत्र

B  उष्ण कटिबंधीय भारत

1 अतिवृष्टि वाला प्रदेश
2 अधिक वर्षा वाला प्रदेश 
3 मध्यम वर्षा वाला प्रदेश
4 पश्चिम तटीय प्रदेश        कोकण तट
5 पश्चिम तटीय प्रदेश       मालाबार तट
6 तमिलनाडु तटीय प्रदेश


कोपेन का वर्गीकरण।

कोपेन ने प्रकृति में अनेक सहसम्बन्धों का अध्ययन करके सन 1900 में विश्व की जलवायु का प्रथम वर्गीकरण प्रस्तुत किया 
जिसके बाद में सन 1918 में कोपेन द्वारा तथा सन 1928 में उनके शिष्य रुडोल्फ गेगर ने संसोधित किया 1918 के वर्गीकरण में कुल 9 वर्ग थे 

प्रत्येक वर्ग के लिये इन्होंने अंग्रेजी के बड़े अक्षरों A,B,C,D,E को सांकेतिक रूप में प्रयोग किया।

A उष्ण कटिबंधीय या भूमध्यरेखीय आद्र जलवायु
B शुष्क जलवायु
C उष्ण शीतोष्ण आद्र जलवायु
D शीत शीतोष्ण जलवायु
E ध्रुवीय जलवायु

इस वर्गीकरण में उपवर्गों के लिये कुछ छोटे अक्षरों का भी प्रयोग किया गया था। जो निम्न है

W  शुष्क जलवायु
S  स्टेपी जलवायु
T  टुंड्रा जलवायु
F हिमाच्छादित जलवायु
H उच्च स्थलीय जलवायु

f आद्र जलवायु
m मानसूनी जलवायु
s  ग्रीष्म ऋतु शुष्क
w शीत ऋतु शुष्क
h औसत वार्षिक तापमान 18 डिग्री से०से कम
c उष्णतम माह का तापमान 22 डिग्री से० से नीचे
g वर्षा पूर्व लम्बी अवधि तक उच्च तापमान



Amw 
उष्ण कटिबंधीय आद्र जलवायु
कोकण व मालाबार तट

Aw
उष्ण कटिबंधीय जलवायु
प्रायद्वीपीय भारत के अधिकतर भाग

As
उष्ण कटिबंधीय आद्र जलवायु का ही भाग है

BShw
एक प्रकार की स्टेपी जलवायु है
पूर्वी राजस्थान, कर्नाटक

Cwg
यह उष्ण शीतोष्ण जलवायु वर्ग का प्रदेश है

Dfc 
शीतोष्ण कटिबंधीय आद्र जलवायु
अरुणाचल, असम,सिक्किम

E
ध्रुवीय प्रकार की जलवायु

ET 
यह ध्रुवीय जलवायु का ही एक वर्ग E है जिसे टुंड्रा जलवायु कहते हैं।



आप सभी लोग वेबसाइट देखने के साथ साथ नोट्स बनाते चलें जिससे आपके पास नोट्स में तथ्य एकत्रित हो जाएगा जो आगे की परीक्षाओं में काम आएगा।

हमेशा नए तथ्य इस वेबसाइट पर आपको मिलते रहेंगे हमेशा इस वेबसाइट को देखते रहें। 

और अपने मित्रों  ,सम्बन्धियों को भी इसके बारे में बताएं ताकि सब लोग लाभान्वित हो सकें।
आप सबका बहुत बहुत आभार।

आप सभी अपने लक्ष्य को प्राप्त करें हम यही प्रार्थना करेंगे।

वेबसाइट देखने के लिए आप सबका हृदय से धन्यवाद।

हमारा प्रयास क़ि हम बनायें एक बेहतरीन शिक्षित समाज।

अमित कुमार शुक्ल
Blogger/C.S./G.A.S .प्रयागराज

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

जानिए भ्रंश घाटी, रैम्प घाटी, ब्लॉक पर्वत और होर्स्ट पर्वत क्या होते हैं?

विश्व की गर्म एवं ठंडी हवाएं।

परीक्षाओं में भूगोल की प्रमुख पुस्तकें व उनके लेखकों के सम्बंध में पूछे जाने वाले प्रश्न।