जानिए हिमालय के बारे में सबसे सटीक एवं महत्वपूर्ण जानकारी।



   हिमालय पर्वत

हिमालय पर्वत की उत्पत्ति टर्शियरी काल मे हुई यह विश्व के नवीन तथा सबसे ऊंचे मोड़दार पर्वत क्रम को प्रदर्शित करता है।

हिमालय पर्वत का निर्माण इंडियन प्लेट और यूरेशियन प्लेट के टकराने से हुआ है।

यह विश्व के जटिल पर्वत क्रम को प्रदर्शित करता है।

इसमे कैम्ब्रियन से लेकर आदिनूतन काल तक की विविध प्रकार की शिलाओं के जमाव पाए जाते हैं।

हिमालय पर्वतमाला की गणना वैज्ञानिक विश्व की नवीन पर्वतमालाओं से करते हैं।

इसका निर्माण वर्तमान से लगभग 5 से 6 करोड़ वर्ष पहले हुआ था।

हिमालय को अपनी पूरी ऊँचाई प्राप्त करने में 60 से 70 लाख वर्ष लगे।

विश्व के 100 सर्वोच्च शिखरों में कई पर्वत चोटियां हिमालय पर्वत की हैं।

विश्व का सर्वोच्च पर्वत शिखर माउंट एवरेस्ट हिमालय पर ही है।

अन्य पर्वतों की अपेक्षा यह काफी नया है।

हिमालय पूर्व की अपेक्षा यह पश्चिम में अधिक चौड़ा है।

इसका मुख्य कारण पश्चिम की अपेक्षा पूर्व में दबाव बल का अधिक होना है।

यही कारण है कि माउंट एवरेस्ट व कंचनजंघा जैसी ऊंची ऊंची चोटियां पूर्व दिशा में ही विधमान है



Imp:- 9 सितंबर को हिमालय दिवस के रूप में मनाया जाता है।

उत्तराखंड सरकार ने 9 सितंबर 2014 को हिमालय दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी।

जिसका मुख्य उद्देश्य हिमालय के पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करना है।




हिमालय पर्वतीय प्रदेश को तीन प्रमुख पर्वत श्रेणियों में बांटा गया है।

(1) वृहद हिमालय

(2) लघु हिमालय

(3) उप हिमालय


(1) वृहद हिमालय

अन्य नाम:- ग्रेटर हिमालय

                 महान हिमालय

                 हिमाद्रि हिमालय

                 मुख्य हिमालय

                 बर्फीला हिमालय

                आंतरिक हिमालय

वृहद हिमालय सिंधु नदी के गार्ज से लेकर ब्रह्मपुत्र नदी के गार्ज तक फैला है।

इसमे विश्व की सर्वोच्च चोटियां पाई जाती है।

इस श्रेणी का ढाल उत्तर की ओर मन्द है तथा दक्षिण की ओर इसका ढाल तीव्र है।

इसके उत्तरी ढाल से सिंधु नदी व सांगपो नदी निकलती है।

तथा मध्यवर्ती भाग से गंगा , यमुना और उसकी सहायक नदियां निकलती है।

इस श्रेणी को काटकर सिंधु, ब्रह्मपुत्र, और अलकनंदा नदी ने पूर्ववर्ती घाटी का निर्माण किया है।





(2) लघु हिमालय

अन्य नाम:-  मध्य हिमालय,

                  हिमाचल श्रेणी

                  हिमाचल हिमालय

इसका विस्तार मुख्य हिमालय के दक्षिण में है ।

इसकी चौड़ाई लगभग 80 से 100 km के बीच है।

इसकी औसत ऊंचाई 3700 से 4500 मीटर के बीच है।

लघु हिमालय के अंतर्गत कई छोटी छोटी श्रेणियां पाई जाती हैं।

जैसे :-

1 पीर पंजाल श्रेणी

यह श्रेणी जम्मू कश्मीर में स्थित है।

इस श्रेणी में दो प्रमुख दर्रा बनिहाल और पीरपंजाल है।

यह श्रेणी झेलम और व्यास नदी के बीच स्थित है।


2 धौलाधर श्रेणी

यह मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश में है और आंशिक रूप से उत्तराखंड में भी है।


3 नागतिबा

काली गंडक धौलागिरी चोटी के पास जब वृहद हिमालय को काटती है तो उसके पश्चिम की ओर की श्रेणी नागतिबा कहलाती है।

4 महाभारत श्रेणी

लघु हिमालय को नेपाल देश मे महाभारत के नाम से जाना जाता है।




(3) उप हिमालय

अन्य नाम:- शिवालिक हिमालय

                   वाह्य हिमालय

शिवालिक श्रेणी मध्य या लघु हिमालय के दक्षिण में स्थित है इसका विस्तार पश्चिम में पोर्टवार बेसिन (पंजाब राज्य) से लेकर पूर्व में कोशी नदी (बिहार) तक है।

इस हिमालय का विस्तार हिमाचल प्रदेश और पंजाब में अधिक चौड़ाई के रूप में है।

जबकि पूर्व की ओर यह संकरा होता जाता है।

यह हिमालय पर्वत का सबसे नवीन भाग है।

इसकी औसत ऊंचाई 600 से 1500 मीटर के बीच है।

शिवालिक हिमालय तथा लघु हिमालय को अलग करने वाली घाटियों को पश्चिम में दून (देहरादून) तथा पूर्व में द्वार (हरिद्वार) कहते हैं।


(*) पूर्वांचल की पहाड़ियां

ये भारत के पूर्वी राज्यो में फैली है जिनमे से कई भारत और म्यांमार की सीमा रेखा के सहारे फैली है।

तो कई सारी देश के आंतरिक हिस्सों में फैली है जिसे हम नीचे दिए गए चित्रों के माध्यम से आसानी से समझ सकते हैं।





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अमित कुमार शुक्ल
Blogger/C.S./G.A.S./Geography
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)

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