जानिये सागरीय संसाधन क्या होता है?



सागरीय संसाधन

महासागरीय जल तथा नितल से सम्बंधित जैविक और अजैविक संसाधनों को सागरीय संसाधन कहते हैं।

महासागरीय जल में भी स्थल भाग वाले सभी तत्व मिलते है।

समुद्री जल एवं इसके नितल में विभिन्न प्रकार के आर्थिक महत्व वाले खनिज संसाधन विद्यमान हैं।

पुराने ग्रन्थों में सागर को अपरिमित शक्ति का स्त्रोत माना गया है।

आज के युग मे भी हमारे वैज्ञानिकों की निगाहें ऊर्जा के लिये समुद्र पर टिकी हुई है।

वस्तुतः ऊर्जा के बिना किसी भी तरह का विकास कदापि सम्भव नही है।

प्रारम्भ से ही समुद्र ,मानव के लिये उपयोगी एवं आकर्षक का केंद्र रहा है।

मानव समुद्र का विभिन्न रूपो में उपयोग करता रहा है जैसे यातायात एवं परिवहन, मछली पकड़ने के लिये, खनिज ,एवं सुरक्षा आदि।

सागरीय जैविक संसाधनों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ये नव्यकरणीय है अर्थात इसका दुबारा उपयोग किया जा सकता है।





सागरीय संसाधनों का वर्गीकरण

सागरीय क्षेत्रो में अनेक प्रकार के जैविक एवं अजैविक संसाधन होते हैं।

इन संसाधनों के दो प्रमुख स्रोत हैं:-

1 नदियों द्वारा स्थलीय भाग से बहाकर लाये गए अनेक प्रकार के पदार्थ

2 कुछ संसाधन पौधों द्वारा छिछले जल में तैयार किये जाते हैं।

स्पष्ट है कि महासागरों में जैविक तथा अजैविक संसाधनों का अपार भंडार है।

संसाधनों को निम्नलिखित प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है:-

{1} सागरीय जैविक संसाधन

सागरीय जैविक संसाधनों को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जा सकता है:-

A खाद्य संसाधन

इसके अंतर्गत जंतु संसाधनों में मछली ,झींगा, केकड़ा आदि शामिल है।

खाद्य संसाधनों में पादप संसाधनों के अंतर्गत सागरीय घास, पादप प्लैंकटन आदि शामिल हैं।



B अखाद्य संसाधन

अखाद्य संसाधन के अंतर्गत सीप, प्रवाल, अन्य सागरीय जीव आदि आते हैं जिसका उपयोग हम खाद्य संसाधनों के रूप में नही कर सकते।



2 सागरीय खनिज संसाधन

सागरीय खनिज संसाधनों को भी दो भागो में बांटा गया हैं:-

A प्रकृति के आधार पर

इसके अंतर्गत पेट्रोलियम , प्राकृतिक गैस, समुद्री घास, धात्विक खनिज , समुद्री रेत, ग्रेवेल आदि सम्मिलित किये जाते हैं।

B स्थिति के आधार पर

महाद्वीपीय मग्न तट के निक्षेप  के रूप में खनिज, महाद्वीपीय ढालों पर पाए जाने वाले खनिज, गहरे सागरो की तली में पाए जाने वाले खनिज इसके अंतर्गत शामिल हैं।


3 ऊर्जा संसाधन

ऊर्जा संसाधनों में परम्परागत संसाधन के अंतर्गत खनिज तेल , प्राकृतिक गैस आदि तथा गैर परम्परागत संसाधनों में ज्वारीय ऊर्जा, तरंग ऊर्जा, बायोमास ऊर्जा आदि शामिल है।

विश्व के अधिकांश देश इस संसाधन पर नजर टिकाए बैठे हैं अनेक देश इन संसाधनों को लेकर अनुसन्धान कार्य भी कर रहे हैं।





4 ताजा जल संसाधन

सागरीय जल को फिल्टर करके शुद्ध पेय जल के रूप में प्रयोग में लाना इस जल को निर्मित जल भी कहते हैं।

भूमिगत जल का स्तर घटने के कारण विश्व के अनेक देशों में पेय जल की समस्या जन्म ले रही है इस लिए अनेक देश समुद्री जल को फिल्टर करके पीने योग्य बनाने तथा उसमे नमक की मात्रा को लेकर अनुसन्धान कार्य कर रहे हैं।

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अमित कुमार शुक्ल
Blogger/C.S./G.A.S./Geography
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)

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